Webdunia - Bharat's app for daily news and videos

Install App

कच्चातीवु मामले में भारत में सियासी घमासान, क्या बोला श्रीलंका?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क
शुक्रवार, 5 अप्रैल 2024 (12:29 IST)
katchatheevu island : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के बाद देश में कच्चातीवु पर सियासी घमासान मचा हुआ है। इस बीच श्रीलंका के मत्स्य पालन मंत्री डगलस देवानंद ने कहा कि कच्चातीवु द्वीप को श्रीलंका से वापस लेने संबंधी भारत से आ रहे बयानों का कोई आधार नहीं है।

ALSO READ: कच्चातिवु द्वीप को सिरदर्द मानते थे नेहरू, एस. जयशंकर ने किया कांग्रेस पर हमला
श्रीलंका के वरिष्ठ तमिल नेता देवानंद की यह टिप्पणी नरेन्द्र मोदी सरकार द्वारा तमिलनाडु में कांग्रेस और उसकी सहयोगी द्रमुक पर निशाना साधे जाने के कुछ दिन बाद आई है। मोदी ने दोनों दलों पर 1974 में कच्चातीवु द्वीप श्रीलंका को सौंपने में राष्ट्रीय हितों की अनदेखी करने का आरोप लगाया गया था।
 
भाजपा कच्चातीवु द्वीप के आसपास के जलक्षेत्र में मछली पकड़ने के इच्छुक मछुआरों के अधिकारों को सुनिश्चित नहीं करने के लिए भी दोनों दलों पर निशाना साधती रही है।
 
देवानंद ने जाफना में संवाददाताओं से कहा कि यह भारत में चुनाव का समय है, कच्चातीवु के बारे में दावों और प्रतिदावे सुनना असामान्य नहीं है।

ALSO READ: क्या है कच्चातीवु विवाद, पीएम मोदी ने क्यों कांग्रेस पर लगाया Katchatheevu को छोड़ने का आरोप?
उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि भारत अपने हितों को देखते हुए इस जगह को हासिल करने पर काम कर रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि श्रीलंकाई मछुआरों की उस क्षेत्र तक कोई पहुंच न हो और श्रीलंका संसाधन से युक्त इस क्षेत्र पर कोई अधिकार का दावा नहीं करे। कच्चातीवु को श्रीलंका से वापस लेने के बयानों का कोई आधार नहीं है।
 
श्रीलंकाई मंत्री ने कहा कि 1974 के समझौते के अनुसार दोनों पक्षों के मछुआरे दोनों देशों के क्षेत्रीय जल में मछली पकड़ सकते हैं लेकिन बाद में इसकी समीक्षा की गई और 1976 में इसमें संशोधन किया गया। तदनुसार, दोनों देशों के मछुआरों को पड़ोसी जलक्षेत्र में मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
 
देवानंद ने कहा कि वेस्ट बैंक नामक एक जगह होने का दावा किया जाता है जो कन्याकुमारी के नीचे स्थित है - यह व्यापक समुद्री संसाधनों के साथ एक बहुत बड़ा क्षेत्र है - यह कच्चातिवू से 80 गुना बड़ा है, भारत ने इसे 1976 के समीक्षा समझौते में सुरक्षित किया था।
 
मत्स्य पालन मंत्री के रूप में देवानंद को हाल के महीनों में स्थानीय मछुआरों के दबाव का सामना करना पड़ा है। स्थानीय मछुआरों ने भारतीय मछुआरों द्वारा श्रीलंकाई जलक्षेत्र में अवैध तरीके से मछली पकड़ने पर रोक के लिए व्यापक विरोध प्रदर्शन किया है। उनका कहना है कि भारतीयों द्वारा तलहटी में मछली पकड़ना श्रीलंकाई मछुआरों के हितों के खिलाफ है।
 
इस साल अब तक कम से कम 178 भारतीय मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना ने गिरफ्तार किया है और उनके 23 ट्रॉलर जब्त किए हैं।
Edited by : Nrapendra Gupta 

सम्बंधित जानकारी

जरूर पढ़ें

Modi-Jinping Meeting : 5 साल बाद PM Modi-जिनपिंग मुलाकात, क्या LAC पर बन गई बात

जज साहब! पत्नी अश्लील वीडियो देखती है, मुझे हिजड़ा कहती है, फिर क्या आया कोर्ट का फैसला

कैसे देशभर में जान का दुश्मन बना Air Pollution का जहर, भारत में हर साल होती हैं इतनी मौतें!

नकली जज, नकली फैसले, 5 साल चली फर्जी कोर्ट, हड़पी 100 एकड़ जमीन, हे प्रभु, हे जगन्‍नाथ ये क्‍या हुआ?

लोगों को मिलेगी महंगाई से राहत, सरकार बेचेगी भारत ब्रांड के तहत सस्ती दाल

सभी देखें

नवीनतम

क्‍या है Cyclone Dana, क्‍या है इसका अर्थ और किसने रखा ये नाम?

मां जिंदा हो जाएगी इस उम्‍मीद में सड़कर कंकाल बनी लाश की पूजा कर रहा था बेटा, ये कहानी सुनकर रूह कांप जाएगी

प्रियंका गांधी के रोड शो की भीड़ असली या फर्जी? भाजपा उम्मीदवार नव्या ने लगाया सनसनीखेज आरोप

बुधनी और विजयपुर उपचुनाव में बागी और भितरघात भाजपा और कांग्रेस की बड़ी चुनौती

एक और प्रवासी श्रमिक को गोली मारी, प्रवासियों व कश्मीरी पंडितों में दहशत का माहौल

આગળનો લેખ
Show comments