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Maharashtra : NCP का बॉस कौन? अजित पवार बोले- शरद पवार ने इस्तीफे पर विचार के लिए मांगा 2-3 दिन का समय

Maharashtra : NCP का बॉस कौन? अजित पवार बोले- शरद पवार ने  इस्तीफे पर विचार के लिए मांगा 2-3 दिन का समय
, मंगलवार, 2 मई 2023 (21:49 IST)
Sharad Pawar News :  राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) का अध्यक्ष पद छोड़ने की अपनी घोषणा के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे पार्टी कार्यकर्ताओं को मनाने की कोशिश के तहत शरद पवार (Sharad Pawar) ने मंगलवार को कहा कि अपने फैसले पर सोचने के लिए उन्हें 2-3 दिन का वक्त चाहिए। इस बीच मीडिया में यह भी खबरें हैं कि अगर शरद पवार नहीं माने तो सुप्रिया सुले (Supriya Sule) पार्टी की कमान संभाल सकती हैं।  
 
पार्टी कार्यकर्ताओं को शरद पवार के संदेश से अवगत कराते हुए उनके भतीजे अजित पवार (Ajit Pawar) ने राकांपा पदाधिकारियों से भी आग्रह किया कि वे उनके (शरद पवार के) इस अप्रत्याशित फैसले के विरोध में अपने पदों से इस्तीफा नहीं दें।
 
अजित पवार ने यहां यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान के परिसर में पार्टी कार्यकर्ताओं से कहा कि उन्होंने (शरद पवार ने) कहा है कि उन्होंने फैसला कर लिया है, लेकिन आपके आग्रह पर इस पर सोचने के लिए उन्हें दो-तीन दिन का वक्त चाहिए। हालांकि, वह इस बारे में तभी सोचेंगे, जब सभी कार्यकर्ता अपने-अपने घर लौट जाएंगे।
 
राकांपा के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने उस स्थान से जाने से इनकार कर दिया, जहां शरद पवार ने दिन में अपनी आत्मकथा के संशोधित संस्करण के विमोचन के दौरान यह घोषणा की थी।  पवार के अपने आवास के लिए रवाना हो जाने के बाद भी पार्टी कार्यकर्ता वहां से नहीं गए।

समिति बनाने की सिफारिश : शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद खाली होने पर इसके लिए चुनाव का फैसला करने के लिए NCP नेताओं की एक समिति बनाने की सिफारिश की। 
 
उन्होंने कहा कि समिति में पार्टी के वरिष्ठ नेता शामिल होने चाहिए जिनमें प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, के के शर्मा, पीसी चाको, अजित पवार, जयंत पाटिल, सुप्रिया सुले, छगन भुजबल, दिलीप वाल्से पाटिल, अनिल देशमुख, राजेश टोपे, जितेंद्र अव्हाड, हसन मुशरिफ, धनंजय मुंडे और जयदेव गायकवाड़ हैं।
 
शरद पवार ने कहा कि इसमें पदेन सदस्य फौजिया खान (अध्यक्ष, राष्ट्रवादी महिला कांग्रेस), धीरज शर्मा (अध्यक्ष, राष्ट्रवादी युवक कांग्रेस) और सोनिया दुहन (अध्यक्ष, राष्ट्रवादी छात्र कांग्रेस) भी होने चाहिए। 

शिवसेना के 'बिखराव' के लिए उद्धव को ठहराया दोषी : शरद पवार ने कहा है कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता उद्धव ठाकरे शिवसेना के भीतर असंतोष को शांत करने में नाकाम रहे और उन्होंने बिना संघर्ष किए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।
 
पवार ने अपनी आत्मकथा के संशोधित संस्करण में कहा कि उन्होंने और अन्य लोगों ने भी ठाकरे में राजनीतिक कौशल की कमी महसूस की, जिसकी एक मुख्यमंत्री को जरूरत होती है। इस पुस्तक का विमोचन मंगलवार को किया गया।
 
पवार ने अपनी पुस्तक में लिखा कि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना के बीच महा विकास आघाडी (एमवीए) का गठन केवल ‘सत्ता का खेल’ नहीं था, बल्कि यह अन्य राजनीतिक दलों के महत्व को किसी भी तरह समाप्त करने की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रवृत्ति का भी कड़ा जवाब था।
 
उन्होंने कहा कि ऐसी आशंका थी कि एमवीए सरकार को अस्थिर करने का प्रयास किया जाएगा, लेकिन ‘हमने यह अनुमान नहीं लगाया था कि उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने के कारण शिवसेना के भीतर ही तूफान आ जाएगा।’ नेता ने लिखा कि शिवसेना का नेतृत्व इस असंतोष को शांत करने में विफल रहा।
 
उन्होंने कहा कि उद्धव ने (जून 2022 में एकनाथ शिंदे और शिवसेना के अन्य विधायकों द्वारा उनके खिलाफ बगावत किए जाने के बाद) बिना संघर्ष किए इस्तीफा दे दिया, जिसके कारण एमवीए सत्ता से बाहर हो गई।
 
उन्होंने कहा कि ठाकरे का स्वास्थ्य उनके लिए एक बाधा बन गया है। राकांपा नेता ने कहा कि एक मुख्यमंत्री को ‘राजनीतिक कौशल’ की आवश्यकता होती है और उसे राजनीतिक गतिविधियों के बारे में पूरी तरह अवगत रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हम सभी ने महसूस किया कि इन चीजों की कमी थी।’ उन्होंने इसके लिए ठाकरे की अनुभवहीनता को जिम्मेदार ठहराया।
 
पवार ने लिखा कि मध्यम वर्ग ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान फेसबुक लाइव के माध्यम से लोगों के साथ ठाकरे की बातचीत को पसंद किया, लेकिन यह यह समझ पाना मुश्किल है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में केवल दो ही बार सरकार के मुख्यालय- मंत्रालय का दौरा क्यों किया। Edited By : Sudhir Sharma

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