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पोर्न इंडस्‍ट्री, सेक्‍स एजुकेशन और रेप की घटनाएं— आखिर कहां थमेगा ये सिलसिला?

WD News Desk
गुरुवार, 22 अगस्त 2024 (17:40 IST)
वर्ष में कई धार्मिक तीज-त्‍योहार और सांस्‍कृतिक पर्व मनाने वाले देश में तकरीबन हर दिन मासूम बच्‍चों और लड़कियों की अस्‍मत लूटी जा रही है। कोई दिन ऐसा नहीं जब दुष्‍कर्म की कोई खबर सामने न आ रही हो। दुष्‍कर्म के बाद जिस तरह से इन लड़कियों को मौत के घाट उतारा जा रहा है, उससे स्‍पष्‍ट हो गया है कि जिस देश में सबसे ज्‍यादा स्‍त्री को पूजा जाता है, उसी देश के समाज में कुछ दानव इसकी संस्‍कृति को एक पाश्‍विक समाज की तरफ धकेल रहे हैं।

मनुष्‍य के वेश में दरिंदों और दानवों में तब्‍दील होते जा रहे इन कुछ पाश्‍विक मानसिकता वाले पुरुषों की वजह से एक सभ्‍य पुरुष अपने ही ऑफिस की महिलाओं के सामने आंखें झुकाने को मजबूर है। पुरुष दोस्‍त अपनी महिला मित्र के साथ संकोच से भर उठता है। घर में लड़कियां अपने भाई और पिता के साथ न्‍यूज चैनल देखने से कतराने लगी हैं।

आखिर पुरुषों के बीच कुछ महीनों की बच्‍ची से लेकर बुजुर्ग महिला तक क्‍यों महफूज नहीं है? क्‍यों आज इस समाज में एक लड़की और महिला के लिए अपनी इज्‍जत बचाना सबसे बड़ा चैलेंज हो गया है? क्‍यों दिल्‍ली की ‘निर्भया’ से लेकर कोलकाता की ‘अभया’ तक बच्‍चियों के जान पर बन आई है। आखिर कब तक इन दरिंदों का शिकार हुईं इन मासूम बच्‍चियों को हम अभया और निर्भया जैसे नाम देकर श्रद्धाजंलि देते रहेंगे?

दरअसल, इस कुलीन, शिक्षित, सभ्य और सफेदपोश दुनिया के ठीक समानांतर गलीज और बीमार मानसिकता की एक और दुनिया चल रही है। इंटरनेट और सोशल मीडिया में तेजी से बढ़ती सहूलियत के ठीक बरअक़्स अश्‍लील और ‘पोर्न’ फिल्‍मों की एक दुनिया पुरुषों में बीमार और बर्बर मानसिकता का जहर घोल रही है।

जैसा कि कोलकाता में ट्रेनी डॉक्‍टर के रेप और हत्‍या के केस में सामने आया है। जहां जांच में पता चला कि आरोपी संजय रॉय ने इस बर्बरता को अंजाम देने से पहले पोर्न वीडियो देखे थे। जाहिर है, जब हर एक जेब में रखे मोबाइल में एक ऐसी खिड़की आसानी से खुलती हो, जहां पोर्न, सेक्‍स वीडियो और शारीरिक संबंधों को पाश्‍विकता की हद तक दिखाने की होड़ मची हो, जहां पोर्न की यह दुनिया इतनी ‘कस्‍टमाइज्‍ड’ कर दी गई हो कि वहां किसी भी उम्र, देश, रंग, भाषा, वेशभूषा समेत तमाम कैटेगरी में सेक्‍स के वीडियो परोसे जा रहे हों। इस पर इन्‍हें देखने में अपना ही देश सबसे अव्‍वल हो तो आए दिन होने वाली इस दरिंदगी के लिए किसे जिम्‍मेदार ठहराया जाए।

