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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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भारत में सिंगल मदर होना क्या गुनाह है, जानिए सिंगल मदर्स के अधिकार

know the single mother law

WD Feature Desk

मदर्स डे की इस स्टोरी को एक पत्र से शुरु करते हैं... 
 
मैं एक सिंगल पैरेंट हूं (divorced) और मुझे मेरी बेटी का जाति प्रमाण पत्र बनवाना है। लेकिन मेरे जाति प्रमाण पत्र से नहीं बन रहा है और उसके स्कूल में, आधार में सिर्फ मेरा नाम है उसके पिता का नहीं और न ही मैं पैरेंट्स में नाम जुड़वाना चाहती हूं। बेटी की कस्टडी मेरे पास है क्योंकि उसके पिता ने जन्म से लेकर अब तक एक बार भी उसके बारे में कोई खबर नहीं ली। और ना ही मुझसे कोई सम्पर्क है। स्कूल द्वारा फॉर्म भरकर भेजा गया लेकिन पटवारी ने sign  करने से मना कर दिया। मेरे जैसी और भी सिंगल पैरेंट होंगी जो इन दुविधा से जूझ रही होंगी। 
कृपया उचित सुझाव दे... 
 
यह पत्र एक सोशल मीडिया समूह से प्राप्त हुआ। वहां 156 कमेंट मिले जिसमें इसी तरह का समस्या का सामना कर रही और भी सिंगल पेरेंट की व्यथा मिली....‍किसी को यह समस्या है कि वह अपने बच्चे को जन्म देना चाहती हैं बिना पिता का नाम बताए लेकिन सामाजिक रू‍ढ़ियां उसे इसकी इजाजत नहीं दे रही, कोई सिंगल मां बच्चा गोद लेना चाहती हैं लेकिन उसके सामने कई अड़चने हैं। 
 
हमारे समाज में सिेंगल मदर को लेकर हर जगह अजीब सा व्यवहार किया जाता है जबकि कानून ने उन्हें कई अधिकार दे रखे हैं। 
 
भारत में सिेंगल मदर को कई अधिकार दिए गए हैं, जिससे वह अपने बच्चे की एकल अभिभावक हो सकती है। चाहें उसकी शादी हुई हो, वह तलाकशुदा हो या फिर विधवा। एक मां को अपने बच्चे का संरक्षण करने का पूरा अधिकार है।
 
आइए जानते हैं सिंगल मदर के क्या हैं अधिकार? 
 
जन्म देने का अधिकार
सिंगल मां को बच्चे को जन्म देने का अधिकार है, कोई भी महिला जो गर्भवती है उसे उसकी मर्जी के खिलाफ अबॉर्शन नहीं कराया जा सकता है। अगर कोई ऐसा काम करता है तो उसे भारतीय कानून आईपीसी की धारा-313 की तरफ से सजा का प्रावधान है। जो भी इसका दोषी पाया जाता है उसे 10 साल तक की जेल हो सकती है।
 
बच्चा गोद लेने का अधिकार
सिंगल महिला को बच्चा गोद लेने का भी अधिकार है। अगर उसने शादी नहीं की है या फिर पति की मौत या फिर वो तलाकशुदा है तब भी उसे बच्चे को गोद लेने का अधिकार संविधान की तरफ से मिला है। बच्चे को महिला की संपत्ति में पूरा मालिकाना हक मिलता है।
 
नहीं पूछा जा सकता बच्चे के पिता का नाम
अगर कोई महिला सिंगल मदर है तो किसी के पास यह अधिकार नहीं है कि वो उसके बच्चे के पिता नाम पूछे। गैर शादीशुदा या तलाकशुदा महिला से उसके पैदा हुए बच्चे के पिता का नाम नहीं पूछा जा सकता है। केरल हाईकोर्ट ने ये फैसला तलाकशुदा महिला की याचिका पर दिया जो आईवीएफ द्वारा प्रेगनेंट थी।
 
