प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे के दौरान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों की वजह से उन्हें करीब 20 मिनट तक जाम में फंसे रहना पड़ा।
इस घटना को प्रधानमंत्री की सिक्योरिटी में चूक के तौर पर देखा जा रहा है। गृह मंत्रालय ने पंजाब पुलिस पर लापरवाही का आरोप लगाया है और मंत्रालय का कहना है कि पंजाब पुलिस ने ब्लू बुक नियमों का पालन नहीं किया है।
ऐसे में जानते है कि ये Blue Book क्या होती है, क्या है इसका महत्व और कैसे इसे फॉलो किया जाना चाहिए। इसके साथ ही एक येलो बुक भी होती है। आइए जानते हैं क्या होती है ये बुक और क्या है इसका इस्तेमाल।
आपको बता दें कि पंजाब पुलिस पर ब्लू बुक फॉलो नहीं करने का आरोप लगा है।
क्या होती है Blue Book?
Blue Book एक तरह से गाइडलाइन का दस्तावेज है, जिसमें किसी वीवीआईपी की सुरक्षा को लेकर फॉलो किए जाने वाले नियमों की जानकारी लिखी होती है। अभी प्रधानमंत्री की सुरक्षा की जिम्मेदारी एसपीजी के पास है और एसपीजी की Blue Book के हिसाब से ही पीएम सिक्योरिटी का ख्याल रखा जाता है।
इस Blue Book में पीएम सिक्योरिटी में फॉलो की जाने वाली गाइडलाइन की पूरी जानकारी लिखी होती है और उसके हिसाब से ही प्रोटोकॉल तय होता है।
उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री कहीं जनसभा में जा रहे हैं तो वहां की सुरक्षा व्यवस्था कैसे होगी, पीएम सड़क मार्ग से जा रहे हैं तो उनकी रूट की व्यवस्था कैसे होगी, अगर हवाई मार्ग से जा रहे हैं तो किन नियमों का पालन किया जाएगा, इसके अलावा किसी बिल्डिंग में जा रहे हैं तो वहां सुरक्षा कैसे होगी, इन सभी बातों की जानकारी इस बुक लिखी गई है।
इसके अलावा बुक में सुरक्षा जवानों की संख्या और अन्य प्रोटोकॉल की जानकारी भी लिखी होती है। इसलिए यह वो बुक है, जिसमें वीवीआईपी सुरक्षा से जुड़ी हर एक बात लिखी होती है।
बता दें कि सिर्फ एसपीजी को ही नहीं, बल्कि स्टेट पुलिस को भी इसके हिसाब से व्यवस्था करनी होती है और गाइडलाइन के हिसाब से पीएम का कार्यक्रम तय किया जाता है। इसी वजह से पंजाब पुलिस पर भी इसकी अनदेखी करने के आरोप लग रहे हैं।
Yellow Book भी होती है
ब्लू बुक के अलावा एक येलो बुक भी होती है, जिसमें वीआईपी लोगों की सुरक्षा को लेकर जानकारी होती है। जैसे सांसदों और मंत्रियों को किस तरह से सुरक्षा दी जाएगी और उनकी सिक्योरिटी में क्या इंतजाम किए जाएंगे, इसकी जानकारी येलो बुक में होती है।
ब्लू बुक के अनुसार, राज्य की पुलिस को किसी भी स्थिति, जैसी पंजाब में देखने को मिली, उस समय एक आकस्मिक मार्ग की तैयारी पहले से करके रखनी होती है। एसपीजी के जवान पीएम के चारों ओर घेरा बनाकर रहते हैं, लेकिन सुरक्षा के बाकी उपायों की जिम्मेदारी राज्य सरकार के हाथों में होती है। स्थिति में होने वाले बदलाव की जानकारी राज्य की पुलिस एसपीजी को देती है और उसी हिसाब से वीआईपी की गतिविधि बदली जाती है।