नाग पंचमी का दिन काल सर्प दोष, विषकन्या दोष, विष दोष, सर्प भय, पितृदोष आदि के लिए बहुत ही उत्तम समय होता है। इस दिन और भी कई उपाय करते हैं जिसके चलते सर्प भय नहीं रहता है और न ही सर्प के सपने आते हैं। आओ जानते हैं ऐसा ही एक रिवाज जो ग्रामीण क्षेत्र में किया जाता है।
1. नागपंचमी के दिन घर के मुख्य द्वार पर गोबर, गेरू या मिट्टी से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी विधिवत रूप से पूजा करें। इससे जहां आर्थिक लाभ होगा, वहीं घर पर आने वाली काल सर्प दोष से उत्पन्न विपत्तियां भी टल जाएंगी।
2. इन दिन मनसादेवी के पुत्र आस्तिक (आस्तीक) की पूजा की जाती है जिसने अपनी माता की कृपा से सर्पों को जनमेयज के यज्ञ से बचाया था। नाग पंचमी के दिन 'आस्तिक मुनि की दुहाई' नामक वाक्य घर की बाहरी दीवारों पर सर्प से सुरक्षा के लिए लिखा जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस वाक्य को घर की दीवार पर लिखने से उस घर में सर्प प्रवेश नहीं करता और सर्प दंश का भय भी नहीं रहता है।
3. मनसा देवी की पूजा बंगाल में गंगा दशहरा के दिन होती है जबकि कहीं-कहीं कृष्णपक्ष पंचमी को भी देवी की पूजी जाती हैं। मान्यता अनुसार पंचमी के दिन घर के आंगन में नागफनी की शाखा पर मनसा देवी की पूजा करने से विष का भय नहीं रह जाता। मनसा देवी की पूजा के बाद ही नाग पूजा होती है।
4. मनसा देवी और आस्तिक के साथ ही माता कद्रू, बलराम पत्नी रेवती, बलराम माता रोहिणी और सर्पो की माता सुरसा की वंदना भी करें।