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जब निर्दलीय उम्मीदवार अर्जुन सिंह ने की थी प्रतिद्वंद्वी शुक्ला की मदद

कमलेश सेन
Madhya Pradesh Assembly Election 1957: मध्यप्रदेश पूर्व मुख्‍यमंत्री स्व. अर्जुन सिंह ने अपना पहला चुनाव 1957 में मझौली से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ा था। देश के दूसरे चुनाव थे। मतदान 25 फरवरी 1957 को हुआ था। विंध्य प्रदेश का वह भाग मझौली जहां ठंड के मौसम में सर्वाधिक ठंड रहती है और चुनाव का वक्त भी ठंड का था।
 
अर्जुन सिंह चुनाव मैदान में थे और लगातार जनसंपर्क कर रहे थे। मुख्य मुकाबला कांग्रेस, प्रजा सोसलिस्ट पार्टी और भारतीय जनसंघ के बीच था। कांग्रेस के उम्मीदवार मुनि प्रसाद शुक्ला थे। मुनि प्रसाद जनसंपर्क के दौरान ग्रामीण क्षेत्र के काफी अंदरूनी इलाकों में निकल गए। आजादी के बाद सड़कें अच्छी नहीं थीं और पेट्रोल पम्पों की कमी थी। 
 
संयोग था कि अर्जुन सिंह भी उसी क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे थे, उन्हें भी लौटने में रात हो गई। शुक्ला अपनी जीप से वापस लौट रहे थे, अचानक ड्राइवर ने कहा कि जीप का पेट्रोल खत्म होने वाला है। कुछ दूर जाकर पेट्रोल खत्म हो गया और घने जंगल में उनका वाहन रुक गया। अब आगे जाने का कोई साधन भी नहीं था। पेट्रोल पंप, गांव या बस्ती काफी दूर थी। घने जंगल में किसी को सूझ नहीं रहा था कि आखिर करें तो क्या करें। 
 
अचानक दूर से किसी वाहन की लाइट दिखी। उम्मीद की किरण नजर आई। दरअसल, उस वाहन से अर्जुन सिंह लौट रहे थे। थोड़ी दूर जाकर उन्होंने अपनी गाड़ी रुकवा दी और ड्राइवर को भेजा कि पूछो क्या तकलीफ है। पता चला कि उनके विरोधी कांग्रेस उम्मीदवार मुनि प्रसाद शुक्ला है। उनके वाहन का पेट्रोल ख़त्म हो गया है। उन्होंने अपने वाहन से न सिर्फ पेट्रोल दिया बल्कि शुक्ला को वाहन में अपने साथ बैठाया। जिला मुख्यालय तक साथ ले जाकर उन्हें सकुशल उनके कार्यालय पर छोड़ दिया।
  
इस चुनाव में अर्जुन सिंह विजयी हुए। शुक्ला पांचवें स्थान पर रहे। लेकिन, विपरीत परिस्थितियों में अर्जुन सिंह की मदद से शुक्ला उनके मरीद हो गए। इतना ही दोनों बाद में दोनों के बीच दोस्ती प्रगाढ़ हो गई। अर्जुन सिंह भी बाद में कांग्रेस में आ गए। 

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