उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल का नहीं मनेगा जश्न, कार्यक्रम हुआ निरस्त
, शनिवार, 13 मार्च 2021 (21:10 IST)
हरिद्वार। प्रदेश में मुख्यमंत्री बदलने से अब पूर्ववर्ती सरकार द्वारा भाजपा सरकार के 4 साल को सेलिब्रेट करने का जश्न 'बातें कम काम ज्यादा' के नाम से अब निरस्त कर दिया गया है। इस आशय के आदेश आज प्रदेश के मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने जारी किए हैं।
प्रदेश में भाजपा सरकार के 4 साल पूरे होने पर पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार ने 18 मार्च को प्रदेश की सभी 70 विधानसभाओं में 'विकास के 4 साल बातें कम काम ज्यादा' के शीर्षक के साथ सरकार की उपलब्धियों को जनता को बताने के लिए कार्यक्रम आयोजित करने का फैसला लिया था, लेकिन 4 साल पूरे होने से 9 दिन पूर्व ही 9 मार्च को केंद्रीय नेतृत्व के आदेश पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंप दिया था।
त्रिवेंद्र की जगह पार्टी ने तीरथ सिंह रावत को प्रदेश का अगला मुख्यमंत्री बनाया है। तीरथ सिंह रावत ने 11 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, जबकि मंत्रिमंडल के सदस्यों ने 12 मार्च को मंत्री पद की शपथ ली। 18 मार्च के कार्यक्रम में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सभी 70 विधानसभाओं में एक ही समय पर वर्चुअल तरीके से अपना संबोधन देने वाले थे, लेकिन प्रदेश में अब परिस्थितियां बदल गई हैं।
बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश की कमान तीरथ सिंह रावत के हाथों में दे दी है। यही वजह है कि अब एक पत्र जारी करके इस कार्यक्रम को अपरिहार्य कारणों से स्थगित करने की बात कहीं गई है। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत अपनी सरकार के 4 साल पूरे होने पर जनता को अपनी सरकार की उपलब्धियां बताने वाले थे, लेकिन शायद जो उपलब्धियां वह जनता को बताने वाले थे वे अपने केंद्रीय नेतृत्व को ही नहीं बता पाए।
18 मार्च को चार साल पूरे होने पर सभी विधानसभा क्षेत्रों में एक साथ कार्यक्रमों का आयोजन होना था। डोईवाला विधानसभा क्षेत्र जहां से त्रिवेंद्र विधायक हैं के लच्छीवाला में राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित होना था। त्रिवेंद्र द्वारा यहां से सभी विधानसभा क्षेत्रों में आयोजित कार्यक्रमों को वर्चुअली संबोधित किया जाना था।इसके लिए विधायकों की अध्यक्षता में समिति का गठन हो रहा था।
दायित्वधारियों को कार्यक्रम आयोजन समिति का उपाध्यक्ष बनाया गया था। विधानसभावार विकास पुस्तिकाओं का भी प्रकाशन किया जाना था। प्रत्येक कार्यक्रम स्थल में परम्परागत वाद्य यंत्रों की रैली निकाले जाने तथा कार्यक्रम में लगभग 100 वाद्य यंत्रों को बजाने वाले कलाकारों को शामिल किए जाने के निर्देश दिए थे।इस पर होने वाले व्यय हेतु धनराशि सूचना विभाग द्वारा समस्त जिलाधिकारियों को उपलब्ध कराई जानी थी।
कार्यक्रम के समन्वय के लिए प्रत्येक जनपद के लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से भी एक समन्वयक नामित की जानी थी। एक अनुमान के अनुसार, कार्यक्रम से पहले ही 18 करोड़ से ज्यादा की धनराशि प्रचार-प्रसार में खर्च हो चुकी थी।
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