नई दिल्ली। केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का गुरुवार सुबह यहां दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह 60 वर्ष के थे और अविवाहित थे। दवे का अंतिम संस्कार उनकी इच्छा के अनुसार शुक्रवार सुबह होशंगाबाद जिले के बांद्रा भान स्थित नर्मदा नदी के तट पर शिवनेरी आश्रम में किया जाएगा।
सुबह अचानक तबीयत बिगड़ जाने की वजह से उन्हें अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले जाया था जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। वन और पर्यावरण मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि दवे का आज सुबह कोयम्बटूर जाने का कार्यक्रम था लेकिन इसी बीच उनकी तबीयत बिगड़ गई और उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाना पड़ा।
राष्ट्रीय शोक : दवे के सम्मान में दिल्ली के अलावा देश के अन्य राज्यों और केंद्र शासित क्षेत्रों की राजधानियों में राष्ट्रध्वज आधा झुका दिया गया तथा मध्यप्रदेश में दो दिन का राजकीय शोक घोषित किया गया है। एम्स से उनका पार्थिव शरीर 11, सफदरजंग स्थित उनके सरकारी आवास पर लाया गया, जहां उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष, प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री जितेंद्रसिंह और वेंकैया नायडू समेत अन्य गणमान्य लोगों और उनके प्रशंसकों ने उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री ने श्रद्धांजलि दी : राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी, उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद समेत कई गणमान्य लोगों ने श्री दवे के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और उनके निधन को पर्यावरण के क्षेत्र में गहरा नुकसान बताया। दवे को श्रद्धांजलि देने वालों में केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथसिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, सूचना एवं प्रसारण मंत्री एम. वेंकैया नायडू, मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर,वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, कपडा मंत्री स्मृति ईरानी समेत मंत्रिपरिषद के अनेक सदस्य शामिल हैं।
अनिल माधव दवे आरएसएस के दिग्गज नेता थे। उन्होंने सिंहस्थ, विश्व हिंदी सम्मेलन जैसे आयोजनों को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई थी। मध्यप्रदेश में भाजपा को सत्ता में लाने में उनका बड़ा योगदान रहा। उनके नर्मदा नदी संरक्षण कार्यों से दवे को एक अलग पहचान मिली थी।
मध्यप्रदेश से राज्यसभा के सांसद दवे पर्यावरण मंत्री बनने से पहले ही पर्यावरण संरक्षण के अभियान में काफी सक्रिय रहे थे। नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए उन्होंने अपना एक संगठन बना रखा था। वह पर्यावरण के क्षेत्र में काफी अध्ययन करते थे और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते का भारत की ओर से अनुमोदन किए जाने में दवे ने अहम भूमिका निभाई थी। प्रधानमंत्री की पर्यावरण से जुडी योजनाओं में वह एक प्रमुख नीतिकार और सलाहकार थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दवे के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट में कहा, 'अपने मित्र एवं सम्मानित सहकर्मी पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे जी के आकस्मिक निधन से सदमे में हूं। मैं संवेदनाएं व्यक्त करता हूं।' प्रधानमंत्री ने कहा कि दवे को एक समर्पित लोकसेवक के तौर पर याद किया जाएगा, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति बेहद जुनूनी थे।
एक अन्य ट्वीट में मोदी ने कहा, 'कल देर शाम तक मैं अनिल माधव दवे जी के साथ था और मुख्य नीतिगत मुद्दों पर चर्चा कर रहा था। उनका निधन एक निजी क्षति है।'
लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री अनिल माधव दवे के आकस्मिक निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि दवे को हम सभी एक आदरणीय सहयोगी, प्रबुद्ध चिंतक, पर्यावरण प्रेमी और कुशल संगठनकर्ता के तौर पर याद करेंगे। दवे ने नर्मदा नदी के संरक्षण के लिए जनजागृति और जनभागीदारी के माध्यम से उल्लेखनीय कार्य किया। एक जनसेवक एवं विशेषकर पर्यावरण मंत्री के रूप में अपने अध्ययन चिंतन एवं कार्यशैली से उन्होंने अत्यंत दूरगामी एवं अमिट छाप छोड़ी। वें अत्यंत सरल एवं मृदुल भाषी थें। मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर अनिल माधव दवे के निधन पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा, 'बड़े भाई, घनिष्ठ मित्र अनिल माधव दवे के असामयिक निधन से स्तब्ध हूं। यह निजी क्षति है। दवे के रूप में देश ने एक सच्चा देशभक्त और माँ नर्मदा का सपूत खो दिया है। इस क्षति की भरपाई कभी न हो सकेगी। वे आरएसएस के सच्चे कार्यकर्ता थे। उन्होंने आजीवन समर्पित भाव से देश सेवा की।
केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू, सुरेश प्रभु, स्मृति ईरानी, आदि ने भी दवे के निधन पर शोक व्यक्त किया है।