देवभूमि उत्तराखंड में चारधाम यात्रा शुरू हो चुकी है। हालांकि बर्फ से ढके पहाड़ों पर मौसम का मिजाज और हिमस्खलन के कारण छोटे-बड़े व्यवधान आते रहते हैं लेकिन मोक्ष और जीवन में संकटों से मुक्ति की कामना लिए तीर्थयात्रियों का सैलाब यहां यात्रा की अवधि में सदा बना रहता है। धार्मिक यात्रा करने वाले लोगों के लिए यह उचित समय भी है, मई माह के अंतिम सप्ताह तक स्टूडेंट्स का ग्रीष्मावकाश शुरू हो जाता है। भीषण गर्मी से बचने के लिए लोग पहाड़ों की तरफ रूख कर जाते हैं।
पहले जान लें आवश्यक बातें : चारधाम यात्रा करने से पहले आपके शरीर का पूर्ण स्वस्थ होना जरूरी है। मेडिकल चेकअप कराने के बाद आवश्यक दवाइयां साथ ले लें। साथ ही पर्याप्त गर्म कपड़े जरूर रख लें। रास्ते में अनेक होटल हैं लेकिन सितारा होटलों जैसी परिकल्पना न करें। यात्रा शुरू करने से पहले मौसम का पूर्वानुमान देख लें। रजिस्ट्रेंशन कराना अनिवार्य है जो ऑनलाइन कराया जा सकता है। अच्छा हो कोई टूर पैकेज ले लें।
चारधाम की यात्रा में माइनस डिग्री तक का तापमान दिल के मरीजों के लिए घातक सिद्ध हो रहा है। बर्फीले स्थान पर तुरंत इलाज न मिल पाने के कारण धर्मावलंबियों की मौत भी हो रही है।
अकेले केदरनाथ यात्रा में 9 दिनों के अंदर 8 तीर्थयात्रियों की मौत हो चुकी है, वही गंगोत्री धाम में 4, यमुनोत्री धाम में 5 और बदरीनाथ धाम में 2 यात्रियों की मौत हुई है। उत्तराखंड राज्य आपदा विभाग के मुताबिक अब चार धाम की यात्रा में 19 तीर्थ यात्री काल का ग्रास बन चुके है। यदि कोई भी चारधाम धार्मिक यात्रा करने वाला यात्री अस्वस्थ है तो वह बर्फीले स्थान का विचार फिलहाल त्याग दें।
कब शुरू होती है यात्रा : चार धामों यानी यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट अलग-अलग तिथियों को खुलते हैं। यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट दर्शनों के लिए अक्षय तृतीया को खोले जाते हैं जबकि केदारनाथ और बद्रीनाथ के कपाट खुलने की तिथि क्रमशः महाशिवरात्रि और बसंत पंचमी को विधिसम्मत निर्धारित की जाती है। इस बार यानी 2023 में यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट 22 अप्रैल, केदारनाथ के कपाट 25 अप्रैल एवं बद्रीनाथ के कपाट 27 अप्रैल को विधि-विधान के साथ खोल दिए गए। इस तरह अब देवभूमि स्थित चारों धामों की यात्रा प्रारंभ हो चुकी है। चारों धाम बर्फ से ढके दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में स्थित हैं, इसलिए सर्दियों में भारी बर्फबारी के चलते नवंबर के दूसरे सप्ताह में अलग-अलग तिथियों को इनके कपाट बंद कर दिए जाते हैं।
