नागरिकता संशोधन बिल सोमवार को लोकसभा में पास हो गया। सदन में बिल पास होने से पहले इस पर जमकर बहस हुई और कांग्रेस के साथ टीएमसी समाजवादी पार्टी, बसपा समेत कई दलों ने अपना विरोध जताया। आधी रात को बिल पर हुई वोटिंग में बिल के समर्थन में 331 मत पड़े वहीं विपक्ष में मात्र 80 सदस्यों ने वोट किया। ट्रिपल तलाक, अनुच्छेद 370 के बाद नागरिकता संशोधन बिल को लोकसभा में पास होना मोदी 2.0 सरकार की बड़ी सफलता के रुप में देखा जा रहा है।
लोकसभा में अपने बल पर बहुमत रखने वाली भाजपा ने इस बिल के जरिए विपक्षी खेमे की एकता में बड़ी सेंध लगा दी है। महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अलग होने वाली शिवसेना ने भी नागरिकता संशोधन बिल का समर्थन किया है। शिवसेना का बिल को समर्थन करना विपक्ष की उस मुहिम को तगड़ा झटका माना जा रहा है जिसके कयास महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन के बाद लगाए जा रहे थे। महाराष्ट्र में कांग्रेस के साथ गठबंधन सरकार बनाने वाली शिवसेना का बिल का समर्थन करना उस तीसरे मोर्च के गठन के संभावना को एक तरह से सिरे से खारिज कर देता है जिसके बनने की अटकलें तेजी से लगाई जा रही थी।
असम में NRC का खुलकर विरोध करने वाली जेडीयू ने भी लोकसभा में बिल का समर्थन कर दिया है। इस निर्णय के बाद पार्टी में बड़ी फूट पड़ती हुई दिखाई दे रही है। लोकसभा में जहां जेडीयू के सांसदों ने बिल का समर्थन किया वहीं पार्टी के दिग्गज नेता प्रशांत किशोर खुलकर बिल के विरोध में आ गए है। लोकसभा में बिल पास होने के बाद पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने ट्वीट करते हुए लिखा कि वह इस बिल पर पार्टी के समर्थन को देखकर निराश है। उन्होंने इसे पार्टी के संविधान के खिलाफ बताते हुए कहा कि वह निराश है कि जेडीयू ने नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया। प्रशांत किशोर को पार्टी में नीतीश कुमार के बाद नंबर 2 माना जाता है ऐसे में नागरिकता बिल के जरिए भाजपा ने जेडीयू में बड़ी फूट पैदा कर दी है।
इसके साथ ही पिछली बार लोकसभा में बिल का विरोध करने वाली बीजेडी ने भी बिल का समर्थन कर भाजपा को बड़ी राहत दी है। वहीं वाईएसआर कांग्रेस और एलजेपी ने बिल का समर्थन कर मोदी- शाह सहित पूरे सत्ता पक्ष के चेहरे पर एक मुस्कान ला दी ह।
राज्यसभा की राह हुई आसान - लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास होना भाजपा की एक बड़ी जीत माना जा रहा है और जिस तरह भाजपा ने विपक्षी खेमे में सेंध लगाई है उसके बाद बिल के राज्यसभा में भी आसानी से पास होने की संभावना लगाई जा रही है। राज्यसभा में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को भले ही अपने बल पर बहुमत नहीं हासिल हो लेकिन जिस तरह विपक्ष के कई दलों ने लोकसभा में बिल का समर्थन किया है उसके बाद ये माना जा रहा है कि बिल आसानी से राज्यसभा में भी पास हो जाएगा।
राज्यसभा में इस समय सदस्यों की संख्या 245 है। ऐसे में अगर सरकार को बिल पास कराना है उसके 123 सदस्यों को समर्थन चाहिए। अगर राज्यसभा के सियासी गणित की बात करें तो भाजपा के 83, अकाली दल के 3, बीजेडी के 7 और एआईएडीएमके के 11 सदस्य शामिल है। इसके साथ उसकी पुरानी सहयोगी शिवसेना जिसके राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 3, वाईएसआर कांग्रेस के 2, जेडीयू के 6 और एलजेपी के 1 सदस्य भी राज्यसभा में सरकार के साथ नजर आने की पूरी संभावना है। इसके साथ ही पार्टी को पूर्वातर की कई छोटी पार्टियों ने अपना सर्मथन दिया है जिसके बाद अब राज्यसभा में भी बिल का पास होना लगभग तय माना जा रहा है।
वहीं विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के 46, टीएमसी -13, एसपी -9,एनसीपी के 4, सीपीएम -5, टीआरएस -6, डीएमके - 5, बीएसपी -4, आरजेडी- 4,टीडीपी -2 और आप के 3 सदस्य शामिल है। ऐसे में संख्या बल के आधार पर विपक्ष सदन में सरकार से पीछे छूटता हुआ दिखाई दे रहा है।