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बाल कविता : भेजा न्योता तुम्हें बुलाने...

प्रभुदयाल श्रीवास्तव
चिड़िया रानी, चिड़िया रानी, 
आ भी जाओ पीने पानी।
 
छत पर रखे सकोरे मैंने।
आओ नहा लो फैला डैने।
 
साथ सभी मित्रों को लाना।
पानी पीकर प्यास बुझाना।
 
मित्र तुम्हारे प्यासे-भूखे।
होंगे कंठ सभी के रूखे।
 
भरे सकोरे आकर देखो।
जल में चोंच डुबाकर देखो।
 
कुछ किल्लोल करो पानी में, 
मजा आएगा शैतानी में।
 
धूप देखकर डर मत जाना, 
उड़ते-उड़ते छत पर आना।
 
छाया में सब रखे सकोरे, 
पानी पीना धीरे-धीरे।
 
दादा सोच रहे हैं बैठे, 
प्यास बुझे चिड़ियों की कैसे।
 
दादी ने डाले हैं दाने, 
भेजा न्योता तुम्हें बुलाने।
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