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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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नज़्म
Happy Mothers Day : मदर्स डे पर पढ़ें छोटी-छोटी नज़्में
जश्न-ए-आजादी : जमाने को नया रास्ता दिखा दिया हमने
नज्म : मेरे महबूब !
नज़्म - कली का मसलना देखा
नज़्म - कली क्यूं झरे
मीना कुमारी ने लिखी थी यह 5 गजलें ...
पढ़िए, निदा फाज़ली की 5 मशहूर नज़्में
जश्न-ए-आजादी : भारत की तरक्की रुक नहीं सकती...
नज़्म---'निसार करूँ'
जाँ निसार अख़्तर की नज़्म 'एहसास'
मैं कोई शे'र न भूले से कहूँगा तुझ पर फ़ायदा क्या जो मुकम्मल तेरी तहसीन न हो कैसे अल्फ़ाज़ के साँचे मे
नज़्म 'बलूग़त' (वयस्क)
मेरी नज़्म मुझसे बहुत छोटी थी खेलती रहती थी पेहरों आग़ोश में मेरी आधे अधूरे मिसरे मेरे गले में बाँहें...
रुबाइयाँ : मेहबूब राही
हर बात पे इक अपनी सी कर जाऊँगा जिस राह से चाहूँगा गुज़र जाऊँगा जीना हो तो मैं मौत को देदूँगा शिकस्त ...
नज़्म : 'तख़लीक़'
मरमरीं ताक़ में दीपक रख कर, तेरी आँखों को बनाया होगा सुर्मा-ए-च्श्म की ख़ातिर उसने, फिर कोई तूर जलाया
ईद-ए-क़ुरबाँ
लेके पैग़ामे-मसर्रत आगया दिन ईद का आज सब ही ने भरी हैं क़हक़हों से झोलियाँ
नज़्म : 'जाने ग़ज़ल'
चाँद चेहरे को तो आँखों को कंवल लिक्खूँगा जब तेरे हुस्न-ए-सरापा पे ग़ज़ल लिक्खूँगा
हज़ल : वाहिद अंसारी बुरहामपुरी
हर तरफ़ जश्न-ए-बहाराँ, हर तरफ़ रंग-ए-निशात सूना-सूना है हमारे दिल का आँगन दोस्तो
क़तआत : रूपायन इन्दौरी
कुछ करम में कुछ सितम में बाँट दी कुछ सवाल-ए-बेश-ओ-कम में बाँट दी ज़िन्दगी जो आप ही थी क़िब्लागाह हम ...
नज़्म : 'सियासत में'
नज़्म : नग़मा-ए-शौक़
मज़ाहिया क़तआत
बस तीन दिन हुए हैं बड़ीबी की मौत को सठया गए हैं दोस्तो कल्लू बड़े मियाँ चर्चा ये हो रहा है के सब भूल-
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