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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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सख्त कानून के बाद भी बढ़ रहे हैं नाबालिगों के प्रति अत्याचार

सख्त कानून के बाद भी बढ़ रहे हैं नाबालिगों के प्रति अत्याचार
सख्त कानून के बाद भी नाबालिगों के साथ बलात्कार और यौन उत्पीड़न जैसी घटनाओं पर कोई अंकुश नहीं लग रहा है। मंदसौर जैसी घटना ने एक बार फिर झकझोर दिया है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बलात्कार के मामले 2015 की तुलना में 2016 में 12.4 प्रतिशत बढ़े हैं। 2016 में 38947 बलात्कार के मामले देश में दर्ज हुए। बलात्कार के सबसे ज्यादा मामले 4882 मध्यप्रदेश में दर्ज किए गए।


नाबालिगों के प्रति बढ़े अपराध : एनजीओ क्राइम की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2006 में नाबालिगों के खिलाफ यौन अपराध के 18967 मामले दर्ज हुए थे। 2016 में इनकी संख्या बढ़कर 106958 हो गई। एनजीओ के मुताबिक, इस मामले में बच्चों के खिलाफ सबसे अधिक 15 प्रतिशत मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हुए। उसके बाद महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश में क्रमश: 14 और 13 प्रतिशत मामले दर्ज किए गए।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के वर्ष 2016 के डेटा से पता चलता है कि भारत में बच्चों के विरुद्ध अपराधों में 2015 की अपेक्षा 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। पॉक्सो अधिनियम के तहत वर्ष 2016 में दर्ज अपराध के विश्लेषण के आधार पर भारत में बच्चों के साथ हुए अपराधों में एक तिहाई अपराध यौन अपराध के थे।

इसके अनुसार, भारत में हर 15 मिनट में नाबालिग के विरुद्ध यौन अपराध होता है। बच्चों के साथ आए दिन यौन अपराधों की ख़बरें समाज को शर्मसार करती नजर आती हैं। इस तरह के मामलों की बढ़ती संख्या देखकर सरकार ने वर्ष 2012 में एक विशेष कानून बनाया था। जो बच्चों को छेड़खानी, बलात्कार और कुकर्म जैसे मामलों से सुरक्षा प्रदान करता है। उस कानून का नाम पॉक्सो एक्ट रखा गया है।

पॉक्सो से भी नहीं रुके अपराध : प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट (पॉक्सो) 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012। इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है। यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है।

उन्नाव और कठुआ जैसी घटनाओं के बाद कैबिनेट ने 'प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस' यानी POCSO एक्ट में संशोधन को मंजूरी दी थी। इस संशोधन के बाद 12 साल से कम उम्र की बच्चियों से रेप के दोषियों को मौत की सजा दिए जाने का रास्ता साफ हो गया।
परिचित या रिश्तेदार ने ही की हैवानियत : राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 में पॉक्सो कानून के तहत अभियोग की दर 29.6 प्रतिशत थी। बलात्कार के 38947 में से 94.6 प्रतिशत मामलों में अभियुक्त, पीड़िता का परिचित था। 630 मामलों में बलात्कारी पिता, भाई या दादा या बेटा था, 1087 मामलों में निकट पारिवारिक सदस्य और 2174 मामलों में कोई रिश्तेदार था। 10520 मामलों में बलात्कारी, पड़ोसी था।

इतनों को हुई सजा : रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से 2016 तक नाबालिगों के साथ कुल 1 लाख 4 हजार 976 रेप या गैंगरेप की घटनाएं हुईं, जबकि सिर्फ 11266 लोगों को इस मामले में सजा हुई। 2016 में 4013 लोगों को नाबालिगों के साथ रेप या गैंगरेप केसों में दोषी पाया गया। 2016 में नाबालिगों के साथ रेप या गैंगरेप केसों में 42160 लोगों को गिरफ्तार किया गया। 2016 में 36022 नाबालिगों के साथ रेप या गैंगरेप के मामले रिपोर्ट किए गए। 

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