Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

नज्म : मेरे महबूब !

नज्म : मेरे महबूब !
-फ़िरदौस ख़ान
मेरे महबूब !
तुम्हारा चेहरा
मेरा कुरान है
जिसे मैं
अजल से अबद तक
पढ़ते रहना चाहती हूं...
तुम्हारा जि‍क्र
मेरी नमाज है
जिसे मैं
रोजे-हश्र तक
अदा करते रहना चाहती हूं...
 
मेरे महबूब !
तुमसे मिलने की चाह में
दोजख से भी गुजर हो तो
गुजर जाना चाहती हूं...
 
तुम्हारी परस्तिश ही 
मेरी रूह की तस्कीन है
तुम्हारे इश्क में 
फना होना चाहती हूं...

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

शिक्षाप्रद कहानी : पतंग की डोर