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National Emblem Row : अशोक स्तंभ को लेकर विपक्ष के सवालों का सरकार ने दिया जवाब, जानिए क्या कहा?

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मंगलवार, 12 जुलाई 2022 (22:40 IST)
नई दिल्ली। Ashoka Pillar Controversy NeWs : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए संसद भवन पर बने अशोक स्तंभ (Ashoka Pillar Controversy) का अनावरण किया। अब इस प्रतीक चिन्ह को लेकर सियासी संग्राम छिड़ गया है। विपक्ष का आरोप है कि प्रतीक चिन्ह के साथ छेड़छाड़ की गई है। तृणमूल कांग्रेस की लोकसभा सांसद महुआ मोइत्रा ने अपने ट्विटर पर नए और पुराने अशोक स्तंभ की तस्वीर शेयर की। इसमें उन्होंने कुछ लिखा नहीं, लेकिन दोनों तस्वीरों को तुलनात्मक रुप से अलग-अलग दिखाने की कोशिश की गई है।

अगले ट्वीट में उन्होंने अपना इरादा जाहिर करते हुए लिखा कि सच कहूं तो 'सत्यमेव जयते' का 'सिंहमेव जयते' में परिवर्तन काफी पहले हो चुका है। उनका इशारा सीधे तौर पर भाजपा और मौजूदा सरकार की कार्यप्रणाली की ओर था। उनके इस ट्‍वीट के बाद विपक्ष के लगातार आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए।
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Constitution separates powers of parliament, govt & judiciary. As head of govt, @PMOIndia shouldn’t have unveiled the national emblem atop new parliament building. Speaker of Lok Sabha represents LS which isn’t subordinate to govt. @PMOIndia has violated all constitutional norms pic.twitter.com/kiuZ9IXyiv

— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 11, 2022 >आम आदमी पार्टी से राज्यसभा सदस्य संजयसिंह ने तो इसे राष्ट्र विरोधी कदम करार दिया। उन्होंने लिखा कि राष्ट्रीय चिन्ह को बदलने वालों को क्यों नहीं राष्ट्र विरोधी कहा जाए।

संजय सिंह ने जो ट्वीट किया उसमें लिखा था कि पुराने अशोक स्तंभ में सिंह जिम्मेदार शासक की तरह गंभीर मुद्रा में दिखता है। वहीं दूसरे (संसद की छत पर लगने वाले) में सिर्फ खौफ फैलाने वाला जैसा लग रहा है। अशोक स्तंभ भारतीय लोकतंत्र की पहचान रहा है।
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pic.twitter.com/CHhKM66bl3

— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) July 12, 2022 >इसे भारत सरकार ने 26 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय स्तंभ के रूप में अपनाया गया था। नए संसद भवन की छत पर बना अशोक स्तंभ यानी राष्ट्रीय प्रतीक ब्रॉन्ज से बना है।
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मैं 130 करोड़ भारतवासियों से पूछना चाहता हूँ राष्ट्रीय चिन्ह बदलने वालों को “राष्ट्र विरोधी”बोलना चाहिये की नही बोलना चाहिये। https://t.co/JxhsROGMRi

< — Sanjay Singh AAP (@SanjayAzadSln) July 11, 2022 >इसका वजन 9500 किलो है और उसकी लंबाई 6.5 मीटर है। इस प्रतीक को उच्च गुणवत्ता वाले कांस्य यानी ब्रॉन्ज से बनाया गया है।
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To completely change the character and nature of the lions on Ashoka's pillar at Sarnath is nothing but a brazen insult to India’s National Symbol! pic.twitter.com/JJurRmPN6O

< — Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 12, 2022 >
इसे भारतीय कारीगरों द्वारा पूरी तरह हाथ से बनाया गया है। इस अशोक स्तंभ को बनाने में 100 से ज्यादा कारीगरों ने 9 महीने से ज्यादा समय तक काम किया है।


चौधरी ने चेहरे पर उठाया सवाल : लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ट्वीट किया कि नरेंद्र मोदी जी, कृपया शेर का चेहरा देखिए। क्या यह महान सारनाथ की प्रतिमा को परिलक्षित कर रहा है या गिर के शेर का बिगड़ा हुआ स्वरूप है। कृपया इसे देखिए और जरूरत हो तो इसे दुरुस्त कीजिए। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य जवाहर सरकार ने राष्ट्रीय प्रतीक के दो अलग-अलग चित्रों को साझा करते हुए ट्वीट किया,  कि यह हमारे राष्ट्रीय प्रतीक का, अशोक की लाट में चित्रित शानदार शेरों का अपमान है। बांयी ओर मूल चित्र है। मोहक और राजसी शान वाले शेरों का। दाईं तरफ मोदी वाले राष्ट्रीय प्रतीक का चित्र है जिसे नये संसद भवन की छत पर लगाया गया है। इसमें गुर्राते हुए, अनावश्यक रूप से उग्र और बेडौल शेरों का चित्रण है। शर्मनाक! इसे तत्काल बदलिए।
 
क्या बोली भाजपा : भाजपा के मुख्य प्रवक्ता और राज्यसभा के सदस्य अनिल बलूनी ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष के आरोपों की मूल वजह उनकी कुंठा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में, अंग्रेजों द्वारा 150 साल पहले बनाए गए संसद भवन की जगह भारत अपना नया संसद भवन बना रहा है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दल किसी ना किसी बहाने प्रधानमंत्री मोदी को निशाना बनाना चाहते हैं। यह लोगों को गुमराह कर वातावरण को दूषित करने का महज एक षड़यंत्र है। भाजपा के राष्ट्रीय सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने कहा कि कोई बदलाव नहीं है। विपक्ष 2डी तस्वीरों की तुलना भव्य 3डी संरचना से कर रहा है। 
 
शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने जोर दिया कि यदि सारनाथ स्थित राष्ट्रीय प्रतीक के आकार को बढ़ाया जाए या नए संसद भवन पर बने प्रतीक के आकार को छोटा किया जाए, तो दोनों में कोई अंतर नहीं होगा। पुरी ने कहा, कि सारनाथ स्थित मूल प्रतीक 1.6 मीटर ऊंचा है जबकि नए संसद भवन के ऊपर बना प्रतीक विशाल और 6.5 मीटर ऊंचा है।
 
इरफान हबीब ने भी जताई आपत्ति : इतिहासकार एस. इरफान हबीब ने भी नये संसद भवन की छत पर स्थापित राष्ट्रीय प्रतीक पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा, ‘‘हमारे राष्ट्रीय प्रतीक के साथ छेड़छाड़ पूरी तरह अनावश्यक है और इससे बचा जाना चाहिए। हमारे शेर अति क्रूर और बेचैनी से भरे क्यों दिख रहे हैं? ये अशोक की लाट के शेर हैं जिसे 1950 में स्वतंत्र भारत में अपनाया गया था।’’
 
वरिष्ठ वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि गांधी से गोडसे तक, शान से और शांति से बैठे हमारे शेरों वाले राष्ट्रीय प्रतीक से लेकर सेंट्रल विस्टा में निर्माणाधीन नए संसद भवन की छत पर लगे उग्र तथ दांत दिखाते शेरों वाले नये राष्ट्रीय प्रतीक तक। यह मोदी का नया भारत है।

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