छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में हुए नक्सली हमले का शहीदों के परिजनों की आंखों के आंसुओं ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार, झारखंड, पंजाब आदि राज्यों में शहीदों के परिजनों को कभी खत्म नहीं होने वाला दर्द मिला है। इस दर्द को देशवासी भी गहरे तक महसूस कर रहे हैं। दरअसल, इस हमले का मास्टरमाइंड वाडसे हिडमा है, जो सुकमा जिले के ही पालोड़ी एक गांव का रहने वाला है।
छत्तीसगढ़ की झीरम घाटी व ताड़मेटला में 107 लोगों की हत्या से दहला देने वाले देश के सबसे बड़े नक्सली हमलों के मास्टरमाइंड हिडमा पर 40 लाख रुपए का इनाम है। कुछ समय पहले एके-47 के साथ पहली बार उसकी तस्वीर सामने आई थी।
हिड़मा साउथ जोनल कमेटी का मेम्बर बनने वाला बस्तर का पहला माओवादी है। बताया जाता है कि उसकी रणनीति से खुश होकर शीर्ष नेताओं ने कंपनी नंबर एक और तीन का विलय कर बटालियन नंबर एक बना दी, जिसका उसे मुखिया बना दिया।
हिडमा घात लगाकर हमला करने में माहिर माना जाता है। सुकमा हमले के समय भी करीब 300 नक्सलियों ने सुरक्षाबलों पर घात लगाकर हमला किया था। पुलिस ने उसे मारने कई बार ऑपरेशन चलाए, लेकिन हर बार असफलता ही हाथ लगी। छत्तीसगढ़ पुलिस के निशाने पर जो शीर्ष नक्सली कमांडर हैं, उनमें हिडमा का नाम सबसे ऊपर है।
जुलाई 2015 में पुलिस ने कमांडर हिडमा सहयोगी सोढ़ी गनपत को आवापल्ली के पुन्नूर से गिरफ्तार किया था। उस पर आठ लाख का इनाम था। उस समय उम्मीद बंधी थी कि गनपत की गिरफ्तारी के बाद पुलिस हिडमा तक पहुंच सकती है, लेकिन उसे असफलता हाथ लगी और हिडमा एक के बाद एक वारदातों को अंजाम देता रहा।
हिडमा के बारे में कहा जाता है कि वह किसी भी स्थान ज्यादा समय तक नहीं टिकता, वह बार-बार अपनी पोजिशन बदलता रहता है। सुकमा हमले के बाद इस मोस्टवांटेड हिडमा को पकड़ने अथवा मारने को लेकर पुलिस पर दबाब रहेगा।