इस घिनोनी मानसिकता के पीछे न्‍याय और सजा का डर नहीं होना भी एक बड़ी वजह है। जिन बच्‍चियों को ये दरिंदे नोच खा जाते हैं उनके मां-बाप की उम्र अदालतों के चक्‍कर काटते हुए गुजर जाती है। अजमेर में 100 लड़कियों के साथ हुए रेप कांड का फैसला आते आते 32 साल गुजर गए। इतने साल में कई फरियादी की मौत हो गई। हत्‍याओं के कई केस अब भी न्‍याय का इंतजार कर रही हैं।

वहीं, जिस देश में पोर्न इतनी आसानी से उपलब्‍ध हो, वहां सेक्‍स एजुकेशन को लेकर अब भी संशय और उलझन है। देश में युवाओं का एक वर्ग ऐसा है जो मोबाइल इंटरनेट पर सेक्‍स को प्‍लेजर का एक जरिया मानकर सबकुछ देख डालता है, वहीं दूसरा सेक्‍स के वास्‍तविक अर्थ से अनजान रह जाता है और वो पोर्न देखकर ही सेक्‍स के बारे में अपनी धारणा बना लेता है।

जानकर हैरानी होगी कि भारत दुनिया का ऐसा तीसरा बड़ा देश है, जहां पॉर्न कटेंट को सबसे ज्यादा देखा जा रहा है। यही वजह है कि विदेशी कंपनियां भारत में ऐसे कंटेंट को ज्यादा से ज्यादा परोस रही हैं। खासतौर पर अमेरिकी एडल्ट वेबसाइट्स ने भारत में ऐसा कंटेंट परोसा है। भारत में कोरोना लॉकडाउन के बाद से ऐसे कंटेंट में बड़ा बूम देखने को मिला है। ये सब कुछ तब है जब भारत सरकार की तरफ से तमाम पॉर्न वेबसाइट्स को बैन किया गया है।

भारत में सबसे ज्यादा 35% पोर्न कंटेंट 25 साल से लेकर 34 साल के एज ग्रुप के लोग देखते हैं। इसके अलावा 18 से 24 साल के युवाओं की हिस्सेदारी 24% है। इसके बाद 35 से 44 साल के लोगों की 17 फीसदी हिस्सेदारी है। भारत में पोर्न देखने की एवरेज उम्र 29 साल है, जो बाकी किसी भी देश के लोगों की उम्र से काफी कम है। पोर्न देखने के मामले में पहले नंबर पर अमेरिका और दूसरे नंबर पर यूके आता है। बता दें कि 70 फीसदी से ज्यादा लोग इसके लिए अपने फोन का इस्तेमाल करते हैं, इसके बाद करीब 19 फीसदी लोग अपने लैपटॉप या कंप्यूटर पर पोर्न देखते हैं।

भारत सरकार ने एक तरफ जहां खतरनाक गेम्‍स, टिकटॉक और लत लगाने वाले गेम्‍स के ऐप को प्रतिबंधित किया है, वहीं पोर्न और सेक्‍स वीडियो लगातार अपना जाल फैला रहे हैं, जिनमें भारत के 15 साल से लेकर उम्रदराज लोगों तक को अपनी गिरफ्त में ले रखा है। इसके बाद तमाम सोशल मीडिया, यूट्यूब, ट्विटर, फेसबुक और इंस्‍टाग्राम में रील्‍स के नाम पर सेक्‍स वीडियो और सॉफ्ट पोर्न की जो बाढ़ आई है उसका तो अंदाजा लगाना ही मुश्‍किल है। बहुत आसानी से मोबाइल में मिलने वाली पोर्न इंडस्‍ट्रीज की इस सहूलियत के परिणाम भी हम सभी के सामने हैं।

देश में होने वाले दुष्‍कर्म, गैंगरेप और हत्‍याओं के पीछे एक वजह सेक्‍स वीडियो और पोर्न कंटेंट भी है। अगर इन पर सख्‍ती से लगाम नहीं कसी जाती है तो निर्भया और अभया नामों से जाने जानी वाली हमारी बच्‍चियों की खून से सने चेहरों की ये फेहरिस्‍त इसी तरह से लंबी होती जाएगी, और हम सड़कों पर कुछ दिन मोमबत्‍तियां जलाकर उन्‍हें नम आंखों से याद करते हुए बहुत बेरहमी से एक दिन भूल जाएंगे।

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