नई दिल्ली। गोरक्षा के नाम पर हो रही हिंसा को लेकर नाराज उच्चतम न्यायालय ने ऐसी घटनाओं पर लगाम कसने के लिए प्रत्येक जिले में नोडल अधिकारी नियुक्त करने का बुधवार को निर्देश दिया।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला की याचिका की सुनवाई के दौरान राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को कार्यबल गठित करने और उनमें वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को नोडल अधिकारी नियुक्त करने का आदेश दिया।
शीर्ष अदालत ने गोरक्षकों पर होने वाले हालिया हमलों को ध्यान में रखते हुए प्रत्येक राज्य के मुख्य सचिवों से कहा कि वे संबंधित पुलिस महानिदेशकों की मदद से राजमार्गों को गोरक्षकों से सुरक्षित रखें।
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और कोलिन गोंजाल्विस ने दलील दी कि हिंसा का सहारा लेने वाले गोरक्षकों के खिलाफ केंद्र सरकार के रुख के बावजूद गोरक्षा से संबंधित हत्या की घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है।
इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये घटनाएं कानून-व्यवस्था की समस्याओं से जुड़ी हैं, जो राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में है।
श्रीमती जयसिंह ने इस पर दलील दी कि केंद्र सरकार इन घटनाओं को केवल कानून-व्यवस्था की समस्या कहकर पल्ला नहीं झाड़ सकती, क्योंकि केंद्र सरकार को संविधान 256 के तहत यह अधिकार प्राप्त है कि वह राज्य सरकारों को ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए निर्देशित कर सके।
मेहता ने कहा कि किसी भी अप्रिय घटनाओं की रोकथाम के लिए कानून मौजूद है। इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि हम जानते हैं कि इसके लिए कानून मौजूद है, लेकिन आपने (सरकार ने) क्या किया? आप योजनाबद्ध तरीके से कदम उठा सकते थे, ताकि गोरक्षा के नाम पर हिंसा की घटनाएं न बढें।
न्यायालय ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को गोरक्षा के नाम पर हिंसा फैलाने वालों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
सुनवाई के क्रम में न्यायमूर्ति मिश्रा ने मामले का राजनीतिकरण करने के लिए याचिकाकर्ता को भी आडे हाथों लिया। न्यायालय ने कहा कि आप (याचिकाकर्ता) मामले का राजनीतिकरण न करें। आप जानते हैं कि पिछले दिनों बड़ी संख्या में जानवरों का वध किया गया है, लेकिन आपने इसके खिलाफ कोई याचिका क्यों नहीं दायर की। आपको उसके खिलाफ भी याचिका दायर करनी चाहिए थी। (वार्ता)