इन महीनों में यात्रा से बचें : हिमस्खलन से अस्थाई तौर पर मार्ग अवरूद्ध हो जाते हैं, जिससे यात्रा में अवरोध उत्पन्न हो सकता है। इस अवरोध को हटाकर मार्ग सुगम बनाने में कुछ दिन लग जाते हैं जिसकी प्रतीक्षा यात्रियों को करनी पड़ती है। होटल या धर्मशाला का आश्रय लेना पड़ता है। इसी तरह भारी बारिश होने पर पहाड़ी चट्टाने टूट कर मार्ग अवरूद्ध कर सकती हैं जिनके हटाए जाने तक यात्री बीच में ही अटक जाते हैं। इस नजरिए से मानसून के समय यानी जुलाई और अगस्त में यात्रा से बचना चाहिए। मई, जून, सितंबर और अक्टूबर यात्रा के लिए सर्वाधिक उपयुक्त महीने माने जाते हैं।
सबसे पहले यमनोत्री : चारधाम यात्रा का एक निश्चित विधान या अनुक्रम है। इस क्रम में तीर्थयात्री सबसे पहले यमुनोत्री के दर्शन करते हैं। यमुनोत्री के बाद गगोत्री, फिर केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ धाम के दर्शन करते हैं। हालांकि कुछ लोग एक या दो धाम तक सीमित रहते हैं और कुछ पर्यटन के नजरिए से भी जाते हैं।
कैसे पहुंचे यमुनोत्री : यमुनोत्री जाने के लिए आप हरिद्वार तक ट्रेन से जा सकते हैं। हरिद्वार से आपको सड़क मार्ग से ऋषिकेश होते हुए जानकीचट्टी तक जाना होगा। अगर आप सड़क से आ रहे हैं तो आपको दिल्ली से एनएच 58 पर यात्रा करते हुएं ऋषिकेश पहुंचना होगा। ऋषिकेश से जनकीचट्टी पहुंचकर छह किलोमीटर पैदल चलते हुए आप यमुनोत्री धाम पहुंचेंगे।
दिल्ली से यमुनोत्री की दूरी करीब 485 किलोमीटर है। करीब 12 घंटे का समय लगेगा। आप दिल्ली आईएसबीटी से बस द्वारा भी ऋषिकेश पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश तक फ्रीक्वेंट बस सर्विस है। निकटतम हवाई अड्डा देहरादून है जहां से अच्छी कनेक्टिविटी है। यमुनोत्री के आसपास आप दिव्यशिला, सूर्यकुण्ड और सप्तऋषि कुंड भी जाया जा सकता है।
कैसे पहुंचे गंगोत्री : यमुनोत्री से गंगोत्री या सीधे गंगोत्री जाने के लिए आपको पहले उत्तरकाशी पहुंचना होगा। यमुनोत्री से ब्रह्मखाल होते हुए उत्तरकाशी आने पर यहां से हरसिल या गंगोत्री के लिए बस भी मिल जाएगी और टैक्सी भी लेकिन गंगोत्री से गोमुख तक 19 किलोमीटर की ट्रेकिंग करनी होगी। ऋषिकेश से सीधे भी गंगोत्री पहुंचा जा सकता है।
कैसे पहुंचे केदारनाथ : केदारनाथ जाने के लिए आप वाहन से गौरीकुंड तक पहुंच सकते हैं, जहां से आपको 16 किलोमीटर की ट्रेकिंग करनी होगी। अगर आप चाहें तो गुप्तकाशी या फाटा अथवा गौरीकुंड से हेलीकॉप्टर में सवार होकर आकाशीय मार्ग से वहां पहुंच सकते हैं। गौरीकुंड पहुंचने के लिए पहले आपको रुद्रप्रयाग पहुंचना होगा। रुद्रप्रयाग से गुप्तकाशी, फाटा, रामपुर, सीतापुर होते हुए आप गौरीकुंड पहुंचेंगे।
बद्रीनाथ कैसे पहुंचे : सड़क मार्ग से बद्रीनाथ धाम पहुंचने के लिए पहले आपको रुद्रप्रयाग आना होगा। रुद्रप्रयाग से कर्णप्रयाग से नंदप्रयाग, चमोली, बिरही, पीपलकोटी होते हुए जोशीमठ से बद्रीनाथ पहुंच जाएंगे। इसके अलावा हेलीकॉप्टर सेवाएं भी उपलब्ध हैं। केदारनाथ से सीधे बद्रीनाथ के लिए हेलीकॉप्टर मिल जाएगा। Edited By : Sudhir Sharma