Yamuna river Delhi: राष्ट्रीय राजधानी में यमुना (Yamuna) नदी का जलस्तर घट रहा है लेकिन पुराने यमुना पुल के पास रह रहे, बाढ़ प्रभावित झुग्गी बस्ती (slum) के लोग अपने अनिश्चित भविष्य को लेकर चिंतित हैं। संपत्ति के नुकसान के बाद मूलभूत सुविधाओं की कमी का सामना कर रहे झुग्गी बस्ती के ये निवासी स्वच्छता और बिजली जैसी बुनियादी चीजों की मांग को लेकर जिला प्रशासन के चक्कर लगा रहे हैं।
कानून की पढ़ाई के इच्छुक और एलएलबी प्रवेश परीक्षा के लिए किताबें खरीदने में अपनी बचत का 1-1 पैसा खर्च करने वाले शकूरुद्दीन बुरी तरह से टूट गए हैं, क्योंकि उनकी सभी पाठ्यपुस्तकें बाढ़ के पानी में बह गईं। सरकारी स्कूल में 12वीं कक्षा के इस छात्र ने बताया कि मेरे पिता एक रिक्शा चालक हैं और मेरी मां घरेलू सहायिका के रूप में काम करती हैं। मैं कानून की पढ़ाई करना चाहता हूं और प्रवेश परीक्षा के लिए किताबें खरीदने के लिए मैंने एक एक पैसा जोड़ा था और किसी तरह किताबें खरीदी थीं। लेकिन मेरी सभी किताबें और कॉपियां बाढ़ के पानी में बह गईं और इस समय यही मेरी सबसे बड़ी चिंता है। मैं क्या करूं?
उसने कहा कि मेरा भाई 11वीं कक्षा में है। यहां तक कि उसके बैग और किताबें भी बाढ़ के पानी में बह गईं। शुक्र है कि हम अपने पहचान प्रमाण और दस्तावेज बचाने में सक्षम रहे। शकूरुद्दीन ने बताया कि 10 परिवारों ने जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय जा कर गुहार लगाई जिसके बाद मंगलवार को प्रशासन ने तंबू लगाए। उसने बताया कि तंबू के अंदर रोशनी की व्यवस्था बुधवार को सुबह की गई। उसने कहा कि 2 से 3 परिवार छोटे छोटे तंबुओं में रह रहे हैं, जबकि 4 से 5 परिवार बड़े तंबुओं में रह रहे हैं।
दिल्ली में बाढ़ का विनाशकारी प्रभाव पड़ा है और 26,000 से अधिक लोगों को उनके घरों से निकालकर सुरक्षित स्थान पहुंचाया गया है। दिल्ली के प्रमुख स्थलों, सड़कों, स्मारकों और आवासीय क्षेत्रों में पानी भर गया। संपत्ति, कारोबार और कमाई का अनुमानित नुकसान करोड़ों में हो सकता है।
अन्य झुग्गी बस्ती निवासी सबीना (38) ने कहा कि हम अब भी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। आखिर एक तंबू में इतने सारे परिवार कैसे रह सकते हैं? अब तक शौचालय की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। हम सब खुले में शौच कर रहे हैं, हमारे पास दूसरा विकल्प क्या है? पेयजल की आपूर्ति भी अपर्याप्त है।
3 दशक से अधिक समय से पुराने यमुना पुल पर रह रहे संदीप (40) इस बात से नाराज हैं कि मंगलवार तक सरकार की तरफ से कोई मदद सामने नहीं आई। उन्होंने कहा कि मंगलवार दोपहर के बाद आखिरकार तंबू लगाए गए और आज यहां उन्होंने बिजली की व्यवस्था की। लेकिन ये मदद एक सप्ताह तकलीफ में गुजारने के बाद आई है।
नेताओं पर बरसते हुए निराश संदीप ने कहा कि झुग्गी बस्ती के लोग अगले चुनाव का बहिष्कार करेंगे। उन्होंने कहा अगली बार कोई हमसे वोट मांगने न आए। सीलमपुर में हममे से कोई वोट नहीं देगा। हम जिससे भी मदद की गुहार लगाते हैं, वह कहता है कि यह हमारा इलाका नहीं है फिर वे चुनाव में प्रचार करते क्यों आते हैं और आज जैसी आपात स्थिति में वे इलाकों का विभाजन की कैसे सोच सकते हैं? संदीप ने कहा उनके मन में हमारे लिए कोई करुणा नहीं है। चुनाव आने पर वे बड़ी-बड़ी बातें करते हैं। बस।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta