सैयद मुज्ताबा हुसैन किरमानी एक पूर्व भारतीय क्रिकेटर हैं जिन्होंने भारत के लिए विकेटकीपर के तौर पर क्रिकेट खेला है। 1982 में उन्हें नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
करियर
सैयद किरमानी ने अपने करियर की शुरुआत फरोख इंजीनियर के अंडर में भारत के 1971 और 1973 में इंग्लैंड टूर और 1975 में क्रिकेट वर्ल्ड कप के दौरान की। किरमानी ने शुरुआत न्यूजीलैंड के खिलाफ की और अपने दूसरे ही टेस्ट मैच में 1 पारी में 6 विकेट के विश्व रिकॉर्ड की बराबरी कर ली।
इसके बाद उनका प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा। जहां वेस्टइंडीज में विवियन रिचर्ड्स के 3 टेस्ट में लगातार शतक बनाने में किरमानी का बुरा प्रदर्शन सहायक बना। जब न्यूजीलैंड भारत के दौरे पर अगले साल आया, किरमानी ने बल्लेबाजी में फिर एक बार बढ़िया प्रदर्शन किया। उन्होंने 65.33 का औसत बनाया। भारत के ऑस्ट्रेलिया टूर पर उन्होंने 305 रन बनाए। 1978-79 में पाकिस्तान और वेस्टइंडीज के खिलाफ उनका विकेट के पीछे रिकॉर्ड अच्छा नहीं रहा।
इसी के चलते, उन्हें भारत रेड्डी के लिए टीम से बाहर कर दिया गया। वे 1979 के वर्ल्ड कप में टीम का हिस्सा नहीं थे। सुनील गावस्कर को कप्तान पद से हटा दिया गया था। हालांकि किरमानी के शामिल न किए जाने के पीछे उनका खराब फॉर्म जिम्मेदार था, कुछ अफवाहों के अनुसार उन्हें और गावस्कर को केरी पैकर्स वर्ल्ड सीरिज के ऑर्गनाइजरों से भी ऑफर मिला था।
टीम में वापसी के बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ किरमानी ने 1979-80 में एक शतक जमाया। वे मुंबई में नाइट वॉचमैन (ऐसा पुछ्ल्ला खिलाड़ी जिसे दिन का खेल खत्म होने तक खेलना होता है जिससे जिम्मेदार बल्लेबाज अगले दिन के खेल के लिए तरोताजा रहें) के तौर पर ऊपर ऑर्डर में भेजे गए। उन्होंने इस मैच में 5 घंटे खेलकर 101 रनों की पारी खेली। इसी सीजन में उन्होंने विकेटकीपर के तौर पर पाकिस्तान के खिलाफ 17 कैच लपके और 2 स्टंपिंग की।
1983 वर्ल्ड कप
1983 के वर्ल्ड कप के लिए किरमानी को बेस्ट विकेटकीपर के अवॉर्ड से नवाजा गया। उनका सबसे बढ़िया कैच फाउड्स बशुज का कैच था, जो उन्होंने फाइनल मैच में वेस्टइंडीज के खिलाफ लिया था। किरमानी लोअर ऑर्डर के जिम्मेदार और भरोसेमंद बल्लेबाज थे। 1983 के वर्ल्ड कप में जिम्बाब्वे के विरुद्ध उन्होंने कपिल देव के साथ मिलकर नौवें विकेट के लिए 126 रनों की साझेदारी की।
1984-1986
मुंबई में किरमानी ने अपना दूसरा शतक जमाया। उन्होंने 102 रन बनाए और 7वें विकेट के लिए रवि शास्त्री के साथ 235 रनों का भारतीय रिकॉर्ड भी बनाया। चेन्नई में इसी सीरिज में सदानंद विश्वनाथ को टीम में जगह देने के लिए किरमानी को टीम में नहीं रखा गया।
1985-86 में किरमानी ने टीम में वापसी की। वे जब बहुत अच्छा खेल दिखा रहे थे, तब पैर में चोट लगने के कारण आगे नहीं खेल सके। इसके साथ ही उनका अंतरराष्ट्रीय करियर खत्म हो गया। भारतीय टीम में अधिक युवा खिलाड़ी किरण मोरे और चन्द्रकांत पंडित को जगह मिल गई।
फिल्मों में भूमिका
किरमानी ने फिल्म 'कभी अजनबी थे' में एक अंडरवर्ल्ड के किरदार की भूमिका निभाई। इसी फिल्म में क्रिकेटर संदीप पाटिल भी नजर आए। वे भारतीय चयनकर्ताओं की कमेटी के चैयरमैन भी 2000 में रहे। वे आगामी मलयालम फिल्म 'मजविलिनैटम वरे' में भी नजर आएंगे। वे फिल्म में खुद का रोल अदा करेंगे।