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हमले और चोटों से हर बार मजबूत हुईं ममता बनर्जी, क्या बंगाल चुनाव में भाजपा को दे पाएंगी मात?

हमले और चोटों से हर बार मजबूत हुईं ममता बनर्जी, क्या बंगाल चुनाव में भाजपा को दे पाएंगी मात?
, शुक्रवार, 12 मार्च 2021 (11:13 IST)
कोलकाता। ममता बनर्जी ने अपने कार्यों से अपनी छवि एक जुझारू नेता के तौर पर बनाई है। अपने चार दशक के राजनीतिक कॅरियर में चाहे उन पर हमले हुए हों या वह चोटिल हुई हों, हर बार वह अपने सार्वजनिक जीवन में मजबूती से उभरकर सामने आई हैं। ऐसी घटनाओं के बाद जब-जब उन्होंने वापसी की तो वह अपने विरोधियों पर और मजबूती से हमलावर हुईं।
अपनी राजनीतिक सूझबूझ और कार्यकर्ताओं के समर्थन से तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो की छवि एक निडर योद्धा के तौर पर बनी है। वर्ष 1990 में माकपा के एक युवा नेता ने उनके सिर पर वार किया था जिसके चलते उन्हें पूरे महीने अस्पताल में बिताना पड़ा था, तब भी वह बेहद मजबूत नेता के तौर पर उभरीं।
 
जुलाई 1993 में बनर्जी जब युवा कांग्रेस नेता थीं तब फोटो मतदाता पहचान पत्र की मांग को लेकर उस वक्त के सचिवालय राइटर्स बिल्डिंग की ओर एक रैली का नेतृत्व करने के दौरान पुलिस ने उनकी पिटाई की थी।
 
रैली में शामिल प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प हुई थी जिसमें पुलिस की गोली लगने से युवा कांग्रेस के 14 कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी और पुलिस की पिटाई से घायल बनर्जी को कई हफ्तों तक अस्पताल में बिताना पड़ा था।
 
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री वर्तमान में अपने राजनीतिक करियर के सबसे मुश्किल दौर का सामना कर रही हैं। नंदीग्राम सीट से नामांकन दाखिल करने के बाद बुधवार रात को उन पर कथित हमला हुआ था जिसके बाद उन्होंने सीने में दर्द की शिकायत की थी। उनके पैर में चोट आयी है और वह अभी भी अस्पताल में भर्ती हैं।
 
बनर्जी ने आरोप लगाया कि उस दिन उन पर चार-पांच लोगों ने हमला किया। इस बार की लड़ाई अहम है क्योंकि मुख्य विपक्षी पार्टी के रूप में उभरी भाजपा चुनौती पेश कर रही है और लगातार तीसरी बार सत्ता में आने के उनके रास्ते में रुकावट बन रही है।
 
नंदीग्राम में उनका मुकाबला अपने पूर्व राजनीतिक समर्थक और अब भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी से है। उनके राजनीतिक कॅरियर में नंदीग्राम की अहम भूमिका है, क्योंकि 2007 में किसानों के जमीन अधिग्रहण के खिलाफ ऐतिहासिक आंदोलन और पुलिस के साथ संघर्ष तथा हिंसा के बाद वह बड़ी नेता के तौर पर उभरी थीं।
 
इसी आंदोलन की लहर से उन्होंने 2011 में वामपंथियों के सबसे लंबे शासन का अंत किया और पश्चिम बंगाल में माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चे के 34 साल के शासन को उखाड़ फेंका।
तृणमूल नेता सौगत राय ने कहा, 'ममता एक योद्धा है। आप उन पर जितना हमला करेंगे वह उतनी मजबूती से वापसी करेंगी।' भाजपा ने बनर्जी के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह सिर्फ सहानुभूति वोट बटोरने की कोशिश कर रही हैं।
 
पश्चिम बंगाल में भाजपा के अध्यक्ष दिलीप घोष ने गुरुवार को मामले में सीबीआई जांच की मांग की और कहा कि यह देखना जरूरी है कि कहीं यह सहानुभूति वोट बटोरने के लिए ‘‘नाटक’’ तो नहीं है क्योंकि राज्य के लोग पहले भी ऐसे नाटक देख चुके हैं।
 
कांग्रेस ने भी नंदीग्राम में बनर्जी पर हमले को लेकर उनकी आलोचना की। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने भी बनर्जी पर विधानसभा चुनाव में वोट के लिए सहानुभूति बटोरने का आरोप लगाया। (भाषा)

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