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ISRO Chief सोमनाथ का बड़े उद्योग घरानों से अंतरिक्ष क्षेत्र में उतरने का आह्वान

भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8.4 अरब अमेरिकी डॉलर

ISRO Chief सोमनाथ का बड़े उद्योग घरानों से अंतरिक्ष क्षेत्र में उतरने का आह्वान

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, मंगलवार, 5 नवंबर 2024 (20:33 IST)
ISRO Chairman Somnath: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चेयरमैन एस सोमनाथ (S Somanath) ने मंगलवार को नई दिल्ली में उद्योग घरानों से अंतरिक्ष क्षेत्र (space sector) में बड़े पैमाने पर निवेश करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत को 2047 तक अंतरिक्ष शक्ति बनाने के लिए यह निवेश महत्वपूर्ण है। सोमनाथ ने यहां भारतीय अंतरिक्ष सम्मेलन को संबोधित करते हुए अंतरिक्ष उद्योग में 'अबूझ' निवेश पर चिंता व्यक्त की।ALSO READ: Gaganyaan Mission को लेकर क्‍या है चुनौती, प्रक्षेपण से पहले ISRO चीफ ने दिया यह बयान
 
उन्होंने कहा कि वैश्विक बाजार में भारतीय अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी बहुत कम है और अगली पीढ़ी को इस क्षेत्र में आने के लिए प्रोत्साहित और प्रेरित करने की आवश्यकता है।ALSO READ: चांद पर क्यों होती है भूकंपीय हलचल? क्या कहता है ISRO का विश्लेषण
 
भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8.4 अरब अमेरिकी डॉलर : भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 8.4 अरब अमेरिकी डॉलर आंकी गई है और अगले 10 साल में इसके 45 अरब डॉलर तक बढ़ने का अनुमान है। सोमनाथ ने कहा कि देश के बड़े उद्योग घरानों से व्यापार के अग्रिम पक्ष के लिए निवेश नहीं मिल रहा है और उनके साथ इस मामले पर बात की जा रही है।ALSO READ: Gaganyaan Mission : अंतरिक्ष में भारत जल्द करेगा एक और कारनामा, ISRO चीफ ने किया यह बड़ा ऐलान
 
भारत में बड़े उद्योग घरानों की कमी नहीं : इसरो चेयरमैन ने भारतीय अंतरिक्ष संघ द्वारा आयोजित सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत में बड़े (उद्योग) घरानों की कमी नहीं है जिनके पास निवेश करने और दुनिया के अन्य लोगों के बराबर सृजन करने की पर्याप्त क्षमता है, लेकिन उन्हें अकेले या दूसरों के साथ बहुत ही सहयोगात्मक तरीके से आगे बढ़ने की जरूरत है।
 
उन्होंने अंतरिक्ष क्षेत्र में शामिल जोखिमों को स्वीकार किया, जहां जटिल प्रणालियों को विकसित करने के लिए लंबे समय की जरूरत होती है। सोमनाथ ने कहा कि उद्योग और स्टार्टअप आगे आ रहे हैं, लेकिन एक स्तर तक बढ़ने, स्थापित खिलाड़ियों को चुनौती देने के लिए पर्याप्त प्रतिस्पर्धी बनने की उनकी क्षमता अब भी देखी जानी बाकी है। ऐसे में बड़े औद्योगिक घरानों को आगे आना चाहिए, क्योंकि इस क्षेत्र के भारी जोखिम को केवल वे ही उठा सकते हैं।(भाषा)
 
Edited by: Ravindra Gupta

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