श्रीनगर। केंद्र सरकार ने साल वर्ष बाद कश्मीर पर बातचीत शुरू करने के लिए खुफिया ब्यूरो के पूर्व निदेशक दिनेश्वर शर्मा को वार्ताकार नियुक्त करने के बाद कश्मीर में केंद्र की इस पहल का स्वागत किया गया है।
राज्य की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने ट्वीट कर खुशी का इजहार करते हुए कहा कि बातचीत ही समय की जरूरत है। यही आगे बढ़ने का एक तरीका है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने भाषण में कहा था कि न गोली से न गाली से, कश्मीर की समस्या सुलझेगी गले लगाने से। यह एलान उनके उसी एलान व संकल्प का हिस्सा है।
उधर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के कार्यवाहक अध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट कर प्रतिक्रिया जताते हुए कहा कि यह स्वागतयोग्य है। मैं खुले दिमाग के साथ इसके परिणाम का इंतजार करूंगा। ताजा एलान उस सरकार के लिए हार है जो अतीत में कश्मीर समस्या के समाधान के लिए ताकत का इस्तेमाल कर रही थी, अब उसने कश्मीर समस्या के राजनीतिक पहलू को स्वीकारा है।
उन्होंने गृहमंत्री के बयान का जिसमें उन्होंने कहा कि दिनेश्वर शर्मा कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं को देखेंगे, पर ट्वीट करते हुए कहा, कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाएं, दिलचस्प बात है, लेकिन कौन तय करेगा कि यह वैध हैं या अवैध। उन्होंने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की जांच का जिक्र करते हुए पूछा कि क्या यह जांच अलगाववादियों के साथ बातचीत की प्रक्रिया शुरू करने के लिए रोक दी गई है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रो. सैफुद्दीन सोज ने कहा कि एलान तो अच्छा है। बातचीत की प्रक्रिया में हुर्रियत समेत सभी वर्ग शामिल होने चाहिए। अन्यथा, यह कदम फलदायक नहीं होगा।
मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के महासचिव मुहम्मद युसुफ तारीगामी और पीपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के चेयरमैन और विधायक हकीम मुहम्मद यासीन ने भी केंद्र के इस कदम को स्वागतयोग्य बताया।