उज्जैन। आस्था के आगे आपदा भी हार मान रही है। 6 मई को तेज आंधी और बारिश ने भले ही 7 लोगों की जान ले ली और भले ही 40 से ज्यादा लोग तंबुओं के नीचे दबने से घायल हो गए हों लेकिन सोमवार को उज्जैन महाकुंभ में होने वाले शाही स्नान में आने वाले 15 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं पर कोई असर नहीं पड़ा है। यही तो आस्था की मिसाल है...महाकाल की नगरी में श्रद्धालुओं का मेला लगा हुआ है और यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं का सिलसिला देर रात तक जारी रहा।
मौसम विभाग ने रविवार-सोमवार को वापस धूलभरी आंधी चलने और बारिश की आशंका जारी किए जाने के बावजूद यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की आस्था में कोई कमी नहीं दिखाई दी। सिंहस्थ महानगरी तो श्रद्धालुओं से अटी पड़ी है, लेकिन शहर के अन्य हिस्सों में भी भीड़ का सैलाब सा बना हुआ है।
सिंहस्थ महाकुंभ का तीसरा रविवार सिंहस्थ की नगरी में श्रद्धालुओं का ऐसा सैलाब लेकर आया कि पहले शाही स्नान और अमावस्या का पर्व स्नान भी फीका पड़ गया। पहली बार चक्रतीर्थ श्मशान के घाट पर 50 हजार श्रद्धालुओं ने रविवार तड़के 5 बजे से डुबकी लगाई।
इसी तरह लालपुल के घाटों पर भी पहली बार श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं के पहुंचने का क्रम कल शाम से ही शुरू हो गया था और नानाखेड़ा स्टेडियम की 7 बीघा की पार्किंग 200 बसों और 5 हजार कारों से फुल हो गई। लालपुल पर भी 200 कारें खड़ी होने से जाम लग गया। 100 जवान इस पुल का जाम हटवा रहे थे। रामघाट पर सर्वाधिक भीड़ थी और ये भीड़ छोटे पुल से नृसिंह घाट तक बनी रही।
रविवार को इंदौर में भी बारिश हुई और लोगों ने देर रात उज्जैन जाने का फैसला किया। उज्जैन प्रशासन के लिए 15 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं को संभालना सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। बारिश ने उनकी इस चुनौती को कई गुना बढ़ा दिया है।