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पूर्ण पुरुष श्रीकृष्ण, क्यों अब भी हैं प्रासंगिक?

krishna in mahabharat

WD Feature Desk

, सोमवार, 26 अगस्त 2024 (12:53 IST)
Krishna Janmashtami: श्रीकृष्ण, भारतीय इतिहास और धर्म के सबसे प्रभावशाली और अद्वितीय व्यक्तित्वों में से एक हैं। सोलह कलाओं से परिपूर्ण कृष्ण को "पूर्ण पुरुष" के रूप में जाना जाता है, एक ऐसा व्यक्ति जिसने मानव जीवन के हर पहलू को पूरी तरह से जिया और उसका आदर्श प्रस्तुत किया। उनके जीवन की विभिन्न घटनाएं और उनके द्वारा दी गई शिक्षाएं न केवल उनके समय के लिए बल्कि आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।ALSO READ: Janmashtami 2024: श्रीकृष्ण के 15 रूप, हर रूप कहता है कुछ
 
विश्व के इतिहास में कहीं भी कृष्ण जैसी शख्सियत नहीं मिलती, बाल रूप से लेकर युवावस्था और जीवन के हर पड़ाव पर कृष्ण ने विश्व को मानवता के नए प्रतीक दिए हैं।
 
श्रीकृष्ण का बाल्यकाल अपने आप में एक दिव्य काव्य है। उनके माखन चोरी की लीलाएं, गोपियों के साथ नटखट क्रीड़ाएं और पूतना वध जैसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि उन्होंने बाल्यकाल में भी अपनी दिव्यता का परिचय दिया। आज भी भारत की हर माँ अपने बेटे को लाड़-प्यार से "कान्हा" कहती है। यह केवल एक नाम नहीं है, बल्कि यह उस नटखट, लेकिन प्यारे और निस्वार्थ प्रेम से भरे व्यक्तित्व का प्रतीक है, जो हर माँ अपने बच्चे में देखती है। 
 
युवावस्था और प्रेम का संदेश: श्री कृष्ण की युवावस्था का सबसे प्रमुख पहलू उनके प्रेम का आदर्श है। राधा और कृष्ण का प्रेम केवल एक भौतिक प्रेम नहीं है, बल्कि यह आत्मा का परमात्मा से मिलन का प्रतीक है। इस प्रेम को सांसारिक प्रेम से ऊपर उठाकर देखा जाता है, जहां दो आत्माओं का मिलन होता है। यही कारण है कि जब कोई प्रेम में समर्पित होता है, तो उसे "कन्हैया" की उपाधि दी जाती है। 
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Shree krishna
महाभारत और धर्म का संदेश: महाभारत के युद्ध में श्रीकृष्ण ने केवल एक सारथी की भूमिका नहीं निभाई, बल्कि उन्होंने धर्म, सत्य और न्याय का आदर्श प्रस्तुत किया। पाँच निर्वासित पांडवों को कौरवों की विशाल सेना के सामने विजय दिलाना कोई साधारण कार्य नहीं था। उन्होंने अर्जुन को गीता का ज्ञान दिया, जो आज भी मानवता के लिए एक अमूल्य धरोहर है। गीता के ज्ञान ने हमें यह सिखाया कि कर्म करते जाओ और फल की चिंता मत करो। यह संदेश आज भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जब हम जीवन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। 
 
आज की दुनिया में श्रीकृष्ण की प्रासंगिकता : आज की आधुनिक दुनिया में भी, जहां भौतिकवाद और व्यक्तिगत स्वार्थ का बोलबाला है, श्रीकृष्ण का जीवन और उनकी शिक्षाएं हमें सही मार्ग दिखाने के लिए प्रेरित करती हैं। उनके द्वारा दिया गया प्रेम, सत्य, धर्म और कर्म का संदेश हमें यह समझने में मदद करता है कि सच्चा सुख केवल बाहरी सफलता में नहीं, बल्कि आत्मा की शांति में है। श्रीकृष्ण ने यह सिद्ध कर दिया कि जीवन में हर स्थिति में कैसे समभाव बनाए रखा जा सकता है और यह सीख आज की दौड़-भाग भरी जिंदगी में और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।ALSO READ: Janmashtami 2024: श्रीकृष्ण के जन्म के समय घटी थी ये खास 10 घटनाएं
 
श्रीकृष्ण केवल एक ऐतिहासिक और पौराणिक व्यक्तित्व नहीं हैं, बल्कि वह हर समय, हर युग और हर परिस्थिति में प्रासंगिक हैं। उनके जीवन का हर पहलू हमें यह सिखाता है कि कैसे हम अपने जीवन को सफल और सार्थक बना सकते हैं। उनकी शिक्षाओं का पालन कर हम जीवन की हर कठिनाई का सामना धैर्य और साहस के साथ कर सकते हैं। 
 
श्रीकृष्ण की महिमा को समझने के लिए एक हजार नोबेल पुरस्कार भी तुच्छ हैं, क्योंकि उन्होंने जो ज्ञान दिया, वह केवल इस लोक का नहीं, बल्कि परलोक का भी मार्गदर्शन करता है। उनके जीवन का हर पहलू हमें यह सिखाता है कि सच्ची सफलता केवल धन, यश और शक्ति में नहीं, बल्कि आत्मा की शांति और संतोष में है। 
 
श्रीकृष्ण का जीवन और उनकी शिक्षाएं न केवल उनके समय के लिए बल्कि आज के समय के लिए भी एक अमूल्य धरोहर हैं। उनकी शिक्षाएं हमें यह सिखाती हैं कि कैसे हम जीवन के हर पहलू में संतुलन बना सकते हैं और सच्ची सफलता प्राप्त कर सकते हैं। इसलिए, आज की दुनिया में भी, श्रीकृष्ण की प्रासंगिकता असीमित है। उनका जीवन हमें यह प्रेरणा देता है कि हम अपने कर्मों के प्रति समर्पित रहें और सत्य, धर्म और प्रेम के मार्ग पर चलते रहें।ALSO READ: भगवान् श्रीकृष्ण के सम्बन्ध में ये रोचक तथ्‍य जानकर रह जाएंगे हैरान

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