Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

सुषमा स्वराज : प्रोफाइल

सुषमा स्वराज : प्रोफाइल
, बुधवार, 7 अगस्त 2019 (07:42 IST)
पूर्व विदेश मंत्री, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री तथा 7 बार सांसद रह चुकीं सुषमा स्वराज ने एक प्रखर वक्ता होने के साथ ही एक ऐसे नेता के रूप में अपना लोहा मनवाया था जिनका उनके विरोधी भी सच्चे दिल से सम्मान करते थे।
 
जन्म और राजनीतिक करियर : हरियाणा के अंबाला में 14 फरवरी 1952 को जन्मी सुषमा स्वराज स्वराज ने हरियाणा से ही अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की। वे दो बार 1977 और 1987 में राज्य की विधानसभा के लिए चुनी गईं और दोनों मौकों पर कैबिनेट मंत्री रहीं। 1990 में राज्यसभा सदस्य के रूप में उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत हुई। वर्ष 1996 में वे पहली बार लोकसभा के लिए चुनी गईं।
 
अपने 40 साल के राजनीतिक जीवन में वे तीन बार राज्यसभा सदस्य और 4 बार लोकसभा सदस्य रहीं। उन्हें भारत की दूसरी महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। वे भाजपा की पहली महिला राष्ट्रीय प्रवक्ता, पहली कैबिनेट मंत्री, दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं और भारत की संसद में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार पाने वाली पहली महिला भी रहीं। 
 
सुषमा स्वराज के पिता हरदेव शर्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख सदस्य रहे थे। सुषमा स्वराज का परिवार मूल रूप से लाहौर (पाकिस्तान) के धरमपुरा क्षेत्र का निवासी था। उन्होंने अंबाला के सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृत तथा राजनीति विज्ञान में स्नातक किया। वर्ष 1970 में उन्हें अपने कॉलेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा के सम्मान से सम्मानित किया गया था। वे तीन साल तक लगातार एसडी कॉलेज छावनी की एनसीसी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट और तीन साल तक राज्य की श्रेष्ठ वक्ता भी चुनीं गईं।
 
इसके बाद उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से कानून की शिक्षा प्राप्त की। पंजाब विश्वविद्यालय से भी उन्हें 1973 में सर्वोच्च वक्ता का सम्मान मिला था। 1973 में ही स्वराज भारतीय सर्वोच्च न्यायालय में अधिवक्ता के पद पर कार्य करने लगीं। 13 जुलाई 1975 को उनका विवाह स्वराज कौशल के साथ हुआ, जो सर्वोच्च न्यायालय में उनके सहकर्मी और साथी अधिवक्ता थे। कौशल बाद में 6 साल तक राज्यसभा में सांसद रहे, और इसके अतिरिक्त वे मिजोरम प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं। स्वराज दम्पत्ति की एक पुत्री है, बांसुरी, जो लंदन के इनर टेम्पल में वकालत कर रही हैं।
 
राजनीतिक करियर की शुरुआत : 70 के दशक में ही सुषमा स्वराज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गईं थीं। उनके पति स्वराज कौशल, समाजवादी नेता जॉर्ज फ़र्नान्डिज के करीबी थे। इस कारण ही वे भी 1975 में फ़र्नान्डिस की विधिक टीम का हिस्सा बन गईं। आपातकाल के समय उन्होंने जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया।
 
आपातकाल की समाप्ति के बाद वे जनता पार्टी की सदस्य बन गईं। वर्ष 1977 में उन्होंने अंबाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से हरियाणा विधानसभा के लिए विधायक का चुनाव जीता और चौधरी देवी लाल की सरकार में 1977 से 1979 के बीच राज्य की श्रम मंत्री रह कर मात्र 25 वर्ष की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाया था। 1979 में तब 27 वर्ष की सुषमा स्वराज हरियाणा राज्य में जनता पार्टी की राज्य अध्यक्ष बनीं।
 
अस्सी के दशक में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के गठन पर वे भी इसमें शामिल हो गईं। इसके बाद 1987 से 1990 तक पुनः वे अंबाला छावनी से विधायक रहीं और भाजपा-लोकदल संयुक्त सरकार में शिक्षा मंत्री रहीं।
 
अप्रैल 1990 में उन्हें राज्यसभा के सदस्य के रूप में निर्वाचित किया गया, जहां वे 1993 तक रहीं। 1996 में उन्होंने दक्षिणी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से चुनाव जीता। 13 दिन की अटलबिहारी वाजपेयी सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहीं। मार्च 1998 में उन्होंने दक्षिण दिल्ली संसदीय क्षेत्र से एक बार फिर चुनाव जीता। इस बार फिर से उन्होंने वाजपेयी सरकार में दूरसंचार मंत्रालय के अतिरिक्त प्रभार के साथ सूचना एवं प्रसारण मंत्री के रूप में शपथ ली थी।
 
सुषमा स्वराज 19 मार्च 1998 से 12 अक्टूबर 1998 तक इस पद पर रहीं। इस अवधि के दौरान उनका सबसे उल्लेखनीय निर्णय फिल्म उद्योग को एक उद्योग के रूप में घोषित करना था, जिससे कि भारतीय फिल्म उद्योग को भी बैंक से कर्ज़ मिल सकता था।
 
अक्टूबर 1998 में उन्होंने केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और 12 अक्टूबर 1998 को दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। हालांकि 3 दिसंबर 1998 को उन्होंने अपनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रीय राजनीति में वापस लौट आईं।
 
सितंबर 1999 में उन्होंने कर्नाटक के बेल्लारी निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के विरुद्ध चुनाव लड़ा। अपने चुनाव अभियान के दौरान उन्होंने स्थानीय कन्नड़ भाषा में ही सार्वजनिक बैठकों को संबोधित किया था।
 
हालांकि वे 7 प्रतिशत के अंतर से चुनाव हार गईं थीं। 16 अप्रैल 2000 में वे उत्तरप्रदेश के राज्यसभा सदस्य के रूप में संसद में वापस लौट आईं। इसके बाद उन्हें केन्द्रीय मंत्रिमंडल में फिर से सूचना और प्रसारण मंत्री के रूप में शामिल किया गया था, जिस पद पर वह सितंबर 2000 से जनवरी 2003 तक रहीं।2003 में उन्हें स्वास्थ्य, परिवार कल्याण एवं संसदीय मामलों में मंत्री बनाया गया।
 
अप्रैल 2006 में स्वराज को मध्यप्रदेश राज्य से राज्यसभा में तीसरे कार्यकाल के लिए फिर से निर्वाचित किया गया। इसके बाद 2009 में उन्होंने मध्यप्रदेश के विदिशा लोकसभा क्षेत्र से 4 लाख से अधिक मतों से जीत हासिल की। 21 दिसंबर 2009 को लालकृष्ण आडवाणी की जगह 15वीं लोकसभा में सुषमा स्वराज विपक्ष की नेता बनीं और मई 2014 में भाजपा की ऐतिहासिक जीत तक वे इसी पद पर बनीं रहीं। (वार्ता)

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का 67 साल की उम्र में निधन, आज राजकीय सम्मान के साथ होगा अंतिम संस्कार