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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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पालघर मुद्दे पर सोशल मीड‍िया पर आमने-सामने अर्नब गोस्‍वामी और रवीश कुमार के समर्थक

पालघर मुद्दे पर सोशल मीड‍िया पर आमने-सामने अर्नब गोस्‍वामी और रवीश कुमार के समर्थक
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नवीन रांगियाल

मीड‍िया में होने वाली बहस और वि‍वाद असर आजकल सोशल मीडि‍या पर भी खूब नजर आता है। हाल ही में एक घटना के बाद ऐसा ही कुछ हुआ।

र‍िपब्‍ल‍िक भारत न्‍यूज चैनल के मैनेज‍िंग एड‍िटर अर्नब गोस्‍वामी के ऊपर मुंबई में हुए हमले के बाद अर्नब और एनडीटीवी के एंकर रव‍ीश कुमार के समर्थक सोशल मीड‍िया पर आपस में भि‍ड़ रहे हैं।

पहले बता दें क‍ि मामला क्‍या है। दरअसल, हाल ही में महाराष्‍ट्र के पालघर में जूना अखाड़ा के दो संतों की मॉब ल‍िंच‍िंग में हत्‍या कर दी गई। इस मामले को र‍िपब्‍ल‍िक चैनल लगातार उठा रहा था। अपने एक शो के दौरान अर्नब गोस्‍वामी ने कांग्रेस की सोन‍िया गांधी से इस मामले में चुप्‍पी साधने को लेकर सवाल उठाया था।

इस शो के बाद मुंबई में अर्नब गोस्‍वामी और उनकी पत्‍नी पर कुछ लोगों ने हमला कर द‍िया। उनकी गाड़ी के कांच फोड़ द‍िए और उन पर कोई ल‍िक्‍व‍िड फैंकने की भी कोशि‍श की गई। हालांक‍ि बाद में हमला करने वालों की पहचान कर ली गई।

अर्नब ने आरोप लगाया क‍ि यह हमला सोन‍िया गांधी ने करवाया और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने उन पर यह हमला क‍िया है। घटना के बाद पूरे देश में मामले को लेकर बहस की जा रही है। संत समाज के कई लोग अर्नब गोस्‍वामी के समर्थन में आ गए हैं। इसके साथ ही भाजपा के प्रवक्‍ता, मुंबई प्रेस क्‍लब समेत कई लोग सोशल मीड‍िया पर अर्नब पर हुए हमले की न‍िंदा कर रहे हैं।

बहस की जा रही है क‍ि क्‍या क‍िसी मामले को लेकर खासतौर से जब भारत में संतों की हत्‍या हो जाती है तो क्‍या मीड‍िया कांग्रेस के नेताओं से सवाल नहीं कर सकते।

न्‍यूज चैनल पर तो यह मामला गरमा ही रहा है, लेक‍िन सोशल मीड‍िया पर भी इसे लेकर जमकर बहस जारी है। 
सोशल मीड‍िया इसे लेकर दो खेमों में बंट गया है। इतना ही नहीं, अर्नब और रव‍ीश कुमार के समर्थक भी इसे लेकर आपस में गर्मागर्म बहस कर रहे हैं।

ट्व‍िटर से लेकर फेसबुक तक दो वर्ग इस मुद्दे पर अपनी राय जाह‍िर कर रहे हैं। दोनों तरफ के लोग अपने अपने तर्क ल‍िख रहे हैं और समर्थन या वि‍रोध कर रहे हैं।

दरअसल, मीड‍िया में होने वाली घटनाओं का असर असल ज‍िंदगी और सोशल मीड‍िया पर भी साफ नजर आ रहा है। हालांक‍ि ज्‍यादातर लोगों का कहना है क‍ि मीड‍िया को कि‍सी भी मुद्दे पर ज‍िम्‍मेदार पदों पर बैठे नेताओं से सवाल करने का अधि‍कार है, अगर वे सवाल करते हैं और बदले में उनके ऊपर हमला क‍िया जाता है तो यह क‍िसी भी कीमत पर बर्दाश्‍त करने लायक नहीं है।

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