नई दिल्ली। दिल्ली सरकार के स्कूलों के छात्रों ने खुशहाली पाठ्यक्रम के सकारात्मक परिणाम गिनाए हैं। उनका कहना है कि इस पाठ्यक्रम से उन्हें चुनौतियों से जूझने, गुस्सा पर काबू पाने, मोबाइल फोन की लत छोड़ने और घर में खुशनुमा माहौल बनाने में मदद मिली।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में 'हैप्पीनेस' कक्षा शुरू होने के 3 साल पूरे होने पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के साथ बातचीत में छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों ने अपने विचार साझा किए। शिक्षा विभाग का कार्यभार संभाल रहे सिसोदिया ने कहा, यह सुनकर बहुत खुशी हुई कि हैप्पीनेस पाठ्यक्रम ने बच्चों, उनके परिवारों और उनके शिक्षकों के जीवन में भी बदलाव लाया है।
अगर केवल दो-तीन वर्षों में खुशी की कक्षाओं के कारण बच्चों में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है, तो आने वाले दस वर्षों में बच्चे अपने जीवन में खुशी को पूरी तरह से अपना लेंगे और यह उनके दैनिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएगा। उन्होंने कहा, ये खुशी के दूत हैं और समाज में एक बड़ा बदलाव लाएंगे।
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में नर्सरी से कक्षा आठवीं तक के छात्रों के लिए तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा द्वारा दो जुलाई, 2018 को हैप्पीनेस पाठ्यक्रम शुरू किया गया था। इस कार्यक्रम में छात्रों, उनके माता-पिता और शिक्षकों के बीच खुले माहौल में बातचीत हुई, जो हैप्पीनेस कक्षाओं से लाभान्वित हुए हैं।
वीकेएसएसवी, कालकाजी में कक्षा सातवीं की छात्रा स्पर्श अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने सीखा कि लगातार चुनौतियों के बावजूद किसी को अपने प्रयासों को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। स्पर्श की मां ने कहा कि हैप्पीनेस कक्षा की शुरुआत से ही बेटी का उनसे जुड़ाव बढ़ गया है।
रोहिणी सेक्टर-9 में एससीएसडीएसवी की कक्षा सातवीं के छात्र रक्षित ने हैप्पीनेस कक्षा के कारण अपने जीवन में आए बदलावों के बारे में बताया। रक्षित ने कहा, पहले मैं मोबाइल गेम में डूबा रहता था, जिससे मेरी आंखों में जलन और दर्द होता था। लेकिन हैप्पीनेस कक्षा के पाठ, ध्यान और अन्य गतिविधियों के अभ्यास के साथ, मैं अब तनाव मुक्त हूं और पढ़ाई में अधिक रुचि लेने लगा हूं।(भाषा)