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कोर्ट की फटकार के बाद सोना 'गायब' होने की जांच कर रही है CBI

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शनिवार, 12 दिसंबर 2020 (23:51 IST)
नई दिल्ली। सीबीआई 8 साल पहले जब्त किए गए कुल 400 किग्रा सोना में से 103 किग्रा सोना गायब हो जाने के बाद पुलिस अधीक्षक (एसपी) स्तर के एक अधिकारी के तहत इसकी 'आंतरिक जांच' कर रही है। हालांकि, जांच पूरी होनी अभी बाकी है, क्योंकि कोविड-19 के चलते लागू पाबंदियों के कारण इसमें देर हुई। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
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सीबीआई प्रवक्ता ने शनिवार शाम एक बयान में कहा कि आंतरिक जांच जारी है और सीबीआई के किसी अधिकारी की भूमिका (सोना गायब होने में) सामने आने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु अपराध शाखा-सीआईडी पुलिस को गायब सोना के मामले की जांच करने का निर्देश दिया था।
 
वर्ष 2012 में सीबीआई ने चेन्नई में सुराना कॉर्पोरेशन लिमिटेड के कार्यालय पर छापेमारी में 400.47 किलोग्राम सोने की छड़ें और आभूषण जब्त किए थे। गायब हुआ सोना भी इसी अभियान के दौरान जब्त किया गया था। सोना-चांदी के आयात के संबंध में मिनरल्स एंड मेटल्स ट्रेडिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एमएमटीसी) के कुछ अधिकारियों द्वारा कंपनी को मदद पहुंचाने संबंधी आरोपों के बाद सीबीआई ने यह कार्रवाई की थी। 
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जांच एजेंसी सूत्रों ने बताया कि सोना गायब होने का यह मामला जब सामने आया तब यह स्पष्ट था कि सील अक्षुण्ण था और इसलिए पहला कदम यह पता लगाना था कि आखिरकार क्या हुआ होगा। उन्होंने बताया कि मार्च में एसपी रैंक के एक अधिकारी के तहत जांच का आदेश दिया गया था लेकिन कोविड-19 के कारण लॉकडाउन लागू हो जाने के चलते लोगों को तलब करना और बयान दर्ज करना मुश्किल हो गया था। 
 
उन्होंने बताया कि 2012 में सोने की हुई जब्ती से जुड़े अधिकारी सेवानिवृत्त हो गए हैं और लॉकडाउन 
के दौरान उनका पता लगाना मुश्किल था। शनिवार शाम जारी एक बयान में सीबीआई प्रवक्ता आर के गौड़ ने स्पष्ट किया कि उक्त सोना सीबीआई के मालखाना में नहीं रखा गया था, इसके बजाय इसे सुरना परिसर में सिर्फ सील लगा कर रखा गया था।
 
प्रवक्ता ने कहा कि जांच जारी है, इसबीच उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई जिसने 11 दिसंबर को आदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि सीबीआई की आंतरिक जांच जारी रहेगी। उच्च न्यायालय की पीठ ने कहा कि जब इस अदालत ने सवाल किया कि चोरी के बारे में प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई तो विशेष लोक अभियोजक ने कहा इस मामले में सीबीआई आंतरिक जांच कर रही है। उन्होंने इस अदालत से चोरी के बारे में प्राथमिकी दर्ज करने और जांच के वास्ते सीबीआई को निर्देश देने का अनुरोध किया।
 
उन्होंने यह भी सुझाया कि यह अदालत किसी राज्य की पुलिस या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) को जांच के लिए निर्देश दे सकती है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अदालत या सीबीआई के मालखाना से संपत्ति गायब होती है तो क्या किया जाना चाहिए। इसका जवाब स्पष्ट है। उच्च न्यायालय ने कहा कि संबंधित थाना क्षेत्र में चोरी की एक प्राथमिकी दर्ज करानी चाहिए और सीआरपीसी के अध्याय बारहवें के तहत पुलिस जांच होनी चाहिए। (भाषा)

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