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प्रवासियों को भारत से जोड़ता है वेबदुनिया

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-रेखा भाटिया
पिछले पंद्रह वर्षों से अमेरिका में निवास है, परंतु भारत जिसे हमने मालवा के रूप से पहचाना, हर वक्त जहन में होता है। एक खालीपन, एक कमी जो विदेश में बसे हर भारतीय के ह्रदय में पैठ जाती है और इससे कोई भी भारतीय इनकार नहीं कर सकता, उस कमी को 'वेबदुनिया' ने पूरा किया है। स्वयं हमारी मातृभाषा में माँ-सा दुलार देने में वेबदुनिया पंद्रह वर्षों से साथ है।
 
उम्र के साथ बढ़ती परिपक्वता से कहीं न कहीं अपनी समाज के प्रति, आने वाली वाली पीढ़ी के प्रति  एक नैतिक जिम्मेदारी का बोध भीतर पनपने लगता है और सभी यहाँ जो प्रवासी भारतीय पिछले पंद्रह से बीस वर्ष पहले आए हैं, मैंने पाया है वे अपने बच्चों के लिए बहुत मेहनत करते हैं, अथक प्रयास करते हैं, उन्हें भारतीय मूल्यों से परिचित कराना, उनकी परवरिश में भारतीय मूल्यों का समावेश करना वे अपना नैतिक उत्तरदायित्व  समझते है।
 
जिस तेजी से भारत विश्व पटल पर अपना स्थान बना रहा है, वह प्रशंसनीय है और प्रवासी भारतीयों में मैंने पाया है कि उनमें एक तरह की जागरूकता है। वे अपनी मिट्‍टी से जुड़ी हर घटना, हर समाचार की खबर रखना चाहते हैं। चाहे वो भारत में हो रहे चुनाव हों, तेजी से बदलती संस्कृति, परम्पराएँ हों या भयभीत कर देने वाला निर्भया कांड हो, बॉलीवुड से जुड़े चटपटे समाचार हों या क्रिकेट का रोमांच हो या फिर अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का बढ़ता वर्चस्व हो या भारत की अर्थव्यवस्था। वेबदुनिया यह दायित्व जिस खूबी से निभा रहा है, वह काबिले तारीफ है।
 
माँ से फ़ोन पर बात कर हम उन्हें उनके शहर का मौसम से लेकर प्रत्येक समाचार देते हैं, उस पर कोई व्रत या त्योहार का सही दिन सही समय बताते हैं तो वे बहुत रोमांचित हो जाती हैं और पूछ बैठती हैं तुम्हे कैसे पता? वेबदुनिया कमाल है। वेबदुनिया हमें भारत से दूर रहकर भी भारत से एक सेतु की तरह जोड़े रखता है। वो कसमसाहट जिसे हम महसूस करते थे  उसका बीच का दायरा कुछ कम हो चला है।
 
एक बात गौर करने लायक है अपनी स्वयं की हिंदी भाषा में वेबदुनिया कंप्यूटर और इंटरनेट के गतिमान वर्तमान में पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी को बड़ी ही बखूबी से जोड़े हुए है। अंग्रेजों और मुगलों का डटकर मुकाबला करने वाली हमारी भारतीय संस्कृति आधुनिकीकरण के नाम पर जहां एक ओर   अपनों के द्वारा ही छली जा रही है, घायल की जा रही है। दूसरी ओर वेबदुनिया उसमें नए प्राण, नया रक्त भर हिंदी भाषा और भारतीयता की सच्चे अर्थों में सेवा कर रहा है।
 
भारत से दूर जब होकर भी हिंदी में लेखन, पठन, ख़बरें आदि हमारा रोजमर्या के जीवन अंग का पर्याय बन गया है, जिस पर हमें गर्व है। हिंदी के इस ठोस धरातल की परछाई बन हम भी यहाँ हिंदी की कुछ सेवा करने के लिए प्रेरित हुए हैं। वेबदुनिया के सहयोग के लिए बहुत-बहुत आभार और धन्यवाद। वेबदुनिया की पंद्रहवी सालगिरह के उपलक्ष्य पर लाख-लाख बधाइयाँ और नमन।
 
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