लोगों को 31 जुलाई 2018 से पहले अपना आयकर रिटर्न जरूर दाखिल कर देना चाहिए। ऐसा नहीं करने की स्थिति में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आप पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है। वैसे भी अब आयकर रिटर्न दाखिल करना बेहद आसान हो गया है। आप स्वयं भी आसानी से ऑनलाइन रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
पहले लोगों को अपना आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इसके लिए उन्हें घंटों लंबी कतारों में खड़े रहना पड़ता था। लेकिन कुछ वर्षों पहले आयकर विभाग ने इस प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया, जिससे लोगों का काम आसान हो गया। अब आप इंटरनेट की मदद से कभी भी दुनिया के किसी भी कोने से अपना आयकर रिटर्न जमा कर सकते हैं।
कब सेे हुई ई-फाइलिंग की शुरुआत : केंद्रीय उत्पाद शुल्क तथा सीमा शुल्क विभाग ने ई-फाइलिंग की शुरुआत पहली बार अप्रैल 2003 में की थी। लेकिन यह सुविधा उस समय केवल चुनिंदा सेवाकर प्रदाताओं के लिए उपलब्ध थी।
कर के दायरे में आने वाले लोगों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए तथा ऑनलाइन फाइलिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केंद्र तथा राज्य सरकारों ने तय किया है कि वो अपने अधिकांश करों का भुगतान ऑनलाइन तरीके से लेंगी।
वर्तमान में सभी कंपनियों तथा फर्म के लिए अनुच्छेद 44एबी (बाहरी वेबसाइट जो एक नई विंडों में खुलती हैं) के तहत सांविधिक ऑडिट तथा आयकर रिटर्न को ई-फाइल करना आवश्यक है। ई-फाइलिंग की सुविधा न्यासों के अलावा सबके लिए उपलब्ध की जा चुकी है।
कैसे ऑनलाइन भरें आयकर रिटर्न : सबसे पहले का फॉर्म डाउनलोड करें और रिटर्न दाखिल करने के लिए जरूरी सॉफ्टवेयर को यहां से डाउनलोड करें और रिटर्न फॉर्म चुनें। अपना रिटर्न ऑफलाइन भरें तथा XML फाइल बनाएं
। वेबसाइट पर पंजीयन कर लॉग इन करें। उचित फॉर्म को चुनें तथा वेबसाइट के बाईं ओर दिए गए सबमिट रिटर्न बटन को दबाएं। अब XML फाइल को ब्राउज़ करें तथा इसे अपलोड कर दें।
फाइल अपलोड होने के बाद एक संदेश प्रदर्शित होता है। इसके बाद प्रिंट बटन पर क्लिक करने पर रसीद/आईटीआर-V फॉर्म (66 KB) - पीडीएफ फाइल खुलेगी इसका प्रिंटआउट ले लें।
यदि आपका रिटर्न डिजिटल हस्ताक्षरित किया हुआ है तो रसीद (29 KB) - पीडीएफ फाइल प्रदर्शित होते ही रिटर्न प्रक्रिया पूरी हो जाएगी।
यदि आपका रिटर्न डिजिटल हस्ताक्षरित नहीं किया गया है तो ई–रिटर्न अपलोड करने के बाद आईटीआर-V फॉर्म जनरेट होता है, जिसका प्रिंटआउट कर देने वाले को लेकर रख लेना चाहिए। यही दस्तावेज रसीद सह सत्यापन फॉर्म है। कर भुगतान करने वाले को यह फॉर्म भरकर सत्यापन के लिए देना होता है।
फॉर्म को इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरने के 15 दिनों के भीतर ही स्थानीय आयकर विभाग के कार्यालय में जमा करना अनिवार्य है।