बच्चे का सरनेम रखने का अधिकार
हर सिंगल मदर के पास ये अधिकार है वो अपने बच्चे का सरनेम रख सकती है। 
 
बच्चे के डॉक्यूमेंट्स पर पिता का नाम लिखने को मजबूर नहीं कर सकते-
अगर कोई मां को उसके बच्चे के पिता का नाम बताने के लिए मजबूर करता है तो ये उस महिला का 'निजता के अधिकार का उल्लंघन माना जाएगा।
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6 जुलाई 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था। इस फैसले ने सिंगल मदर को अधिकार दिया था कि बच्चे के जरूरी दस्तावेजों जैसे स्कूल प्रमाण पत्र, पासपोर्ट या संपत्ति पर उनके हस्ताक्षर मान्य हों। इस फैसले से एकल, परित्यक्त, अविवाहित मांएं मजबूत हुईं।। ऐसी स्त्री, जिसका पति उसे बच्चे के साथ छोड कर लापता हो गया हो, बच्चे के लालन-पालन, शिक्षा या करियर में उसने हाथ न बंटाया हो, उन्हें इस फैसले ने हौसला दिया था। यहां तक कि दुष्कर्म से उपजी संतान की मां को भी अधिकार दिया गया कि वह बच्चे के डॉक्युमेंट्स पर साइन कर सके। सरकारी या गैर सरकारी विभाग उसे पति का नाम बताने को बाध्य नहीं कर सकते। यदि ऐसा होता है तो व्यक्ति को इस फैसले की प्रतिलिपि दिखानी चाहिए। 
 
कानून ने महिलाओं को मजबूती दी है लेकिन समाज की मानसिकता और व्यवस्था की जर्जरता आज भी सिंगल मदर के प्रति सहयोगी नहीं बन सकी है। मदर्स डे पर सम्मान और साथ का वादा करें अगर आपके आस पास ऐसी सशक्त महिलाएं हैं। 
सिंगल मदर की परेशानी, उनकी जुबानी 
 
राशि सिंह 
मैं अपनी बेटी के साथ रहती हूं। पढ़ी लिखी हूं अपने अधिकार भी जानती हूं लेकिन प्रेक्टिकली आप कितने ही दावे कर लें परेशानी तो आती ही हैं। मुझे भी आई लेकिन रास्ते भी खुलते हैं अगर आप मजबूत हैं तो...  
 
मान्या अरोरा 
जिससे मेरी शादी हुई थी वह विदेश में है और जब तलाक हुआ तब मेरे पेट में बच्चा था। मुझ पर परिवार की तरफ से भी दबाव था लेकिन मैंने अपने बच्चे की जिंदगी बचाने का रास्ता चुना जबकि मेरी उम्र उस वक्त 24 साल की थी, मैं चाहती तो बच्चे को एबॉर्ट करवा सकती थी पर मैंने ऐसा नहीं किया। आज मेरे साथ मेरी बेटी है और परिवार वाले आज भी नाराज हैं। कानून आपका साथ भले ही दे पर समाज और परिवार को भी सोच बदलनी चाहिए। 
 
प्रिया रावलिया 
बेटे के लिए मैंने अपनी शादी बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन बहुत मुश्किल हो गया था फिर शुरू हुई जंग बच्चे से जुड़ी हर बात के लिए...मैं अपनी वकील दोस्त की सलाह लेती हूं, आभारी हूं कि वह मेरे साथ खड़ी रही लेकिन अभी भी बहुत कुछ बदला जाना बाकी है। हर बार सिंगल मदर होना आप मर्जी से नहीं चुनते हैं हालात आपको मजबूर करते हैं। यही हालात आपको अपनी भीतरी ताकत से भी परिचय करवाते हैं। मुझे अपने आप पर गर्व है लेकिन चाहती हूं कि समाज भी थोड़ा संवेदनशील बने।  
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