Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
webdunia

रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, 200 अंक रोस्टर प्रणाली से एससी, एसटी, ओबीसी को मिलेगा न्याय

रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा, 200 अंक रोस्टर प्रणाली से एससी, एसटी, ओबीसी को मिलेगा न्याय
, सोमवार, 1 जुलाई 2019 (19:23 IST)
नई दिल्ली। सरकार ने सोमवार को कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में सीधी भर्ती में आरक्षण के लिए विश्वविद्यालय/ महाविद्यालय को इकाई मानने और 200 अंक वाली रोस्टर प्रणाली को दुबारा लागू करने के लिए लाए गए विधेयक से अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) तथा अन्य पिछड़ा वर्गों (ओबीसी) को न्याय मिलेगा जबकि विपक्ष ने इस विधेयक को अध्यादेश के रास्ते लाने का विरोध करते हुए इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजने की मांग की।
 
मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने केंद्रीय शैक्षणिक संस्था (शिक्षकों के काडर में आरक्षण) विधेयक, 2019 को विचार के लिए लोकसभा में पेश करते हुए कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 7 अप्रैल 2017 के फैसले के बाद विभागों को इकाई मानने और 13 अंक वाली रोस्टर प्रणाली लागू करने से एससी, एसटी और ओबीसी के लिए विभिन्न शैक्षणिक पदों पर आरक्षित पदों में कमी आ रही थी। एससी, एसटी, ओबीसी को जो न्याय देने की बात संविधान में कही गई थी, वह पूरी नहीं हो रही थी इसलिए यह विधेयक लाया गया है।
 
निशंक ने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने 21 विश्वविद्यालयों का यह जानने के लिए अध्ययन किया था कि 13 अंक वाली रोस्टर प्रणाली और 200 अंकों वाली रोस्टर प्रणाली में क्या अंतर है? यह पाया गया कि 13 अंक वाली रोस्टर प्रणाली जिसमें विभाग या विषय को इकाई माना जाता है।
 
आरक्षित पदों की संख्या में 59 प्रतिशत से 100 प्रतिशत तक की कमी आ जाती है इसीलिए सरकार 7 मार्च 2019 को 200 अंक वाली रोस्टर प्रणाली को दुबारा लागू करने के लिए अध्यादेश लाई थी ताकि उच्च शिक्षण संस्थानों में रिक्त पदों पर जल्द से जल्द भर्ती शुरू की जा सके। उस समय उच्च शिक्षा में करीब 7 हजार पद रिक्त थे और शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित हो रही थीं।
 
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विधेयक में आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों के लिए भी 10 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई है, जो अध्यादेश में नहीं था। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वे विधेयक की मूल भावना का समर्थन करते हैं, लेकिन इसे अध्यादेश के रास्ते लाने का वे  विरोध करते हैं।
 
उन्होंने कहा कि यह पेचीदा मामला है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सरकार और यूजीसी उच्चतम न्यायालय गया था, लेकिन शीर्ष अदालत ने भी विभाग को इकाई मानने के पक्ष में निर्णय दिया था। इस संबंध में पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो चुकी है इसलिए सरकार को जल्दबाजी में विधेयक पारित कराने की जगह इसे संसद की स्थायी समिति के पास भेजना चाहिए, जहां इसकी पूरी समीक्षा होगी। (वार्ता)

Share this Story:

Follow Webdunia gujarati

આગળનો લેખ

भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिए 500 वर्ष पुराने गुरुद्वारे के कपाट खुले