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मंगलवार, 15 अक्टूबर 2024
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मध्यप्रदेश से रूठा मानसून, अब तक सावन भी सूखा-सूखा, संकट में अन्नदाता

मध्यप्रदेश से रूठा मानसून, अब तक सावन भी सूखा-सूखा, संकट में अन्नदाता

विकास सिंह

भोपाल। मध्य प्रदेश में मानसून को दस्तक दिए लगभग एक महीने का समय हो चुका है, लेकिन अब भी प्रदेश के लोगों को झमाझम बारिश का इंतजार है। सावन के महीने में आमतौर पर जब इन दिनों लगातार बारिश का दौर जारी रहता है, इसके उलट इस बार अब तक सूखा ही सूखा है। मानसून की बेरुखी से अगर सबसे अधिक किसी के सामने संकट खड़ा हुआ है तो वह हैं प्रदेश के अन्नदाता। बारिश के इंतजार ने एक तरह से किसानों को तड़पा दिया है।

आषाढ़ के बाद अब सावन के भी सूखा जाने से प्रदेश के कई इलाकों में सूखे जैसे हालात बनने लगे हैं। वहीं मौसम विभाग भी मान रहा है कि प्रदेश में झमाझम बारिश के लिए जो सिस्टम बनना चाहिए वह अब भी गायब है। वरिष्ठ मौसम विज्ञानी पीके साह कहते हैं कि प्रदेश में कोई सिस्टम नहीं होने और ट्रफ लाइन के भी प्रदेश के बाहर जाने से प्रदेश में बारिश नहीं हो रही है जिसके चलते बारिश में एक बड़ा अंतराल आ गया है।

मौसम विज्ञानी भी मान रहे हैं कि प्रदेश में अब तक बारिश अच्छी नहीं हुई है जिसमें पश्चिमी मध्य प्रदेश और छिंदवाड़ा, बैतूल जैसे जिले खासा प्रभावित हुए हैं। वेबदुनिया से बातचीत में मौसम विज्ञानी पीके साह कहते हैं कि इस हफ्ते के आखिरी तक प्रदेश में एक बार फिर बारिश का दौर शुरू हो हो सकता है।

इसके पीछे कारण बताते हुए वे कहते हैं कि एक बार फिर ट्रफ लाइन अलवर और ग्वालियर से पास बन रही और साउथ गुजरात में अरेबियन शी में भी एक सिस्टम बनने से पूरे प्रदेश में लगातार नमी बनी हुई है। इससे इस बात की संभावना है कि आने वाले दिनों में प्रदेश को अच्छी बारिश मिले।

संकट में अन्नदाता : मानसून की बेरुखी से अगर सबसे अधिक किसी के सामने संकट खड़ा हुआ है तो वह हैं प्रदेश के अन्नदाता। बारिश के इंतजार ने एक तरह से किसानों को तड़पा दिया है। खेतों में बोई फसल अब चौपट होने लगी है। धान, सोयाबीन और मक्का जैसी फसलें अब खेतों में सूख रही है या सूखने के कगार पर पहुंच चुकी है।

पहले से ही परेशानियों से जूझ रहा अन्नदाता सूखे के चलते खेतों में पड़ी दरारों को देख अब निराश होने लगा है। कृषि के जानकार कहते हैं कि कम बारिश के चलते प्रदेश के कई इलाकों में धान की फसल पूरी तरह चौपट हो चुकी है और अगर अगले कुछ दिन और बारिश नहीं हुई तो सोयाबीन और मक्का की फसल भी खराब हो जाएगी।

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