Mahabharat: महाभारत काल में कुरुक्षेत्र में जो युद्ध लड़ा गया था उस युद्ध में कई योद्धा शामिल नहीं हुए थे। जैसे बलरामजी युद्ध में शामिल नहीं हुए थे और वे इस युद्ध को देख भी नहीं पाए थे। परंतु 3 लोग ऐसे थे जो युद्ध में प्रत्यक्ष रूप से शामिल नहीं हुए थे। हालांकि इन्होंने संपूर्ण युद्ध को बहुत अच्छे से देखा था। क्या आप जानते हैं कि वे तीन लोग कौन थे?
ALSO READ: Mahabharat : महाभारत की 5 गुमनाम महिलाएं, जिनकी नहीं होती कभी चर्चा
कहते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण के मुख से निकला गीता का ज्ञान अर्जुन के अलावा संजय, हनुमानजी, बर्बरिक और भगवान शंकर ने सुना था। इसी के साथ इन चारों ने ही युद्ध को भी देखा था। हनुमानजी ने रथ के ऊपर बैठकर, शंकरजी ने कैलाश पर्वत पर बैठकर और संजय ने हस्तिनापुर के महल में बैठकर सुना और देखा था। इसी के साथ बर्बरिक का कटा सिर एक पहाड़ पर रख दिया था जहां से उन्होंने इस युद्ध को देखा।
1. संजय : संजय को दिव्यदृष्टि प्राप्त थी, अत: वे युद्धक्षेत्र का समस्त दृश्य महल में बैठे ही देख सकते थे। नेत्रहीन धृतराष्ट्र ने महाभारत-युद्ध का प्रत्येक अंश उनकी वाणी से सुना। धृतराष्ट्र को युद्ध का सजीव वर्णन सुनाने के लिए ही व्यास मुनि ने संजय को दिव्य दृष्टि प्रदान की थी। संजय के पिता बुनकर थे, इसलिए उन्हें सूत पुत्र माना जाता था। उनके पिता का नाम गावल्यगण था। उन्होंने महर्षि वेदव्यास से दीक्षा लेकर ब्राह्मणत्व ग्रहण किया था। अर्थात वे सूत से ब्राह्मण बन गए थे। वेदादि विद्याओं का अध्ययन करके वे धृतराष्ट्र की राजसभा के सम्मानित मंत्री भी बन गए थे।
2. हनुमानजी : श्रीकृष्ण के ही आदेश पर हनुमानजी कुरुक्षेत्र के युद्ध में सूक्ष्म रूप में उनके रथ पर सवार हो गए थे। यही कारण था कि पहले भीष्म और बाद में कर्ण के प्रहार से उनका रथ सुरक्षित रहा, अन्यथा कर्ण ने तो कभी का ही रथ को ध्वस्त कर दिया होता। रथ पर बैठकर हनुमानजी ने न केवल गीता सुनी बल्कि उन्होंने युद्ध को भी देखा।
ALSO READ: Mahabharat : महाभारत की वे 5 महिलाएं जिनके साथ हुआ था अन्याय
3. बर्बरीक : भीम के पौत्र और घटोत्कच का पुत्र बर्बरीक इतना शक्तिशाली था कि वह अपने तीन तीर से ही महाभारत का युद्ध जीत लेता। यह देखकर श्रीकृष्ण ने ब्राह्मण बनकर उससे दानवीर बर्बरीक से उसका शीश मांग लिया। बर्बरीक द्वारा अपने पितामह पांडवों की विजय हेतु स्वेच्छा के साथ शीशदान कर दिया गया। बर्बरीक के इस बलिदान को देखकर दान के पश्चात श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को कलियुग में स्वयं के नाम से पूजित होने का वर दिया। इसी के साथ जब बर्बरीन ने युद्ध देखने की इच्छा जताई तो श्री कृष्ण ने उसका कटा शीश एक जगह स्थापित करके कहा कि तुम संपूर्ण महाभारत युद्ध के गवाह बनोगे। फिर जब युद्ध समाप्त हुआ तो बर्बरीक से पांडवों ने पूछा कि कौन योद्ध अच्छा लड़ रहा था और जीत किसकी हुई। इस पर उसने कहा कि मुझे तो दोनों ओर से श्रीकृष्ण ही लड़ते हुए दिखाई दिए।
ALSO READ: महाभारत के राजा शांतनु में थीं ये 2 शक्तियां, जानकर चौंक जाएंगे
4. भगवान शंकर : माता पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर बैठे भगवान शंकर ने भी इस युद्ध को लाइव देखा था।