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पर्यावरण दिवस पर जन्म और पर्यावरण से योगी के सरोकार

पर्यावरण दिवस पर जन्म और पर्यावरण से योगी के सरोकार
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गिरीश पांडेय

, सोमवार, 5 जून 2023 (09:56 IST)
अमूमन पहले से घोषित किसी खास दिन और किसी के जन्मदिन में संबंध एक संयोग ही होता है। नाथ पंथ के मुख्यालय माने जाने वाले गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर एवं उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ भी एक ऐसा ही संयोग जुड़ा है। 5 जून को जिस दिन पूरी दुनिया में 'विश्व पर्यावरण दिवस' मनाया जाता है, उसी दिन योगी का जन्मदिन भी पड़ता है। जन्मदिन, 'विश्व पर्यावरण दिवस'  और जन, जंगल एवं जल संरक्षण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता इस अवसर को खास बना देती है।
 
विरासत में मिला है पर्यावरण प्रेम
 
पर्यावरण से योगी का यह प्रेम पुराना है। संभवत: यह उनको विरासत में मिला है। 5 जून 1972 को उनका जन्म प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के यमकेश्वर तहसील के पंचुर नामक गांव में हुआ। उनके पिता स्व. आनंद सिंह विष्ट वन विभाग में रेंजर थे। प्राकृतिक संपदा के लिहाज से समृद्धतम देवभूमि में जन्म और पिता की वन विभाग की सर्विस की वजह से प्रकृति के प्रति उनका लगाव स्वाभाविक है।
 
गोरखनाथ मंदिर भी प्राकृतिक रूप से बेहद संपन्न
 
बाद में जब वे गोरखपुर आए और नाथ पंथ में दीक्षित होकर गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बने, तब भी उनको प्रकृति के लिहाज से एक बेहद सुंदर माहौल मिला। गोरखपुर स्थित करीब 50 एकड़ में विस्तृत गोरखनाथ मंदिर परिसर की लकदक हरियाली, बीच-बीच में खूबसूरत फुलवारी, भीम सरोवर के रूप में खूबसूरत पक्का जलाशय, पॉलीथिन रहित परिसर इस सबका सबूत है।
 
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पीठ के उत्तराधिकारी एवं पीठाधीश्वर के रूप में योगी ने इसे और संवारा
 
योगी ने पीठ के उत्तराधिकारी एवं बाद में पीठाधीश्वर के रूप में इस परिसर को और सजाया-संवारा, साथ ही जमाने के अनुसार पर्यावरण संरक्षण के लिए नवाचार भी किए। करीब 400 गोवंश वाली देसी गायों की गोशाला में वर्मी कम्पोस्ट की इकाई के अलावा जल संरक्षण (वॉटर हार्वेस्टिंग) के लिए बने आधुनिक टैंक (सोख्ता) का निर्माण इसका सबूत है। यही नहीं, मुख्यमंत्री बनने के बाद मंदिर में चढ़ावे के फूलों से बनने वाली अगरबत्ती की एक इकाई भी उनकी पहल पर लगी।
 
मुख्यमंत्री बनने के बाद पद के अनुरूप सरोकार का फलक भी बढ़ा
 
मुख्यमंत्री बनने के बाद पर्यावरण के प्रति यह प्रेम और प्रतिबद्धता और भी व्यापक रूप में समग्रता में दिखती है। पौधरोपण के साथ वे बार-बार उत्तरप्रदेश पर प्रकृति एवं परमात्मा की असीम अनुकंपा का जिक्र करते हुए विषरहित जैविक खेती की पुरजोर पैरवी करते हैं।

पर्यावरण के प्रति समग्र सोच का नतीजा भी दिखने लगा
 
पर्यावरण के प्रति उनकी समग्र सोच का नतीजा भी दिखने लगा है। मसलन यहां के पीलीभीत के टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या 25 से बढ़कर 65 हो गई। अंतरराष्ट्रीय मानकों पर बाघ के संरक्षण के नाते दुधवा टाइगर रिजर्व को यूएनडीपी (यूनाइटेड नेशंस डेवलपमेंट प्रोगाम) एवं आईयूसीएन (इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजरवेशन ऑफ नेचर) द्वारा कैट्स पुरस्कार मिला।
 
परागण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली तितलियों के लिए प्रदेश के तीनों चिड़ियाघरों (शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान, गोरखपुर, नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान लखनऊ, कानपुर प्राणी उद्यान) में बटरफ्लाई पार्क की स्थापना की गई। पहली बार ईको टूरिज्म बोर्ड का गठन हुआ।
 
ब्रजकालीन सौभरी वन का विकास, जैविक विविधता से भरपूर (इटावा, रायबरेली, हरदोई, उन्नाव, गोंडा, मैनपुरी, आगरा, बिजनौर, संत कबीर नगर) वेट लैंड्स के संरक्षण के उपाय किए गए। प्राकृतिक सफाईकर्मी कहे जाने वाले और लुप्तप्राय हो रहे गिद्धों के संरक्षण के लिए महराजगंज जिले के भारीवैसी में जटायु संरक्षण एवं प्रजनन केंद्र बनाया गया। कुकरैल (लखनऊ) में देश की पहली नाइट सफारी के निर्माण की प्रकिया चल रही है।
 
पौधरोपण पर खासा जोर
 
बतौर मुख्यमंत्री योगी के पहले कार्यकाल में प्रदेश में हरियाली बढ़ाने के लिए हर साल रिकॉर्ड पौधरोपण के क्रम में 135 करोड़ से अधिक पौधरोपण हुआ, इसका नतीजा भी सामने है। स्टेट ऑफ फॉरेस्ट की रिपोर्ट 2021 के अनुसार उत्तरप्रदेश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 9.23 फीसदी हिस्से में वनावरण है। 2013 में यह 8.82 फीसदी था।
 
रिपोर्ट के अनुसार 2019 के दौरान कुल वनावरण एवं वृक्षावरण में 91 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है। वर्ष 2030 तक सरकार ने इस रकबे को बढ़ाकर 15 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है। इस चुनौतीपूर्ण लक्ष्य को हासिल करने के लिए योगी सरकार 2.0 ने अगले 5 साल में 175 करोड़ पौधों के रोपण का लक्ष्य रखा है। पिछले साल 35 करोड़ पौधे लगाए जा चुके हैं। अगले 4 साल तक हर साल इतने ही पौधरोपण का लक्ष्य है। इसके लिए अगले 5 साल में 175 करोड़ पौधे लगेंगे। इस वर्ष का लक्ष्य 35 करोड़ पौधरोपण का है।
 
योगी आदित्यनाथ चाहते हैं कि अधिक से अधिक लोग पौधरोपण से जुड़ें। यह जन आंदोलन बने। नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वटिका, पंचवटी, गंगा वन, अमृत वन जैसी योजनाओं के पीछे भी यही मकसद है। योगी की मॉनिटरिंग में पौधरोपण में कृषि जलवायु क्षेत्र (एग्रो क्लाइमेट जोन) के अनुरूप पौधों का चयन किया जाता है। बरगद, पीपल, पाकड़, नीम, बेल, आंवला, आम, कटहल और सहजन जैसे देशज पौधों को वरीयता मिलती है। अलग-अलग जिलों के लिए चिन्हित 29 प्रजातियों और 943 विरासत वृक्षों को केंद्र में रखकर पौधरोपण का ये अभियान चलाया जाता है।

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