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कृपाशंकर बिश्नोई की देखरेख में रेलवे के 'पहलवान' नैनीताल में ठोकेंगे ताल

कृपाशंकर बिश्नोई की देखरेख में रेलवे के 'पहलवान' नैनीताल में ठोकेंगे ताल
, शुक्रवार, 24 मई 2019 (21:47 IST)
नई दिल्ली। भारतीय रेलवे 30 मई से 28 जून तक अपने 58 चुने हुए पहलवानों का प्रशिक्षण शिविर 1938 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित करने जा रहा है। रेलवे खेल संवर्द्धन बोर्ड (आरएसपीबी) के सचिव प्रेमचंद लोचब ने प्रशिक्षण शिविर की मंजूरी करते हुए बताया कि प्रशिक्षण के लिए उत्तराखंड राज्य के नैनीताल शहर की कुमाऊं पहाड़ियों का चयन किया है।
 
1938 मीटर की ऊंचाई पर पहलवान करेंगे जोर : उन्होंने कहा कि नैनीताल हिमालय की कुमाऊं पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है। समुद्र तल से नैनीताल की कुल ऊंचाई लगभग 1938 मीटर है और उस स्थान पर प्रशिक्षण करने से हमारे पहलवानों को लाभ मिलेगा। पहलवानों को प्रशिक्षण देने के लिए हमने 6 अनुभवी कुश्ती प्रशिक्षकों को इसकी जिम्मेदारी दी है जिसमें अर्जुन अवॉर्डी कृपाशंकर बिश्नोई (पश्चिम रेलवे), अर्जुन अवॉर्डी शोकिंदर तोमर (उत्तर रेलवे), परवेश मान (उत्तर रेलवे), ऑस्ट्रेलिया राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप के स्वर्ण पदक विजेता जय भगवान (उत्तर-पश्चिम रेलवे), रीछपाल सिंह (उत्तर रेलवे) और सुरेन्द्र कादियान (उत्तर-पश्चिम रेलवे) लिस्ट में शामिल हैं।
 
नैनीताल में लगेगा शिविर : रेलवे खेल संवर्द्धन बोर्ड (आरएसपीबी) के खेल अधिकारी रवीन्द्र सिंह ने कहा कि हाई एल्टीट्यूड प्रशिक्षण के लिए नैनीताल सही जगह है। इससे पहले भी हमारे पहलवान वर्ष 2017 में नैनीताल प्रशिक्षण करके आए हैं। हाई एल्टीट्यूड प्रशिक्षण से रेलवे अपने पहलवानों में ऑक्सीडेटिव एंजाइम करने की क्षमता में वृद्धि करना चाहता है, साथ ही संवर्द्धित मांसपेशी ऊर्जा की दक्षता को बढ़ाना हमारा मकसद है। इससे सीनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप 2019 में रेलवे के पहलवानों का प्रदर्शन बेहतर होगा।
 
ऊंचाई पर अभ्यास करने से मिलेगा फायदा : भारतीय रेलवे के प्रमुख कोच कृपाशंकर बिश्नोई (अर्जुन अवॉर्डी) के अनुसार 1,800 से 2,300 मीटर की ऊंचाई पर अभ्यास करने से टीम को अच्छा फायदा मिलेगा। बिश्नोई ने कहा ऐसे प्रशिक्षण से खिलाड़ियों की एंडोरेंस क्षमता में वृद्धि होगी। पहाड़ी क्षेत्रों में ऑक्सीजन कम होती है इसलिए व्यायाम के बाद थकान और बेहतर रिकवरी के लिए अधिक समय लगता है, जो बाद में समुद्र तल व मैदानी इलाकों पर आकर आपके खेल को बेहतर प्रदर्शन की ओर ले जाता है। इसका खेल पर सीधे फायदा होता है।
 
प्रशिक्षण कम से कम 30 दिन का तो होना ही चाहिए : भारतीय रेलवे टीम के एक और प्रशिक्षक 2002 मैनचेस्टर राष्ट्रमंडल खेल के रजत पदक विजेता शौकिंद्र तोमर (अर्जुन अवॉर्डी) कहते हैं कि हाई एल्टीट्यूड प्रशिक्षण कम से कम 30 दिन का तो होना ही चाहिए। इसके बाद खिलाड़ियों से अपेक्षा की जा सकती है कि वे निचले क्षेत्रों में बेहतर परिणाम प्राप्त करें। वहीं ऑस्ट्रेलिया राष्ट्रमंडल खेल के स्वर्ण पदक विजेता रेलवे कुश्ती कोच जय भगवान कहते हैं कि हाई एल्टीट्यूड प्रशिक्षण से पहलवानों में ईपीओ, लाल रक्त कोशिकाओं की मात्रा और VO2 मैक्स में बढ़ोतरी होगी और उनके कुश्ती अभ्यास व एनारोबिक बफरिंग क्षमता में सुधार होगा।
 
राष्ट्रीय कुश्ती में रेलवे का वर्चस्व : रेलवे खेल संवर्द्धन बोर्ड (आरएसपीबी) के सचिव प्रेमचंद लोचब ने बताया कि भारतीय रेलवे कुश्ती में बहुत बड़ी शक्ति है। कई वर्षों से राष्ट्रीय चैंपियनशिप हम जीत रहे हैं। पिछले वर्ष भी हमारे पहलवानों ने तीनों शैलियों में चैंपियनशिप जीती थी। भारतीय रेलवे के पहलवानों पर हमें गर्व है। साइंटिफिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के तहत पहलवानों को तैयार किया जा रहा है ताकि वर्ष 2019 में आयोजित सीनियर नेशनल चैंपियनशिप में भारतीय रेलवे एक बार फिर चैंपियन बने।

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