Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

कब है दीपावली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर 2024?

Diwali 2024: दिवाली 31 अक्टूबर या 1 नवंबर 20224 की, कब की है? जानें शास्त्र सम्मत सही तारीख

chhoti diwali rangoli design

WD Feature Desk

, बुधवार, 21 अगस्त 2024 (12:17 IST)
Diwali kab hai 2024: हिंदू धर्म के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार मनाते हैं। अमावस्या की रात में माता लक्ष्मी और मां काली की पूजा होती है। 31 अक्टूबर दोपहर को अमावस्या तिथि प्रारंभ होकर 1 नवंबर शाम को समाप्त होगी। यानी दोनों ही दिन अमावस्या रहेगी। आओ जानते हैं कि महालक्ष्मी पूजा कब करें।  
 
अमावस्या तिथि प्रारम्भ- 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 03:52 बजे से।
अमावस्या तिथि समाप्त- 01 नवम्बर 2024 को शाम 06:16 बजे तक।
 
कुछ ज्योतिष उदयातिथि के अनुसार 01 नवंबर को दिवाली मनाने की सलाह दे रहे हैं परंतु अधिकतर का मानना है कि दिवाली की पूजा रात्रिकाल में होती है और रात्रि की अमावस्या 31 अक्टूबर गुरुवार को रहेगी। कुछ लोग निशिथ काल में पूजा करते हैं जो कि 31 अक्टूबर को ही रहेगा। हालांकि कुछ ज्योतिषियों के अनुसार दोनों ही दिन दिवाली मनाए जाने में कोई हर्ज नहीं है लेकिन यदि आप प्रदोषकाल और निशिथ काल की पूजा करना चाहते हैं तो 31 अक्टूबर को ही करें। हमारे अनुसार दिवाली 31 अक्टूबर की रात को ही मनाई जाना चाहिए।
webdunia
Goddess Lakshmi
31 अक्टूबर 2024 दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजा के शुभ मुहूर्त:-
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 04:49 से 05:41 तक।
प्रात: संध्या: प्रात: 05:15 से 06:32 तक।
अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:42 से 12:27 तक।
विजयी मुहूर्त: दोपहर 01:55 से 02:39 तक।
गोधुली मुहूर्त: शाम 05:36 से 06:02 तक।
संध्या पूजा : शाम 05:36 से 06:54 तक।
अमृत काल : शाम 05:32 से 07:20 तक।
निशिथ पूजा काल : रात्रि 11:39 से 12:31 तक। 
webdunia
Lakshmi Puja Vidhi
01 नवंबर को दिवाली पूजा का शुभ मुहूर्त:
- यदि आप 1 नवबंर को लक्ष्मी पूजा करना चाहते हैं तो जानें इस दिन के शुभ मुहूर्त।
 
- लक्ष्मी पूजा का समय- शाम 05 बजकर 36 मिनट से शाम 06.16 तक रहेगा।
 
- प्रदोष काल का मुहूर्त- शाम 05 बजकर 36 मिनट से रात्रि 08 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
 
माता लक्ष्मी की पूजा कैसे करें?
1. नित्य कर्म से निवृत्त होने के बाद माता लक्ष्मी के मूर्ति या चि‍त्र को लाल या पीला कपड़ा बिछाकर लकड़ी के पाट पर रखें।
 
2. मूर्ति को स्नान कराएं और यदि चित्र है तो उसे अच्छे से साफ करें।
 
3. धूप, दीप जलाएं। फिर देवी के मस्तक पर हल्दी कुंकू, चंदन और चावल लगाएं। फिर उन्हें हार और फूल चढ़ाएं।
 
4. पूजन में अनामिका अंगुली यानी रिंग फिंगर से गंध, चंदन, कुमकुम, अबीर, गुलाल, हल्दी, मेहंदी लगाना चाहिए। फिर नैवेद्य (भोग) अर्पित करें।
 
5. इसके बाद माता की आरती उतारें। आरती एवं पूजा के बाद प्रसाद  का वितरण करें। 

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

Janmashtami Recipe : कैसे बनाएं जन्माष्टमी पर पंचामृत का भोग, नोट करें रेसिपी