नई दिल्ली। आयकर विभाग ने देशभर में सहकारी बैंकों के कामकाज के तरीके पर गंभीर चिंता जताई है। विभाग ने दावा किया कि सहकारी बैंकों ने नोटबंदी को कालेधन को सफेद करने के अवसर के रूप में इस्तेमाल किया।
विभाग की एक विश्लेषण रिपोर्ट में कहा गया है कि कर अधिकारियों ने पाया कि 8 नवंबर के बाद ये बैंक कालेधन के सृजन और उसे ठिकाने लगाने में अभूतपूर्व स्तर पर लगे हुए थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को ही 500 और 1,000 का नोट बंद करने की घोषणा की थी। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस तरह की गैरकानूनी गतिविधियों में कई तरीकों से साठगांठ देखने को मिली। इन बैंकों ने बड़ी मात्रा में धनराशि को काले से सफेद करने के लिए चालाक तथा गैरकानूनी रास्ता अख्तियार किया।
आयकर जांच में पाया गया कि ऐसे एक मामले में एक छोटे से कस्बे राजस्थान के अलवर में बैंक के निदेशकों ने 90 संदिग्ध पहचान वाले 90 लोगों के नाम पर ऋण हासिल कर 8 करोड़ रुपए का चूना लगाया। वहीं प्रबंधन ने दो करोड़ रुपए के व्यक्तिगत बेहिसाबी धन को सफेद करने के लिए इसका इस्तेमाल किया।
जयपुर के एक सहकारी बैंक में डेढ़ करोड़ रुपए बैंक के क्लियरिंग हाउस कमरे की अलमारी में पाए गए। विभाग ने कई शहरों में बिना आवंटन वाले तथा बेनामी लॉकरों से भारी मात्रा में नकदी बरामद की। इनमें सोलापुर, पंधारपुर, सूरत और जयपुर के बैंक शामिल हैं। (भाषा)