Telangana Election Results : तेलंगाना विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस का चेहरा बने रेवंत रेड्डी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर को न सिर्फ जीत की हैट्रिक लगाने से रोका बल्कि विधानसभा चुनाव 2023 में 3 राज्यों में बुरी तरह हारी कांग्रेस के जख्मों पर तेलंगाना में जीत का मरहम भी लगाया है।
2013 में तेलंगाना के गठन के बाद से राज्य में केसीआर के अलावा कोई मुख्यमंत्री नहीं बना पिछले चुनाव के बाद तेलंगाना में कांग्रेस के सिर्फ 8 विधायक रह गए थे। तो सवाल है कि आखिर उन्होंने यह बदलाव किया कैसे?
इसका बड़ा कारण है कांग्रेस का वादा कि उसने तेलंगाना में सरकार बनाई तो वो हर बेरोजगार युवा को 4 हजार रुपए प्रति माह, महिलाओं को ढाई हजार रुपए प्रति माह, बुजुर्गों के लिए 4 हजार रुपए प्रति माह पेंशन, किसानों को 15 हजार रुपए देगी।
रेवंत रेड्डी कहते हैं कि वेलफेयर मॉडल और डिवेलपमेंट मॉडल कांग्रेस सरकार की दो आंखें रही हैं, काबिल लोगों को अवसर देना हमारी नीति है, जो लोग दूसरों पर निर्भर हैं, उनको सहारा देना भी सरकार की ज़िम्मेदारी है। अविभाजित आंध्र प्रदेश के महबूबनगर ज़िले में साल 1969 में पैदा हुए अनुमुला रेवंत रेड्डी ने राजनीति की शुरुआत अपने छात्र जीवन से ही कर दी थी।
उस्मानिया विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन करने वाले रेड्डी उस समय एबीवीपी से जुड़ गए। बाद में वो चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी में शामिल हो गए। टीडीपी के उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने साल 2009 में आंध्र प्रदेश की कोडांगल विधानसभा सीट से चुनाव जीता था।
साल 2014 में रेड्डी तेलंगाना विधानसभा में टीडीपी के सदन के नेता चुने गए। साल 2017 में वो कांग्रेस में शामिल हो गए। हालांकि कांग्रेस में जाना उनके लिए अच्छा नहीं रहा क्योंकि 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में वो टीआरएस उम्मीदवार से हार गए।
केसीआर ने चुनाव से एक साल पहले विधानसभा भंग करके पहले ही चुनाव करवा दिया था। विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस ने उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में मलकाजगिरि से टिकट दिया जिसमें उन्होंने सिर्फ़ 10,919 वोटों से जीत दर्ज की।
साल 2021 में कांग्रेस ने उन्हें बड़ी ज़िम्मेदारी देते हुए प्रदेश अध्यक्ष चुना। पूरे चुनाव प्रचार के दौरान रेवंत रेड्डी ने कांग्रेस के वादों का प्रचार किया। इसके साथ ही चुनाव प्रचार के दौरान वो इस बात को दोहराते रहे कि तेलंगाना का गठन कांग्रेस ने ही किया था।