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रिटायर्ड फौजियों ने क्‍या कहा राष्‍ट्रपति से, क्‍या ‘मुस्‍लिम रेजि‍मेंट’ था ही नहीं?

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गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020 (13:08 IST)
सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से आग्रह किया है कि वो उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें जो सोशल मीडिया पर यह झूठ फैला रहे हैं कि भरतीय सेना की 'मुस्लिम रेजीमेंट' ने चीन के खिलाफ 1965 का युद्ध लड़ने से इनकार कर दिया था।

रिटायर्ड फौजियों ने राष्ट्रपति से कहा कि भारत ने कभी मुस्लिम रेजीमेंट का गठन ही नहीं किया, लेकिन इस तरह का सफेद झूठ मई 2013 से ही चल रहा है और सोशल मिडिया पर आज भी धड़ल्ले से फैलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और चीन, दोनों के साथ सैन्य तनाव की स्थिति में इस तरह झूठ का प्रचार-प्रसार बेहद खतरनाक है।

राष्ट्रपति भारतीय सेना के सर्वोच्च कमांडर होते हैं। उन्हें लिखी चिट्ठी पर पूर्व नेवी चीफ एडमिरल एल रामदास समेत 120 पूर्व फौजियों ने हस्ताक्षकर किए जिनमें 24 टू और थ्री स्टार जनरल भी हैं।

इन्होंने चिट्ठी में हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशत लेफ्टिनेंट जनरल एस. ए. हसनैन (रिटायर्ड) के एक ब्लॉग का जिक्र किया है। इस ब्लॉग में हसनैन ने अंदेशा जताया है कि मुस्लिम रेजिमेंट के 1965 की लड़ाई में भाग लेने से इनकार करने की अफवाह पाकिस्तान की आईएसआई की तरफ से फैलाई जा रही है।

चिट्ठी कहती है, 'हम बताना चाहते हैं कि मुसलमान भारतीय सेना के अलग-अलग रेजीमेंट्स की ओर से लड़ रहे हैं जो हमारे देश के प्रति उनकी असीम निष्ठा का द्योतक है।' पूर्व फौजियों ने उदाहरण गिनाते हुए कहा- 1965 के युद्ध में हवलदार अब्दुल हामिद को सेना का सर्वोच्च पुरस्कार परमवीर चक्र दिया गया, मेजर (बाद मं लेफ्टिनेंट जनरल) मोहम्मद जाकी और मेजर अब्दुल रफी खान को वीर चक्र मिले। इनके अलावा भी कई मुसलमान सैनिकों ने 1965 की लड़ाई लड़ी।

चिट्ठी में कहा गया है कि 1947 के विभाजन के दौरान भी ब्रिगेडियर उस्मान ने भारतीय सेना में रहना पसंद किया जबकि उनका बलूचिस्तान रेजीमेंट पाकिस्तान चला गया। ब्रिगेडियर उस्मान से खुद जिन्ना ने संपर्क किया था। पूर्व फौजियों ने कहा, 'ब्रिगेडियर उस्मान कश्मीर पर पाकिस्तानी आक्रमण के खिलाफ लड़े और जुलाई 1948 में कार्रवाई के दौरान वीरगति को प्राप्त करने वाले वो वरिष्ठतम अधिकारी थे। उन्हें मृत्योपरांत महावीर चक्र से नवाजा गया था।'

चिट्ठी में भारतीय सेना के गैर-राजनीतिक और धर्मनिरपेक्ष मिजाज को संरक्षित करने की जरूरत बताते हुए मामले में तुरंत कड़ी कार्रवाई करने की मांग की गई है। उन्होंने फेसबुक और ट्विटर को भी चेतावनी देने की मांग की।

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