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श्रावण मास और श्री कृष्ण का क्या है संबंध, जानिए 10 बातें

श्रावण मास और श्री कृष्ण का क्या है संबंध, जानिए 10 बातें

अनिरुद्ध जोशी

, मंगलवार, 7 जुलाई 2020 (12:19 IST)
हिन्दू कैलेंडर अनुसार आषाढ़ माह के बाद श्रावण माह लगता है। श्रावण और भाद्रपद 'वर्षा ऋतु' के मास हैं। वर्षा नया जीवन लेकर आती है। इस माह से ही चातुर्मास लगता है। खासकर यह संपूर्ण माह भगवान शिव का माह माना जाता है लेकिन इस मास का संबंध श्रीकृष्ण से भी है।
 
 
1. रासलीला : इस माह को प्रेम और नव जीवन का माह भी कहा जाता है। मोर के पांव में नृत्य बंध जाता है। संपूर्ण सृष्टि नृत्य करने लगती हैं। वसंत के बाद श्रीकृष्ण इसी माह में रास रचाते हैं। ब्रजमंडल में श्रावण मास में मनायी जाने वाली रासलीला कम आकर्षक नहीं होती है। वृन्दावन का प्रमुख आकर्षण विश्वप्रसिद्ध रासाचार्यो द्वारा रासलीला प्रस्तुत की जाती है। जिनमें कृष्ण लीलाओं का जीवन्त प्रस्तुतीकरण होता है। 
 
2. कृष्ण जन्माष्टमी : श्रावण और भाद्रपद 'वर्षा ऋतु' के मास हैं। इसी ऋतु में भाद्रपद की अष्टमी को कृष्ण जन्माष्टमी का सबसे बड़ा त्योहार आता हैं। 
 
3. मनचाहा वर देते हैं कृष्ण : श्रावण कृष्ण पक्ष की अष्टमी से भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी अर्थात श्रीकृष्ण जन्माष्टमी तक एक महीने तक श्रीकृष्ण आराधना की जाती है। कहते हैं कि जो इस दौरान कृष्ण आराधना करता है उसे मोक्ष प्राप्त होता है। कहते हैं कि इस मास में भगवान श्रीकृष्ण प्रसन्न रहते हैं और मनचाहे वर देते हैं। 
 
4. राशि अनुसार करें कृष्ण अराधना : इस माह में राशि अनुसार श्रीकृष्ण के मंत्र का जाप करने से मनोरथ पूर्ण होते हैं। जैसे..
मेष : ॐ विश्वरूपाय नम: का जाप करें।
वृषभ : ॐ उपेन्द्र नम: का जाप करें।
मिथुन : ॐ अनंताय नम: का जाप करें।
कर्क : ॐ दयानिधि नम: का जाप करें।
सिंह : ॐ ज्योतिरादित्याय नम: का जाप करें।
कन्या : ॐ अनिरुद्धाय नम: का जाप करें।
तुला : ॐ हिरण्यगर्भाय नम: का जाप करें।
वृश्चिक : ॐ अच्युताय नम: का जाप करें।
धनु : ॐ जगतगुरवे नम: का जाप करें।
मकर : ॐ अजयाय नम: का जाप करें।
कुंभ : ॐ अनादिय नम: का जाप करें।
मीन : ॐ जगन्नाथाय नम: का जाप करें।
 
5. ब्रज मंडल में सावन उत्सव : श्रीकृष्ण की नगरी मथुरा, गोकुल, बरसाना और वृंदावन में सावन उत्सव का आयोजन होता है। ब्रज मंहल के इस सावन उत्सव को कृष्ण जन्माअष्टमी तक विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। जैसे इन उत्सवों में हिंडोले में झूला, घटाएं, रासलीला और गौरांगलीला का आयोजन होता हैं। यहां श्रावण मास के कृष्णपक्ष से मंदिर में दो चांदी के और एक सोने का हिंडोला डाला जाता है। इन हिंडोलों में भगवान कृष्ण को झुलाया जाता है। इस माह में अधिकतर जगह पर श्रीकृष्ण के बाल रूप की पूजा की जाती है। इसमें हिंडोला सजाने और बालमुकुंद को झूला झूलाने की परंपरा है, लेकिन इस माह में रासलीला का आयोजन भी होता है।
 
6. घटा उत्सव : सावन मास में यहां साव उत्सव के अलावा घटा महोत्सव का भी आयोजन होता है जिसमें विभिन्न रंग की आकर्षक घटा में कान्हा की लीलाओं का प्रस्तुतीकरण होता है। मंदिरों की कालीघटा देखने के लिए लाखों लोग इन मंदिरों में आते हैं।
 
7. हरियाली तीज : ब्रज मंडल में खासकर वृंदावन में हरियाली तीज की धूम होती है। यहां के प्राचीन राधावल्लभ मंदिर में हरियाली तीज से रक्षाबंधन तक चांदी, केले, फूल व पत्ती आदि के हिंडोले डाले जाते हैं तथा पवित्रा एकादशी पर ठाकुरजी पवित्रा धारण करते हैं। हरियाली तीज से पंचमी तक ठाकुरजी स्वर्ण हिंडोले में और उसके बाद पूर्णिमा तक चांदी, जड़ाऊ, फूलपत्ती आदि के हिंडोले में झूलते हैं। 
 
8. कृष्‍ण के साथ बलराम भी झूलते हैं : ब्रज मंडल के अन्य मंदिरों में जहां हिंडोले में कृष्ण झूलते हैं वहीं ब्रज में एक ऐसा मंदिर है, जहां पूरे श्रावण मास में हिंडोले में कृष्ण के साथ बलराम भी झूलते हैं। दाऊजी मंदिर बल्देव एवं गिरिराज मुखारबिन्द मंदिर जतीपुरा में हिंडोले में ठाकुरजी की प्रतिमा के प्रतिबिम्ब को झुलाया जाता है। 
 
9. कृष्ण मंदिरों में सावन उत्सव : जिस तरह शिव के शिवालयों को श्रावण मास में अच्छे से सजाकर भगवान शिव की पूजा आराधना की जाती है उसी तरह दुनियाभर के कृष्ण मंदिरों में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और आराधाना धूमधाम से की जाती है। यह संपूर्ण माह कृष्ण की लीलाओं से जुड़ा हुआ माह माना जाता है।
 
10. द्वारिकाधीश की पूजा : मान्यता है कि इस श्रावण मास में द्वारकाधीश की उपासना करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। उपासक को आरोग्य का वरदान मिलता है और समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

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