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रेलवे अधिकारियों को खेलों के प्रति जागरूक करें, इसका महत्व शिक्षा से कम नहीं : कृपाशंकर बिश्नोई

रेलवे अधिकारियों को खेलों के प्रति जागरूक करें, इसका महत्व शिक्षा से कम नहीं : कृपाशंकर बिश्नोई
, शुक्रवार, 12 अप्रैल 2019 (19:28 IST)
वडोदरा। खेलों का महत्व शिक्षा से कम नहीं रह गया, सिर्फ जरूरत है रेलवे के अधिकारियों को खेलों के प्रति जागरूक करने की। यह बात इंदौर के अर्जुन अवॉर्डी और कुश्ती कोच कृपाशंकर बिश्नोई ने भारतीय रेलवे की राष्ट्रीय एकेडमी वडोदरा में रेलवे विभाग की ओर से आयोजित 2019 'मैनेजमेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम' व 'ए इंडक्शन प्रोग्राम' के दौरान कही।
 
फिल्म 'दंगल' में मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान व महिला अभिनेत्रियों को कुश्ती के गुर सिखाने वाले भारतीय महिला कुश्ती टीम के कोच कृपाशंकर बिश्नोई बतौर मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में मौजूद थे। यह जानकारी भारतीय रेलवे की राष्ट्रीय एकेडमी वडोदरा के सीनियर प्रोफेसर सच्चिंदर मोहन शर्मा (प्रबंधन) ने दी।
 
'मैनेजमेंट डेवलपमेंट प्रोग्राम' और 'ए इंडक्शन प्रोग्राम' कोर्स में भाग ले रहे अधिकारियों से कृपाशंकर बिश्नोई ने कहा कि भारतीय रेलवे खेल और खिलाड़ियों को सही सम्मान और स्थान देती है, इसके लिए रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड प्रतिबद्ध है। रेलवे से जुड़ा कोई भी खिलाड़ी अगर अंतरराष्ट्रीय मंच पर शानदार प्रदर्शन करता है तो रेलवे उसे सम्मान और समय से पहले पदोन्नति देने में पीछे नहीं रहती।
 
उन्होंने कहा कि प्रमोशन बोर्ड ने अपनी एक खेल व्यवस्था बनाई हुई है जिससे भारतीय खेलों को और अधिक से अधिक प्रोत्साहन मिलता है। उन्होंने आक्रामक अंदाज में कहा कि खिलाड़ी बहुत मेहनत के बाद कोई मुकाम हासिल करते हैं। कोई खिलाड़ी उस दिन के लिए सारी उम्र मेहनत करता है, जब वह अपने खेल से इतिहास लिखता है।
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कहने और सुनने में यह काफी आसान लगता है कि मैं बड़ा होकर खिलाड़ी बनूंगा लेकिन भारत जैसे देश में खिलाड़ी बनना काफी मुश्किल नहीं है। खेलों का महत्व शिक्षा से कम नहीं रह गया, सिर्फ जरूरत है रेलवे के अधिकारियों को खेलों के प्रति जागरूक करने की। अमूमन कई बार यह देखा गया है कि बहुत सारे रेलवे जोन में खिलाड़ियों और प्रशिक्षकों को अपना खेल जारी रखने में बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
 
कृपाशंकर के अनुसार कई रेलवे के अधिकारियों को खेलों का ज्ञान नहीं होता। जो अधिकारी पढ़-लिखकर यूपीएससी व आईआरसीटीएस के द्वारा सीधे रेलवे विभाग में आते हैं, उनका खेल और खिलाड़ियो से कोई वास्ता नहीं रहता। ऐसे में वे समझने को भी तैयार भी नहीं होते। कई अधिकारी तो सिर्फ क्रिकेट को ही स्पोर्ट्स मानते हैं, ऐसे में नुकसान दूसरे खेलों का होता है।
 
कृपाशंकर ने कहा कि रेलवे स्पोर्ट्स प्रमोशन बोर्ड को चाहिए कि वे रेलवे विभाग के उन अधिकारियों को खेलों के प्रति शिक्षित व जागरूक करें। कार्यक्रम के अंत में रेलवे के कुश्ती कोच ने खेल और शिक्षा दोनों के महत्व पर भी प्रकाश डालते कहा कि जीवन में खेलों का भी उतना ही महत्व है जितना कि शिक्षा का। शिक्षा से जहां आपका मानसिक विकास होता है, वहीं खेलों से शारीरिक विकास होता है।
 
कृपाशंकर ने कहा कि आधुनिक समय में लोगों के पास समय की कमी के कारण मनोरंजन का समय कम होता जा रहा है जिसके कारण शरीर बीमारियों का घर होता जा रहा है। ऐसे में खेल ही ऐसा माध्यम है, जो मनोरंजन के साथ-साथ शरीर को स्वस्थ रखता है। उन्होंने बताया कि खेलों को पाठ्यक्रम से जोड़ने के लिए मैंने भारतीय रेलवे की राष्ट्रीय एकेडमी प्रबंधन से इस संबंध में चर्चा की है।
 
उन्होंने कहा कि 'दंगल' फिल्म के बाद हर कोई कुश्ती करना चाहता है। गत वर्ष मेरे द्वारा दी गई सलाह पर इस वर्ष भारतीय रेलवे राष्ट्रीय एकेडमी प्रबंधन अंतर सर्विस ग्रुप 'ए' प्रोबेशनरी रेलवे अधिकारियों के बीच कुश्ती मुकाबले करते के लिए तैयार है।

कार्यक्रम में भारतीय रेलवे राष्ट्रीय एकेडमी वडोदरा के डायरेक्टर जनरल प्रदीप कुमार, विनीत कुमार सक्सेना उपमहानिदेशक (डीडीजी), सच्चिंदर मोहन शर्मा, सीनियर प्रोफेसर, कृष्णकांत गोयल, सीनियर प्रोफेसर (वित्त और निवेश) उपस्थित थे।

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