नजरिया: केजरीवाल की जीत को ‘मुफ्तखोरी’ की जीत बताना जनादेश का अपमान
वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक विष्णु राजगढिया से बातचीत
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की ऐतिहासिक जीत को भाजपा काम की जीत नहीं बताकर मुफ्त के मुद्दे पर हासिल हुई जीत बता रही है। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने दिल्ली चुनाव के नतीजों पर बोलते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी ने यह चुनाव विकास के मुद्दे पर नहीं, सब कुछ फ्री में देने के मुद्दे पर जीता है।
दिल्ली चुनाव को लेकर 'वेबदुनिया' ने अन्ना आंदोलन के समय अरविंद केजरीवाल के सहयोगी रहे वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक विष्णु राजगढ़िया से बातचीत की। केजरीवाल की ऐतिहासिक जीत पर क्या कहते हैं विष्णु राजगढ़िया पढ़िए उन्हीं के शब्दों में।
दिल्ली में विकास और बदलाव की जीत हुई है। अरविंद केजरीवाल ने साबित किया है कि कोई सरकार चाहे तो स्कूल अस्पताल, बिजली पानी जैसी बुनियादी जरूरतों को अच्छी तरह पूरा करना संभव है। यही कारण है कि तमाम प्रतिकूल स्थितियों के बावजूद एक बार फिर दिल्ली के मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी को भारी बहुमत से जिताया है।
दिलचस्प बात यह है कि केजरीवाल ने अपने काम के नाम पर वोट मांगा। देश में पहली बार कोई चुनाव स्कूल अस्पताल, बिजली पानी के नाम पर हुआ। किसी भी सरकार का यही दायित्व है। नागरिकों का काम करने के लिए केजरीवाल की तारीफ होनी चाहिए।
इसके बजाय दिल्ली सरकार की नीतियों को मुफ्तखोरी कहना जनादेश का अपमान है। दिल्ली से केंद्र और अन्य राज्यों को सीखना चाहिए। देश में विकास और बदलाव की सकारात्मक राजनीति हो। धर्म, जाति और क्षेत्र की संकीर्ण राजनीति से किसी को सत्ता मिल सकती है, लेकिन जनता का भला तो बेहतर काम से ही होगा।
हैरानी की बात यह है कि चुनाव के नतीजे आने के बाद भी केजरीवाल की नीतियों पर गंभीरता से विचार के बजाय मुफ्तखोरी की जीत बताया जा रहा है। जबकि केजरीवाल ने बिना कोई टैक्स बढ़ाए ही दिल्ली में अपना रेवेन्यू बढ़ा लिया। वैट के जमाने में अधिकांश वस्तुओं का टैक्स मात्र 5 फीसदी कर दिया, इंस्पेक्टर राज पर रोक लगाई, इससे कर संग्रह बढ़ा।
इसके अलावा, सरकारी खर्च में कटौती करके भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के कारण भी केजरीवाल का खजाना हरदम भरा रहा। उन्होंने शहीद फौजियों और पुलिस जवानों के लिए 1 करोड़ की सहायता, विजेता खिलाड़ियों और संभावना वाली खेल प्रतिभाओं के लिए भी बड़ी राशि का इंतजाम किया। उच्च शिक्षा के लिए दस लाख रुपये तक के लोन में दिल्ली सरकार खुद गारंटर बनी।
अन्य राज्यों तथा केंद्र को इन नीतियों से सीखना चाहिए था। 'फरिश्ते दिल्ली के' नामक योजना के तहत सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों को तत्काल किसी भी निजी अथवा सरकारी योजना में पहुंचाने और फ्री इलाज जैसी योजनाएं बेहद कारगर और मानवीय साबित हुईं।
इन योजनाओं से सीखने के बजाय केजरीवाल को आतंकवादी कहना, अनावश्यक तौर पर शाहीनबाग के मुद्दे पर घेरना और अपशब्दों का उपयोग करना भाजपा की गलत रणनीति साबित हुई।
बेहतर होगा कि इस रिजल्ट से सबक लेकर देश को उन्माद के बजाय विकास की दिशा में ले जाने की गंभीर कोशिश हो। मीडिया, खासकर टीवी चैनलों को भी अपनी साख फिर से बनाने की गंभीर कोशिश करनी होगी। केजरीवाल की नीतियों को मुफ्तखोरी कहने के बदले लोक कल्याणकारी सरकार का पैमाना समझा जाए।