जब किसी एक का विरोध कर के उसे कुर्सी से हटाया जाता है तो यह तय माना जाता है कि, जिसे कुर्सी पर बैठाया जाएगा वो विकल्प पहले वाले से बेहतर होगा या उम्मीद तो की ही जाती है कि बेहतर होना चाहिए।
लेकिन, शायद कई बार ऐसा नहीं होता। भाजपा में अंर्तविरोध के चलते आलाकमान ने उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाया था और उनकी जगह पर तीरथ सिंह रावत को कमान सौंपी गई है।
उम्मीद की जानी जाहिए थी कि अगर नाम तीरथ है तो सोच में थोड़ी पुण्याई तो होगी ही, लेकिन ऐसा नहीं है। नाम और चरित्र में कोई संबंध नहीं होता।
बतौर एक स्टेट के मुख्यमंत्री किसी युवती की फटी हुई जींस पर टिप्पणी करना कितना लाजिमी हो सकता है।
पहले सीएम तीरथ सिंह के उस बयान को देखिए... उन्होंने कहा था--- 'मैं जयपुर में एक कार्यक्रम में था और जब मैं जहाज में बैठा, तो मेरे बगल में एक बहन जी बैठी थीं। मैंने जब उनकी तरफ देखा तो नीचे गमबूट थे। जब और ऊपर देखा तो घुटने फटे थे। हाथ देखे तो कई कड़े थे। उनके साथ में दो बच्चे भी थे। उन्होंने कहा कि मैंने पूछा तो महिला ने बताया कि वो एनजीओ चलाती हैं। मैंने कहा कि समाज के बीच में घुटने फटे दिखते हैं, बच्चे साथ में हैं, क्या संस्कार हैं ये?'
सीएम तीरथ सिंह की इस टिप्पणी पर हैरानी इसलिए भी नहीं होती है, क्योंकि वे प्रधानमंत्री मोदी की तुलना भगवान राम और कृष्ण से कर चुके हैं। उन्होंने कहा था, मोदी को अपने कर्मों की वजह से राम और कृष्ण की तरह माना जाएगा।
हालांकि यह बहुत शर्मनाक है कि एक प्रदेश का मुख्यमंत्री एक युवती की रिप्ड जींस का मुआयना कर के अपने पूरे देश की संस्कृति को कठघरे में खड़ा कर देता है। संस्कृति को जज करने का यह तरीका बेहद ही दयनीय माना जाना चाहिए।
दरअसल, संस्कृति का संबंध हमारे चाल-चलन, चरित्र और स्वभाव से होता है, पहनावा हमारे जीवन का सिर्फ एक हिस्साभर है, यह एक शैली है। 2021 के इस दौर में जब भारतीय महिलाएं नासा का प्रतिनिधित्व कर रही हैं, अमेरिकन पार्लियामेंट में बैठ रही हैं, दुनियाभर में विश्व बैंकों की प्रमुख बनी बैठी हैं, उस दौर में उन्हें उनके पहनावे से जज करना तीरथ सिंह के मानसिक ढांचे को उजागर करता है। -- और फिर उन्होंने जिस महिला की फटी जींस पर यह विवादित बयान दिया है, उस महिला के एनजीओ चलाने वाले सामर्थ्य को तो उन्होंने देखा ही नहीं, उसे सिरे से अनदेखा कर दिया।
कोई भी महिला कम से कम भारत में तो दैहिक नुमाइश बनने की जानबुझकर कोशिश नहीं ही करती है, जब वो ऐसा करती है तो वह उसके फैशन सेंस का हिस्सा होता है। उसे उसकी लाइफस्टाइल से जोड़कर देखा जाना चाहिए, न कि उसके काम और देश की संस्कृति से।
जाहिर है, तीरथ सिंह के इस बयान के बाद सोशल मीडिया में उनकी भद पिटना ही थी। सोशल मीडिया में #RippedJeansTwitter और #uttrakhandcm ट्रेंड करने लगा है।
उनके बयान के बाद अमिताभ बच्चन की पोती नव्या नवेली नंदा, गुल पना शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने ट्विटर पर फटी जींस के साथ अपनी तस्वीरें साझा की हैं। प्रियंका चतुर्वेदी ने अपनी तस्वीर के साथ लिखा है---देश की संस्कृति और संस्कार पर उन आदमियों से फर्क पड़ता है, जो महिलाओं और उनके कपड़ों को जज करते हैं।
जाहिर है, महिलाएं अगर फटी जींस के साथ तस्वीर शेयर कर के यह लिख रही है कि इसे पहनकर उन्हें आत्मविश्वास मिलता है और इसे पहनना उनके लिए कोई नीचा देखने या दिखाने वाली बात नहीं है।
साफ है कि देखने वालों को, जज करने वालों को अपनी सोच बदलनी होगी, न कि नए पहनावे को देश की संस्कृति से जोड़कर उसे कमतर बताना चाहिए।
(इस आलेख में व्यक्त विचार लेखक की निजी अनुभति और राय है, वेबदुनिया का इससे कोई संबंध नहीं है।)