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Kajari teej 2024: कजरी तीज चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि, व्रत के नियम और पूजा का तरीका

Kajari teej 2024: कजरी तीज चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि, व्रत के नियम और पूजा का तरीका

WD Feature Desk

, बुधवार, 21 अगस्त 2024 (12:23 IST)
Kajri Teej 2024: भाद्रपद माह के कृष्‍ण पक्ष की तीज को कजरी तीज कहते हैं। इस बार यह  22 अगस्त 2024 गुरुवार को रहेगी। इसे कज्जली तीज के नाम से भी जाना जाता है। कजरी तीज का पर्व विवाहितों द्वारा अपने मायके में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार संतान प्राप्ति के लिए जरूरी माना जाने वाला यह पर्व रक्षाबंधन के तीन दिन बाद और कृष्ण जन्माष्टमी से पांच दिन पहले आने वाली तीज तिथि पर मनाया जाता है, जिसे कजली तीज, सातुड़ी तीज या कजरी तीज के रूप में मनाते हैं। 
 
पूजा की तैयारी कैसे करें?
1. कजरी तीज पर नीमड़ी माता की पूजा और चंद्र देव को अर्घ्‍य देने का नियम है। 
2. सबसे पहले घी और गुड़ से पाल बांधकर मिट्टी व गोबर से दीवार के सहारे एक तालाब जैसी आकृति बनाएं।
3. उसके पास नीम की टहनी को रोप देते हैं। 
4. इसके बाद तालाब में कच्चा दूध और जल डालें और किनारे पर एक दीया जलाकर रखें। 
5. थाली में नींबू, ककड़ी, केला, सेब, सत्तू, रोली, मौली, अक्षत आदि रखे जाते हैं। 
6. लोटे में कच्चा दूध लें और फिर शाम के समय श्रृंगार करने के बाद नीमड़ी माता की पूजा करें।
 
कजरी तीज की पूजा विधि:
1. सबसे पहले नीमड़ी माता को जल और रोली के छींटे दें और चावल अर्पित करें।
2. नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर अनामिका उंगली से मेहंदी, रोली की बिंदी लगाएं।
3. तर्जनी अंगुली से काजल की 13-13 बिंदिया लगाएं। 
4. नीमड़ी माता को मौली अर्पित करने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र अर्पित करें। 
5. फिर फल और दक्षिणा अर्पित करें और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांध दें।
6. अब पूजा स्थल पर बने तालाब के किनारे पर रखे दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला आदि देखें। 
नीमड़ी माता की पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।
 
चंद्रमा को अर्घ्‍य देने की विधि:-
1. कजरी तीज पर संध्या के समय नीमड़ी माता की पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
1. चंद्रमा को अर्घ्‍य देने के लिए उन्हें जल के छींटे देकर रोली, मोली, अक्षत चढ़ाएं और फिर नैवेद्य अर्पित करें।
2. एक जगह खड़े होकर चांदी की अंगूठी और गेहूं के दाने हाथ में लेकर जल से अर्घ्य दें और फिर चार बार घुमें।
 

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