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मान्यता मिलने से 107 साल पहले ही ओलंपिक में खेला जा चुका था क्रिकेट

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बुधवार, 14 जुलाई 2021 (21:13 IST)
अंतरराष्ट्रीय ओलिम्पिक समिति (आईओसी) ने क्रिकेट को भले ही 2007 में मान्यता दी, लेकिन इससे 107 साल पहले भद्रजनों का खेल (Gentlemen's game) ओलिम्पिक खेलों का हिस्सा बन गया था।
 
पेरिस में 1900 में आयोजित ओलिम्पिक खेलों में क्रिकेट भी शामिल था। यह अलग बात है कि तब केवल दो टीमों ने इसमें हिस्सा लिया था और ब्रिटेन ने एकमात्र मैच में फ्रांस को 158 रन से हराकर स्वर्ण पदक जीता था।
 
इस मैच को हालांकि तब आईओसी से मान्यता नहीं मिली थी तथा ब्रिटेन और फ्रांस की टीमों ने 'यूनिवर्सल एक्सपोजिशन' के तहत इसमें भाग लिया था।
 
आईओसी ने 1912 में जाकर इस मैच को मान्यता देकर इसके पदक ब्रिटेन और फ्रांस के नाम पर जोड़े थे। पेरिस ओलिम्पिक 1900 की क्रिकेट स्पर्धा में बेल्जियम और हॉलैंड ने भी टीमों ने भी हिस्सा लेना था, लेकिन अंतिम समय पर वह हट गई।
 
ब्रिटेन की तरफ से डेवोन एंड समरसेट वांडरर्स क्लब और फ्रांस की तरफ से फ्रेंच एथलेटिक क्लब यूनियन ने भाग लिया बाद में रिकॉर्ड में इन्हें ब्रिटेन और फ्रांस की टीम के रूप में जगह मिली।
 
ब्रिटेन और फ्रांस के बीच यह मैच 19 और 20 अगस्त 1900 को केवल दो दिन का खेला गया। तब सीमित ओवरों की क्रिकेट का प्रचलन नहीं था इसलिए यह मैच भी दो-दो पारियों तक खेला गया। एक और मुख्य बात यह रही है कि इस मैच में आम क्रिकेट मैच की तरह 11 नहीं बल्कि 12-12 खिलाड़ियों ने भाग लिया था।
 
रिकॉर्ड में कहीं भी यह दर्ज नहीं है कि मैच में टॉस किसने जीता था, लेकिन ब्रिटेन ने पहले बल्लेबाजी की थी और उसने 117 रन बनाए जिसमें फ्रेडरिक कुमिंग ने सर्वाधिक 38 रन की पारी खेली।
 
उनके अलावा केवल तीन अन्य बल्लेबाज ही दोहरे अंक में पहुँचे जिसमें कप्तान सीबीके बीचक्राफ्ट के 23 रन शामिल हैं। फ्रांस की तरफ से डब्ल्यू एंडरसन ने चार विकेट लिए। फ्रांस की टीम इसके जवाब में फ्रेडरिक क्रिश्चियन की शानदार गेंदबाजी के सामने 78 रन पर उखड़ गई।
 
सबसे दिलचस्प तथ्य यह रहा कि उसकी तरफ से 11वें नंबर के बल्लेबाज जे ब्रेड ने रन आउट होने से पहले सर्वाधिक 25 रन बनाए।
उनके अलावा केवल दो अन्य बल्लेबाज दोहरे अंक में पहुँचे। क्रिश्चियन ने 7 विकेट लिए।
 
ब्रिटेन को इस तरह से पहली पारी में 39 रन की बढ़त मिली। उसने अपनी दूसरी पारी 5 विकेट पर 145 रन बनाकर समाप्त घोषित की और इस तरह से फ्रांस के सामने जीत के लिए 185 रन का लक्ष्य रखा।
 
ब्रिटेन की दूसरी पारी का आकर्षण कप्तान बीचक्राफ्ट (54) और अल्फ्रेड बोवरमैन (59) के अर्धशतक रहे। फ्रांस के लिए एफ राक्स ने 3 विकेट लिए। मैच केवल दो दिन का था और समय बहुत कम बचा था। ब्रिटेन अच्छी गेंदबाजी के दम पर मैच जीत सकता था और उसने तय समय से पाँच मिनट पहले फ्रांस को केवल 26 रन पर समेटकर ओलिम्पिक में क्रिकेट का अब तक का एकमात्र स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
 
दिलचस्प तथ्य यह रहा कि पहली पारी में सात विकेट लेने वाले क्रिश्चियन ने गेंदबाज नहीं की, लेकिन मोंटाज्ञू टेलर ने 9 रन देकर 7 विकेट चटकाए जबकि अल्फ्रेड पोवेसलैंड को 3 और हैरी कॉर्नर को 1 विकेट मिला। आईओसी ने इस मैच को तो मान्यता दे दी, लेकिन क्रिकेट बहुत कम देशों में खेला जाता था और उसने इस खेल को 100 वर्ष से भी अधिक साल तक मान्यता नहीं दी।
 
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद 1909 में अस्तित्व में आ गई थी, लेकिन उसने भी क्रिकेट को ओलिम्पिक का हिस्सा बनाने की कोशिश नहीं की।
 
आईसीसी ने आखिर में अपने सदस्य देशों को स्थानीय सरकारों से मिलने वाले अनुदान की खातिर सात साल पहले आईओसी के पास मान्यता के लिए आवेदन किया।
 
आईसीसी ने 2006 में विश्व डोपिंग रोधी एजेंसी (वाडा) की संहिता पर हस्ताक्षर किए जो मान्यता हासिल करने के लिए जरूरी थे। इसके एक साल बाद 2007 में क्रिकेट भी आईओसी के खेलों में शामिल कर लिया गया, लेकिन अभी ओलिम्पिक का हिस्सा बनने के लिए इसे लंबी राह तय करनी होगी।
 
ट्वेंटी-20 क्रिकेट से उम्मीद जगी है। क्रिकेट 2010 में ग्वांग्जू में एशियाई खेलों में पदार्पण करेगा, जिससे उसे ओलिम्पिक में जगह बनाने में भी मदद मिलेगी।
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