Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

जानिए कब करनी चाहिए मूंगफली की बुवाई और कैसे करें बुवाई...

अवनीश कुमार
गुरुवार, 2 जुलाई 2020 (09:20 IST)
लखनऊ। उत्तरप्रदेश में यह समय किसानों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है और किसान खेतों में बुवाई की तैयारी के लिए खेतों को तैयार करने में लगे हुए हैं। ऐसे में बुवाई को लेकर तमाम सवाल किसानों के मन में चल रहे हैं कि कौन सी फसल इस समय लगाई जाए जिससे कि लगाई गई फसल से उन्हें फायदा हो सके।
ALSO READ: जानिए क्या है नकदी फसल जो किसानों को बना सकती है समृद्ध, कैसे करें फसल का बचाव...
इसी को लेकर 'वेबदुनिया' संवाददाता ने चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के आनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. महक सिंह से बातचीत की उन्होंने बताया कि हमारे किसान इस समय खेतों को बुवाई के लिए तैयार कर रहे हैं लेकिन मैं आपके माध्यम से किसान भाइयों को बताना चाहता हूं कि खरीफ के मौसम में तिलहनी फसलों के अंतर्गत मूंगफली की खेती का महत्वपूर्ण स्थान है। मूंगफली की बुवाई का उचित समय जुलाई के दूसरे सप्ताह तक है और अगर सही समय पर मूंगफली की बुवाई कर दी जाए तो लागत से भी कई गुना अधिक का फायदा किसान भाइयों को हो सकता है।
ALSO READ: Weather update : उत्तरप्रदेश में बारिश और ओलावृष्टि से फसलें तबाह, 28 लोगों की मौत
डॉ. सिंह ने बताया कि देश में मूंगफली के उत्पादन की विश्व उत्पादन में 34% की भागीदारी है। मूंगफली का देश में क्षेत्रफल 5.02 मिलियन हैक्टेयर है तथा उत्पादन 8.11 मिलियन टन तथा उत्पादकता 1,616 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर है जबकि उत्तरप्रदेश में मूंगफली का क्षेत्रफल 1.01 लाख हैक्टेयर, उत्पादन 1 लाख मीट्रिक टन तथा उत्पादकता 984 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर है।
 
डॉ. सिंह ने बताया कि मूंगफली के दानों में 25 से 30% प्रोटीन, 10 से 12% कार्बोहाइड्रेट तथा 45 से 55% वसा पाया जाता है तथा इसमें प्रोटीन, लाभदायक वसा, फाइबर, खनिज, विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं इसलिए इसके सेवन से स्किन उम्रभर जवां दिखाई देती है।
ALSO READ: उप्र में बेमौसम बारिश किसानों के लिए बनी मुसीबत, आलू-सरसों की फसलों को पहुंचा नुकसान
उन्होंने बताया कि मूंगफली में प्रोटीन की मात्रा मांस की तुलना में 1.3 गुना, अंडों से 2.5 गुना एवं फलों से 8 गुना अधिक होती है। मूंगफली की नवीनतम प्रजातियां चित्रा, कौशल, प्रकाश, अम्बर, उत्कर्ष, दिव्या एवं जीजेजी-31 आदि का प्रयोग करना चाहिए। 75 से 100 किलोग्राम बुवाई हेतु बीज की आवश्यकता होती है तथा बीज को बुवाई के पूर्व 2 ग्राम थिरम तथा 1 ग्राम कार्बेंडाजिम से उपचारित अवश्य कर लें जिससे कि रोगों के लगने की आशंका कम रहती है।
 
उन्होंने बताया कि मूंगफली की बुवाई करते समय 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 30 किलोग्राम फॉस्फोरस, 45 किलोग्राम पोटाश, 250 किलोग्राम जिप्सम एवं 4 किलोग्राम बोरेक्स (सुहागा) प्रति हैक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। वहीं किसानों को सलाह देते हुए डॉ. खलील खान ने बताया कि मूंगफली की बुवाई से पूर्व राइजोबियम कल्चर से शोधित करने के उपरांत ही बुवाई करें जिससे कि वायुमंडलीय नाइट्रोजन को पौधे ग्रहण कर लेते हैं और फसल उत्पादन अच्छा होता है।

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Modi-Jinping Meeting : 5 साल बाद PM Modi-जिनपिंग मुलाकात, क्या LAC पर बन गई बात

जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

कैसे देशभर में जान का दुश्मन बना Air Pollution का जहर, भारत में हर साल होती हैं इतनी मौतें!

नकली जज, नकली फैसले, 5 साल चली फर्जी कोर्ट, हड़पी 100 एकड़ जमीन, हे प्रभु, हे जगन्‍नाथ ये क्‍या हुआ?

लोगों को मिलेगी महंगाई से राहत, सरकार बेचेगी भारत ब्रांड के तहत सस्ती दाल

सभी देखें

नवीनतम

दीपोत्सव 2024 : 1100 वेदाचार्य करेंगे सरयू आरती, अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की होगी रामलीला, बनेंगे नए रिकॉर्ड

UP की सभी 9 सीटों पर SP लड़ेगी उपचुनाव, अखिलेश यादव का ऐलान

महाराष्ट्र : MVA के दलों में 85-85 सीट पर बनी बात, पढ़िए कहां फंसा है पेंच

Meerut : एनसीआर में पेट्रोल पंपों पर मिल रहा मिलावटी तेल, पेट्रोलियम पदार्थ के काले कारोबार का भंड़ाफोड़, 6 आरोपी पुलिस हिरासत में

Wayanad Election : प्रियंका गांधी ने घोषित की संपत्ति, जानिए कितनी अमीर हैं कांग्रेस महासचिव

આગળનો લેખ
Show comments