पटाखे छोड़ने और फुलझड़ियां जलाने की परंपरा कब से शुरू हुई यह तो हम नहीं बता सकते, लेकिन दीपावली के दिन पटाखे छोड़ने का प्रचलन अब अपने चरम पर है। संपूर्ण देश में करोड़ों रुपए के पटाखे जला दिए जाते हैं। पटाखों को बहुत ही सावधानी से छोड़ना चाहिए। यह देखा गया है कि घातक किस्म के पटाखों से बच्चों की मौत तक हो गई है और कुछ लोग जीवनभर के लिए अपंग तक हो गए हैं तो किसी की आंखें चली गई है। अत: पटाखें छोड़ने में रखें या 10 तरह की सावधानियां।
1. कोरोना काल के चलते पटाखे छोड़ने या नहीं छोड़ने को लेकर असमंजस की स्थिति है। ऐसा कहा जा रहा है कि इससे कोरोना मरीजों या अस्थमा मरीजों की तकलिफ और बढ़ सकती है। ऐसे में ज्यादा धुआं पैदा करने वाले पटाखे ना छोड़े तो ही बेहतर होगा। इससे प्रदूषण भी बढ़ता है। पटाखे खरीदते समय हमेशा क्वॉलिटी का ध्यान रखें।
2. पटाखों के साथ खिलवाड़ न करें, उचित दूरी से पटाखे चलाएं या छोड़े। पटाखे छोड़ते वक्त हो सके तो सूती और चुस्त कपड़े पहनें।
3. ऊपर की मंजिल पर रहने वाले भूलकर भी अपनी गैलरी या बालकनी से नीचे पटाखे जलाकर नहीं फेंकें। संकरी गलियों या घरों की छतों पर पटाखे न चलाएं।
4. किसी भी वाहनों पर जलते पटाखे फेंकने जैसा मजाक सभी के लिए भारी पड़ सकता है। भूलकर भी किसी जानवर, मनुष्य या घास-फूस आदि पर जलता हुआ पटाखा न फेंकें।
5. ध्यान रखें कि जलते हुए दीये को ज्वलनशील वस्तु या पटाखों के पास न रखें, उन्हें उसे दूर ही रखें।
6. घर में पटाखे ऐसी जगह पर रखें, जो बच्चों की पहुंच से दूर हों और सुरक्षित जगह भी हो।
7. नवजात शिशु और छोटे बच्चों के आसपास तेज आवाज वाले पटाखे न जलाएं। इससे उनके कान का परदा फट भी सकता है।
8. पटाखे छोड़ते वक्त बच्चों को पटाखों से निश्चित दूरी बनाए रखने के बारे में समझाएं। उन्हें बताएं कि वे पटाखों को झुककर न जलाएं।
9. पटाखे जलाते समय पानी की बाल्टी, कंबल या मोटा कपड़ा या टाट का थैला अपने पास जरूर रखें।
10. बच्चों को पटाखे जेब में डालकर घूमने न दें, क्योंकि पटाखों का मसाला हाथों में लग जाने से बच्चों की त्वचा को नुकसान हो सकता है।
11. यदि कोई पटाखा जलाने पर भी नहीं फूटा हो तो उसे हाथ लगाकर या उस पर झुककर न देखें, न ही उसे दोबारा जलाने का प्रयास करें। हो सकते तो उस पर पानी डाल दें।
12. फुलझड़ी जलाने के बाद अपने और अपने मित्रों के सिर के ऊपर आरती जैसा घुमाने जैसी हरकत न करें। जली हुई फुलझड़ियों को बिजली के तारों पर न फेंकें।
13. दुर्घटना होने पर ये करें : यदि आग कपड़ों में लग गई हो तो कंबल या मोटे कपड़े से व्यक्ति को ढंककर जमीन पर लोटने को कहें और जले हुए भाग को नल के खुले पानी के नीचे रखें। अगर थोड़ा बहुत जला है तो पहने हुए कपड़े चिपक जाने पर उन्हें खींचकर न उतारें, कैंची से काटकर बहुत ध्यान से उतारें, किसी भी हालत में त्वचा को छिलने न दें। दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति को न घेरें। उसे खुली हवा की सबसे ज्यादा जरूरत है, वह उसे मिलने दें। दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की स्थिति गंभीर होने पर खुद डॉक्टर न बनें बल्कि तुरंत ही एम्बुलेंस बुलाएं।