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कैसे मनाएं हरियाली तीज, जरूर पढ़ें मां पार्वती का यह सौभाग्य मंत्र...

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श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। जनमानस में यह हरियाली तीज, श्रावणी तीज, कजली तीज या मधुश्रवा तीज के नाम से जानी जाती है।   
 
यह त्योहार वैसे तो 3 दिन मनाया जाता है, लेकिन समय की कमी की वजह से लोग इसे 1 ही दिन मनाते हैं। इसमें पत्नियां निर्जला व्रत रखती हैं। हाथों में नई चूड़ियां, मेहंदी और पैरों में अल्ता लगाती हैं, जो सुहाग का चिन्ह माना जाता है और नए वस्त्र पहनकर मां पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। यह व्रत केवल महिलाओं तक ही सीमित नहीं होता, बल्कि कई जगहों पर पुरुष मां की प्रतिमा को पालकी पर बैठाकर झांकी भी निकालते हैं।
 
 
क्या करें इस दिन : 
 
सबसे पहले महिलाएं किसी बगीचे या मंदिर में एकत्रित होकर मां पार्वती की प्रतिमा को रेशमी वस्त्र और गहनों से सजाएं।
 
अर्द्ध गोले का आकार बनाकर माता की मूर्ति बीच में रखें और माता की पूजा करें। 
 
सभी महिलाओं में से एक महिला कथा सुनाए, बाकी सभी कथा को ध्यान से सुनें व मन में पति का ध्यान करें और पति की लंबी उम्र की कामना करें।
 
इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। सास न हो तो जेठानी या घर की बुजुर्ग महिला को देती हैं। 
 
कुछ जगहों पर महिलाएं माता पार्वती की पूजा करने के पश्चात लाल मिट्टी से नहाती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से महिलाएं पूरी तरह से शुद्ध हो जाती हैं।
 
अनेक स्थानों पर तीज के दिन मेले लगते हैं और मां पार्वती की सवारी बड़े धूमधाम से निकाली जाती है। दिन के अंत में वे खुशी से नाचे-गाएं और झूला झूलें। 
 
माता पार्वती से अपने सुहाग को दीर्घायु देने के लिए सच्चे मन से शिव-पार्वती की आराधना करके इस त्योहार को मनाएं। 
 
इस त्योहार को पार्वती सौभाग्य मंत्र का जाप करना फलदायक होता है। 
 
पार्वती सौभाग्य मंत्र - 
 
हे गौरी शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकर प्रिया।
तथा मां कुरु कल्याणी कांत कांता सुदुर्लभाम्।।
 
यह मंत्र सौभाग्यवती स्त्रियों का सुहाग अखंड रखता है और अविवाहित कन्याओं के शीघ्र विवाह का योग बनाता है।

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