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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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शिव पुराण की 10 रोचक बातें

lord siva

WD Feature Desk

Shiv puran ki rochak Bante: शिव महा पुराण भगवान शंकर और माता पार्वती की लीलाओं पर आधारित है। शिव पुराण में शिव, शिव अवतार, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की कथाओं के साथ ही व्रत और त्योहार का महत्व और जीवन संबंधी अचूक उपाय का वर्णन मिलेगा। शिव पुराण शैव पंथ और उसके उपपंथों का मुख्य धर्मग्रंथ है। आओ जानते हैं इसकी 10 रोचक बातें।
 
1. विचार और ज्ञान से महत्वपूर्ण कल्पना : शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव कहते हैं कि कल्पना ज्ञान से महत्वपूर्ण है। हम जैसी कल्पना और विचार करते हैं, वैसे ही हो जाते हैं। सपना भी कल्पना है। शिव ने इस आधार पर ध्यान की 112 विधियों का विकास किया। अत: अच्‍छी कल्पना करें।
 
2. एकेश्‍वरवाद और द्वैतवाद : और ऐसा कहते हैं कि शिव पुराण की मूल विचारधारा एकेश्‍वरवाद और द्वैतवाद की है जबकि विष्णु पुराण अद्वैतवाद का समर्थन करता है।
 
3. शिव संहिता शिव: पुराण में ही प्रसिद्ध विद्येश्वर संहिता, रुद्र संहिता, शतरुद्र संहिता, कोटिरुद्र संहिता, उमा संहिता, कैलास संहिता, वायु संहिता (पूर्व भाग) और वायु संहिता (उत्तर भाग) है जिसे पढ़ने का बहुत ही महत्व है। शिव पुराण की संहिताओं में शिव के रूप, कार्य, अवतार आदि की महिमा के वर्णन के साथ ही ब्रह्म, ब्रह्मांड तत्व का ज्ञान मिलता है। 
 
4. शिव की महिमा : शिव मृत्यु के देवता हैं, संहारक हैं, वैरागी और योगी हैं। इसीलिए दोनों ही पुराण में अलग अलग विषयों को समेटा गया है। शिव पुराण में शिव सबसे महान है। शिवजी को केंद्र में रखकर सृष्टि उत्पत्ति, पालन और संहार के ज्ञान के साथ ही मनुष्य के धर्म कर्म को समझाया गया है। 
 
5. शिव का समय : शिव पुराण के अनुसार सूर्यास्त से दिनअस्त तक का समय भगवान ‍'शिव' का समय होता है जबकि वे अपने तीसरे नेत्र से त्रिलोक्य (तीनों लोक) को देख रहे होते हैं और वे अपने नंदी गणों के साथ भ्रमण कर रहे होते हैं। इस समय व्यक्ति यदि कटु वचन कहता है, कलह-क्रोध करता है, सहवास करता है, भोजन करता है, यात्रा करता है या कोई पाप कर्म करता है तो उसका घोर अहित होता है। 
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6. शिवरात्रि या महाशिवरात्रि : शिव पुराण के अनुसार शिवरात्रि और महाशिवरा‍त्रि का व्रत करने से व्यक्ति को भोग एवं मोक्ष दोनों ही प्राप्त होते हैं और महान पुण्य की प्राप्ति होती है। पुण्य कर्मों से भाग्य उदय होता है और व्यक्ति सुख पाता है।
 
7. खुद लें जिम्मेदारी : शिव पुराण के अनुसार कोई भी कार्य या कर्म करते वक्त व्यक्ति को खुद का साक्षी या गवाह बनना चाहिए कि वह क्या कर रहा है। अच्छा या बुरा सभी के लिए वही खुद जिम्मेदार होता है। उसे यह कभी भी नहीं सोचना चाहिए कि उसके कामों को कोई नहीं देख रहा है। यदि वह मन में ऐसे भाव रखेगा तो कभी भी पाप कर्म नहीं कर पाएगा। मनुष्‍य को मन, वचन और कर्म से पाप नहीं करना चाहिए।
 
8. शिव पुराण का पाठ : शिव पुराण का पाठ करने से सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। निःसंतान लोगों को संतान की प्राप्ति हो जाती है। शिव पुराण का पाठ करने के समस्त प्रकार के कष्ट और पाप नष्ट हो जाते हैं और जीवन के अंत में उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव पुराण का पाठ करने से वैवाहिक जीवन से संबंधित समस्याओं का समाधान होता है। इस पुराण को पढ़ने से हमारे जीवन में आ रही बाधओं से मुक्ति का समाधान मिलता है, क्योंकि इस पुराण में कई तरह के उपाय भी बताए गए हैं।  
 
9. पशुता से मुक्ति : शिव पुराण के अनुसार मनुष्य में जब तक राग, द्वेष, ईर्ष्या, वैमनस्य, अपमान तथा हिंसा जैसी अनेक पाशविक वृत्तियां रहती हैं, तब तक वह पशुओं का ही हिस्सा है। पशुता से मुक्ति के लिए भक्ति और ध्यान जरूरी है। भगवान शिव के कहने का मतलब यह है कि आदमी एक अजायबघर है। आदमी कुछ इस तरह का पशु है जिसमें सभी तरह के पशु और पक्षियों की प्रवृत्तियां विद्यमान हैं। आदमी ठीक तरह से आदमी जैसा नहीं है। आदमी में मन के ज्यादा सक्रिय होने के कारण ही उसे मनुष्य कहा जाता है, क्योंकि वह अपने मन के अधीन ही रहता है।
 
10. संसार और संन्यास : इस पुराण में संसार के साथ ही संन्यास को भी साधने की जानकारी मिलती है। इसीलिए इस पुराण को पढ़ा जाता है।  शिव पुराण के अनुसार संसार में प्रत्येक मनुष्य को किसी न किसी वस्तु, व्यक्ति या परिस्‍थिति से आसक्ति या मोह हो सकती है। यह आसक्ति या लगाव ही हमारे दुख और असफलता का कारण होता है। निर्मोही रहकर निष्काम कर्म करने से आनंद और सफलता की प्राप्ति होती है।

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